छिलछिला वन्य प्राणी विहार की परिधि के चारों तरफ 1 किलोमीटर का क्षेत्र इको-सेंसिटिव जोन घोषित

कुरुक्षेत्र के उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पिहोवा के छिलछिला वन्य प्राणी विहार की परिधि के चारों तरफ 1 किलोमीटर के क्षेत्र को इको-सेंसिटिव जोन घोषित किया है। इस ईको-सेंसिटिव जोन की परिधि में नए निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें माइनिंग आदि विषयों को भी शामिल किया गया है। इन आदेशों की पालना करवाने को लेकर एक जिला स्तरीय कमेटी का भी गठन किया गया है। यह कमेटी सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की पालना करवाएगी।
उन्होंने कहा कि 28 नवंबर 1986 को पिहोवा के छिलछिला वन्य प्राणी विहार की 71 एकड़ जमीन को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था। इस नोटिफिकेशन के अनुसार इसे वन्य जीवों के लिए विशेष जोन में शामिल किया। इस वन्य प्राणी विहार में पानी भरा हुआ है और इस क्षेत्र में प्रवासी पक्षी आते है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में वन्य पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से छिलछिला वन्य प्राणी विहार की चारों तरफ की 80 मीटर परिधि को इको-सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इस ईको-सेंसिटिव जोन में कुछ गतिविधियों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिनमें माइनिंग आदि कार्य शामिल है। इसके अलावा कुछ गतिविधियों को करने की अनुमति प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 3 अगस्त 2022 को आदेश जारी किए कि देश के सभी वन्य प्राणी विहार की 1 किलोमीटर की परिधि को इको-सेंसिटिव जोन घोषित किया गया है। इस ईको-सेंसिटिव जोन की बकायदा एक सूची भी तैयार की गई है। इस सूची में पिहोवा के छिलछिला वन्य प्राणी विहार को भी शामिल किया गया है। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की पालना करवाने के उद्देश्य को लेकर उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी बनाई गई है, जिसमें अतिरिक्त उपायुक्त, गैर सरकार सदस्य 1 वर्ष के लिए, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, डीएफओ, डीटीपी, हरियाणा सरकार के एक सदस्य को शामिल किया गया है।
उन्होंने बताया कि छिलछिला वन्य विहार की 1 किलोमीटर की परिधि का सर्वे करने के उपरांत कुल 245 स्ट्रक्चर की रिपोर्ट दर्ज की गई है। अब इस निर्धारित परिधि में कोई भी नया निर्माण कार्य नहीं किया जा सकेगा। अगर अदालत के आदेशों के अनुसार जो कार्य निर्धारित किए गए है, उन कार्यों को करने के लिए भी प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
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