Lumpy Disease : पशुओं में लंपी वायरस की आहट से पशुपालन विभाग हुआ सतर्क, जानें क्या रखनी चाहिए सावधानियां

हरिभूमि न्यूज. सिरसा
पशुओं में तेजी से फैल रही लंपी स्किन बीमारी को लेकर पशुपालन विभाग काफी सतर्क हो गया है। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. विद्यासागर बंसल ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी है, यह कैपरी पॉक्स वायरस द्वारा होती है। यह मक्खियों व मच्छरों के काटने से फैलती है। इस बीमारी में शुरू में दो-तीन दिन तक बुखार आता है तथा बाद में शरीर में सारी चमड़ी के ऊपर 2 से 5 सेंटीमीटर तक की गांठें बन जाती है, यह गांठें, गोल व उभरी हुई होती है। गांठें कभी-कभी मुंह में तथा श्वासनली में भी हो जाती है। इस बीमारी में पशु कमजोर व लि फनोडज बड़ी हो जाती है तथा पैरों पर सूजन भी हो जाती है। दूध उत्पादकता कम हो जाती है, कभी-कभी पशुओं में अबॉर्शन भी हो जाता है। उन्होंने बताया कि पशुपालन एवं डेरिंग विभाग, सिरसा 60 पशुचिकित्साल्यों व 168 पशुऔषधालयों के माध्यम से रोग ग्रस्त पशुओं को आवश्यकता अनुसार उपचार मुहैया कर रहा है।
डॉ. विद्यासागर बंसल ने बताया कि इस बीमारी से ग्रस्त पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए। जिस पशु के शरीर पर इस तरह की गांठें हो उस पशु को पशु बाड़े में अंदर नहीं रखना चाहिए। मक्खियों, मच्छरों व चिचडि़यों को नियंत्रित करने के लिए उचित दवा का छिड़काव करना चाहिए। पशु मेले व पशु मंडियों के आयोजन को बंद कर देना चाहिए, ताकि पशुओं के आवागमन पर रोक लग सके। पशुबाड़ों में सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा पशुओं के नीचे जहां तक संभव हो सके, फर्श सुखा रखना चाहिए। पशुशाला, पशुबाड़ों की सफाई के लिए क्लोरोफॉर्म, फार्मेलिन, फिनाइल व सोडियम हाइपोक्लोराइट जैसे रसायनों का प्रयोग करना चाहिए।
ऐसे करें रोग ग्रस्त पशु का उपचार
उन्होंने बताया कि वायरल जनित बीमारी होने के कारण इसका कोई स्पेसिफिक उपचार नहीं है, बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए तथा लक्षण अनुसार पशु का इलाज करवाना चाहिए। अगर पशु को बुखार है तो बुखार की दवाई, अगर पशु के दर्द है तो दर्द की दवाई तथा सोजिश है तो सोजिश की दवाई दी जाए। चमड़ी के ऊपर बनी गांठों पर एंटीसेप्टिक दवाई का लेप लगाना चाहिए। तरल व नरम भोजन खिलाना चाहिए तथा हरे चारे की मात्रा प्रचूर मात्रा में होनी चाहिए।
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