दो सालों से कोरोना और किसान आंदोलन के कारण वेंटिलेटर पर पड़े जूता उद्योग पर एक और मार, जानें क्यों

दो सालों से कोरोना और किसान आंदोलन के कारण वेंटिलेटर पर पड़े जूता उद्योग पर एक और मार, जानें क्यों
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केंद्र सरकार (Central government) ने फुटवियर (Footwear) पर जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। इससे बहादुरगढ़ (Bahadurgarh) के फुटवियर उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ना स्वाभाविक है।

रवींद्र राठी. बहादुरगढ़

पहले कोरोना, फिर किसान आंदोलन और अब जीएसटी में इजाफे से फुटवियर उद्योग सिसकियां लेने को मजबूर है। जी हां, केंद्र सरकार ने फुटवियर पर जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। इससे बहादुरगढ़ के फुटवियर उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ना स्वाभाविक है। विदित है कि बहादुरगढ़ देश में नॉन लेदर फुटवियर हब के रूप में विख्यात है। यहां जूता निर्माण से जुड़ी करीब दो हजार छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां चल रही हैं। बीते दो साल से संकट का दौर झेल रहे उद्यमियों में सरकार के ताजा निर्णय से निराशा व्याप्त है।

देश में कोरोना संक्रमण फैलने के साथ ही मार्च-2020 में उद्योग-धंधों पर ताले लटक गए थे। हालांकि करीब तीन महीने बाद जैसे-तैसे उत्पादन तो शुरू हुआ, लेकिन उद्योग कोरोना से उबर नहीं पाए। बीते साल के अंत में किसान आंदोलन दिल्ली की दहलीज पर आ डटा और रास्तों के साथ ही उद्योग भी ठप हो गया। उद्योगपतियों ने वैकल्पिक रास्ते पकड़े तो अप्रैल-2021 में फिर से कोरोना की दूसरी लहर ने सब-कुछ हिला कर रख दिया। किसान आंदोलन का समाधान निकालने में भी सरकार विफल रही और बीते एक साल से दिल्ली आने-जाने के रास्ते अवरुद्ध होने के कारण स्थानीय उद्योग वेंटिलेटर पर पड़े हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने जीएसटी की दरों में इजाफा कर सिसकियां ले रहे फुटवियर उद्योग की परेशानियां बढ़ा दी हैं।

टैक्स फ्री से 18 प्रतिशत तक

बता दें कि जीएसटी लगने से पहले तक 500 रुपए तक का जूता टैक्स फ्री श्रेणी में आता था। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद 1000 रुपए तक के जूते पर 5 प्रतिशत और उससे ज्यादा की कीमत के जूते पर 18 प्रतिशत टैक्स लगता है। हाल में लिए गए केंद्र सरकार के निर्णय के अनुसार 1 जनवरी 2022 से 1000 रुपए तक के जूते पर 12 फीसद और उससे अधिक कीमत के जूते पर 18 प्रतिशत टैक्स वसूला जाएगा। उद्यमियों के अनुसार इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ना तय है।

फुटवियर की दो हजार यूनिट

बहादुरगढ़ के आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र के पार्ट-ए व बी में करीब एक हजार जूता निर्माण से जुड़ी फैक्ट्रियां हैं। एसएचआईआईडीसी के सेक्टर-17 में विकसित फुटवीयर पार्क की 365 इकाइयों में भी जूते से जुड़े उद्योग चल रहे हैं। शहर के अन्य औद्योगिक इलाकों में भी सैकड़ों जूता उत्पादन यूनिट चल रही हैं। फुटवियर इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के अनुसार करीब एक लाख लोग यहां काम करते हैं और वार्षिक टर्नओवर करीब 20 हजार करोड़ रुपए है।

अब रिसाइकिलिंग पर भी टैक्स

सरकार ने एक अक्टूबर से फुटवियर वेस्ट की रिसाइकिलिंग पर भी 5 प्रतिशत से 18 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है। जबकि विदेशों में इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। दरअसल, जूता निर्माण में रबड़ या पीयू सोल का बड़ा हिस्सा वेस्ट हो जाता है। इसे जलाना पर्यावरण के लिए हानिकारक है। ऐसे में इस फुटवियर वेस्ट को रिसाइकिल कर अनेक चीजों में इस्तेमाल किया जाता है। अब इस पर भी टैक्स वसूले जाने के निर्णय से उद्यमियों में नाराजगी है।


कोरोना व किसान आंदोलन से प्रभावित जूता उद्यमियों ने सरकार से बिजली बिल माफ करने, बैंक से ऋण में छूट दिलवाने समेत अन्य मांग की थी। लेकिन फुटवियर इंडस्ट्री की तमाम परेशानियों के बाद भी इन मांगों को अनदेखा करते हुए केंद्र सरकार द्वारा फुटवियर पर लगने वाला जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। - नरेंद्र छिकारा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, बीसीसीआई

जीएसटी में इजाफा किया जाना घोर निंदनीय है। जो व्यापारी कोरोना और किसान आंदोलन की मार से बच गया वो इस प्रस्तावित जीएसटी दर से जरूर मर जाएगा। जूता उद्योग को सरकार से रियायत की उम्मीद थी, मगर जीएसटी बढ़ाने से उद्यमियों में निराशा का माहौल है। सरकार को इस निर्णय पर पुर्नविचार करना चाहिए। रिसाइकिलिंग पर भी टैक्स वसूली अव्यवहारिक है। - विकास आनंद सोनी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, बीसीसीआई

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