SKM का ऐलान : दिल्ली कूच नहीं टालेंगे किसान, धरने भी जारी रहेंगे, कल बैठक में होगा आगामी रणनीति का खुलासा

SKM का ऐलान : दिल्ली कूच नहीं टालेंगे किसान, धरने भी जारी रहेंगे, कल बैठक में होगा आगामी रणनीति का खुलासा
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एसकेएम नेताओं का कहना है कि आंदोलन को एक साल पूरा होने पर यह दिल्ली कूच किया जा रहा है। जोकि संसद सत्र शुरू होने के साथ ही शुरू होगा। इसके लिए बाकायदा टिकरी व गाजीपुर मोर्चे से रोजाना 500 किसानों का जत्था भेजे जाने पर भी सहमति बन चुकी थी।

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत

एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने 3 कृषि कानून वापस लेने ( Agricultural laws Repeal ) की घोषणा की थी। इसके बावजूद किसान अभी भी अपनी रणनीति में बदलाव नहीं कर रहे। शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा ( sanyukta kisan morcha )ने ऐलान किया है कि 29 नवंबर से प्रस्तावित दिल्ली कूच कार्यक्रम वैसे ही होगा, जैसे पहले तय किया गया था। एसकेएम नेताओं का कहना है कि आंदोलन को एक साल पूरा होने पर यह दिल्ली कूच किया जा रहा है। जोकि संसद सत्र शुरू होने के साथ ही शुरू होगा। इसके लिए बाकायदा टिकरी व गाजीपुर मोर्चे से रोजाना 500 किसानों का जत्था भेजे जाने पर भी सहमति बन चुकी थी। किसान अपने इस निर्णय पर कायम हैं।

एसकेएम के अनुसार बेशक से प्रधानमंत्री ने तीनों कानून वापस लेने की बात कही है, लेकिन अभी भी उनकी दो मांगों पर कोई बात नहीं हुई है। इसलिए अभी धरना हटाने की कोई मंशा नहीं है। एसकेएम ने शनिवार को बैठक की थी, लेकिन कई मुद्दों पर चर्चा करने के उपरांत रविवार को फिर से सिंघु बॉर्डर पर बैठक करने का निर्णय लिया गया। शनिवार को किसान जत्थेबंदियों की कोर्डिनेशन कमेटी की बैठक आयोजित कर शुक्रवार के घटनाक्रम पर चर्चा हुई और किसान मोर्चा के आगामी स्टैंड के बारे में रूख तय करने को लेकर माथापच्ची हुई। बैठक से बाहर आने के बाद किसान नेताओं ने दो टूक कहा कि अभी वे आंदोलन वापस लेने पर विचार नहीं कर रहे।

28 तक बढ़ाएंगे संख्या, 29 से दिल्ली कूच

एसकेएम के अनुसार कुछ समय पहले ही सिंघू बार्डर संयुक्त किसान मोर्चा ने अहम बैठक की थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि किसान आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने पर 24 नवम्बर से 28 नवम्बर तक सभी मोर्चों पर किसानों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके बाद 29 मार्च को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर संसद कूच का निर्णय लिया गया था, जिसमें रोजाना 500 किसानों का जत्था ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ रोजाना दिल्ली भेजना तय हुआ था। बेशक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की अहम मांग को मानते हुए 3 कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी। संयुक्त किसान मोर्चा इस घोषणा का स्वागत करता है, लेकिन साथ ही स्पष्ट भी करता है कि अभी उनकी दो अहम मांगे बाकी हैं। इसके अलावा कृषि कानून जब तक संसद में सभी औपचारिकताओं के साथ वापस नहीं लिए जाते, तब तक वे आंदोलन वापस नहीं लेंगे।

हुई कोर्डिनेशन कमेटी की बैठक, आज अहम बैठक होगी

कोर्डिनेशन कमेटी की बैठक सिंघू बार्डर पर हुई, जिसके बाद किसानों ने साफ किया कि उनके पहले तय कार्यक्रमों में फिलहाल कोई फेरबदल नहीं हो रहा है। संसद कूच करने की तैयारियों में वे जुटे हुए हैं। इसके अलावा एक अहम बैठक रविवार को सिंघू बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा करने जा रहा है, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत, डा. दर्शनपाल, बलबीर सिंह राजोआल, गुरनाम चढूनी समेत सभी जत्थेबंदियां भाग लेंगी। इस बैठक से यह भी तय हो जाएगा कि किसान अब अपने आंदोलन को और कितने दिनों तक जारी रखेंगे और शर्तें क्यों होंगी। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख डा. दर्शनपाल ने बताया कि सिंघू बार्डर पर रविवार को मोर्चा के सभी नेता बैठक करेंगे और इसी बैठक में आगामी रणनीति का खुलासा किया जाएगा। प्रधानमंत्री की घोषणा पर चर्चा के अलावा कई अहम मुद्दों पर बातचीत होगी। दिल्ली कूच की तैयारियां चल रही हैं। सभी की सहमति बनने पर ही रणनीति तय होगी।

जैसे कानून वापस लिए, वैसे ही मुकद्दमे भी वापस लो : चढूनी

इधर, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम चढूनी ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार ने 3 कृषि कानून तो वापस लेने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन किसानों पर दर्ज हुए हजारों मुकद्दमें फिलहाल नहीं लिए गए हैं। जिस तरह से कानून वापस लिए गए हैं वैसे ही मुकद्दमें भी वापस लिए जाएं। चढूनी ने कहा कि किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा उन्होंने कि एमएसपी ( Msp ) की गारंटी की मांग भी अभी बाकी है। इन सभी मांगों के पूरा होने पर ही वे आंदोलन को वापस लेंगे। उन्होंने साफ कहा कि कोर्डिनेशन की कमेटी में किसानों ने आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया है और पहले से तय कार्यक्रमों में कोई बदलाव नहीं होगा।

बॉर्डर पर बढ़ गई हलचल, दूसरे दिन भी जारी रहा जश्न

इधर, सिंघू-कुंडली बॉर्डर पर दूसरे दिन भी हलचल बनी रही। कृषि कानून वापस लेने की घोषणा को किसान अपनी बड़ी जीत के रूप में देख रहे हैं। किसानों ने बॉर्डर पर पहले ज्यादा लंगर के स्टॉल लगाए और लोगों को प्रसाद वितरित किया। इसके अलावा किसान अलग-अलग जत्थों में जश्न भी मनाते रहे। इस दौरान ट्रैक्टरों पर स्पीकर लगाकर युवाओं ने जलूस निकाला और जमकर नाचे। किसानों के पक्ष में नारेबाजी भी की गई। कुंडली धरनास्थल पर लगातार भीड़ बढ़ रही है। शनिवार को दर्जनभर ट्रैक्टर-ट्राली पंजाब की ओर से धरनास्थल पर पहुंचे।

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