कड़ाके की ठंड में पशुपालन विभाग अलर्ट, पशुओं को बचाने के लिए एडवाइजरी जारी

हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी। कड़ाके की ठंड शुरू होने के साथ ही पशुओं के बीमार होने का खतरा भी पैदा हो गया है। पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को अपने पशुओं को सर्दी से बचाए रखने के लिए एडवाइजरी जारी की है। पशुओं के प्रति ठंड में बरती जाने वाली लापरवाही पशुपालकों के लिए नुकसानदायी साबित हो सकती है।
विभाग के उपनिदेशक डा. भूपसिंह यादव ने पशु पालकों को सलाह दी है कि वह अपने पशुओं का सर्दी से बचाव के आवश्यक कदम उठाएं। उन्होंने बताया कि सर्दी का पशुओं की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ठंड के मौसम में पशुओं को निमोनिया होने का खतरा बना रहता है। इससे उनकी श्वांस नली और फेफड़ों में सूजन आ जाती है। पशुओं को सांस लेने में कठिनाई होती है। कई बार लापरवाही बरतने पर पशुओं की मौत तक हो जाती है। अगर ठंड के कारण पशु ज्यादा दिन तक बीमार रहता है, तो उसे तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र में दिखाकर ईलाज कराना चाहिए। बीमार पशु को अपनी मर्जी से दवा देने की बजाय पशु चिकित्सक की सलाह पर ही दवाइयां देनी चाहिएं। सर्दी में बीमार होने पर पशु की दूध देने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
पशुपालकों को दी जानकारी
नाहड़ में पशु चिकित्सा केंद्र में वेटनरी सर्जन डा. पुनीत शर्मा ने मंगलवार को पशुपालकों को अपने पशुओं को सर्दी से बचाने के टिप्स दिए। उन्होंने पशुपालकों को बताया कि पशुओं के प्रति सर्दी के मौसम में जरा सी लापरवाही बड़ा नुकसान करने वाली साबित हो सकती है। अगर पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए पशुपालक सजग रहेंगे तो उनके पशु भी सर्दी में होने वाली बीमारियों से बचे रहेंगे।
पशुपालक लापरवाही नहीं बरतें
पशु बेजुबान होने के कारण सर्दी या गर्मी का अहसास बोलकर नहीं करा सकते। सर्दी के मौसम में बेजुबानों के भी बीमार पड़ने की आशंका बनी रहती है। पशुपालकों की थोड़ी सी सावधानी पशुओं को बीमार पड़ने से रोक सकती है। - डा. भूपसिंह यादव, डीडीएएच।
पशुपालक यह बरतें सावधानियां
- रात के समय पशुओं को भूलकर भी बाहर खुले में नहीं बांधे।
- पशुओं को बाहर बांधते समय उन्हें कंबल या बोरी ओढ़ाएं।
- पशुओं को ठंडे पानी की बजाय गुनगुना पानी पिलाएं।
- पशुचारे में जितना संभव हो सके दाने की मात्रा बढ़ाएं।
- पशुओं के नियमित अंतराल के बाद गुड़ खिलाते रहें।
- अधिक ठंड पड़ने पर आग जलाकर पशुओं को हीट दें।
- पशु बांधने के स्थान पर धुआं एकत्रित नहीं होने दें।
- पशुओं को संतुलित पशु आहार सही मात्रा में खिलाएं।
- खुले में ओस में पड़ा पशुचारा खिलाने से बचें।
- धूप निकलने के बाद पशुओं को खुले में बांधें।
- छोटे पशुओं को पर्याप्त मात्रा में दूध पिलाएं।
- पशुओं के सींगों पर कपड़ा बांधे रखने का प्रयास करें।
- पशुओं को कीड़े मार दवा समय-समय पर खिलाएं।
- बीमार होने पर पशु चिकित्सक की सलाह पर ही दवा दें।
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