सीरो सर्वेक्षण : हरियाणा में आठ प्रतिशत लोगों में मिली एंटीबॉडी

सीरो सर्वेक्षण : हरियाणा में आठ प्रतिशत लोगों में मिली एंटीबॉडी
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स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज (Health Minister Anil Vij) ने कहा कि यह सर्वे प्रदेश के सभी जिलों में डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ तथा पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के सहयोग से करवाया गया है। प्रत्येक जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से 850 लोगों को शामिल कर सर्वे किया गया। वहीं उन्होंने बताया कि सभी सुरक्षा उपायों और अन्य प्रयोगशाला मानकों का पालन करते हुए पूरे राज्य में 18905 सैंपल एकत्रित किए गए।

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में जनसंख्या के आधार पर कोविड-19 के सेरो-प्रचलन (एंटीबॉडी) का पता लगाने के लिए अगस्त माह में एक सर्वे करवाया गया है। सीरो सर्वेक्षण (Sero survey) में आठ प्रतिशत लोगों में कोविड-19 संक्रमण (Covid-19 infection )के खिलाफ एंटीबॉडी मिली तथा शहरी क्षेत्रों और एनसीआर के जिलों में रहने वाले लोग ज्यादा संक्रमित पाए गए।

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज (Health Minister Anil Vij) ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यह सेरो सर्वे करवाने का उद्देश्य सामुदायिक स्तर पर कोविड-19 के संक्रमण की पहचान करना तथा संक्रमण के फैलने की गति पर निगरानी रखना था। विज ने कहा कि यह सर्वे प्रदेश के सभी जिलों में डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ तथा पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के सहयोग से करवाया गया है। प्रत्येक जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से 850 लोगों को शामिल कर सर्वे किया गया। इसकी निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नामित किया गया था। इस सर्वे के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 से प्रभावित लोगों की संख्या का अनुमान लगाने में सक्षम हुआ है।

सेरो सर्वे से शरीर में एंटीबॉडीज की स्थिति का पता लगाने के लिए व्यक्तियों के एक समूह पर परीक्षण किया गया। इससे राज्य में कोविड-19 के संक्रमण एवं इससे प्रभावित लोगों की संख्या की जानकारी मिली है। इस अध्ययन से राज्य में सामुदायिक स्तर पर कोविड -19 संक्रमण के रुझानों को मॉनिटर करने तथा एसएआरएस-सीओवी-2 (कोविड-19) के संक्रमण की निगरानी करने में मदद मिलेगी।

ग्रामीण आबादी के मुकाबले शहरी आबादी अधिक प्रभावित हुई

उन्होंने बताया कि सभी सुरक्षा उपायों और अन्य प्रयोगशाला मानकों का पालन करते हुए पूरे राज्य में 18905 सैंपल एकत्रित किए गए। इसके अध्ययन से पता चलता है कि राज्य में एसएआरएस-सीओवी-2 की सेरो-पॉजीटिविटी दर 8 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण आबादी के मुकाबले शहरी आबादी अधिक प्रभावित हुई है। शहरों में 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 6.9 प्रतिशत सेरो-पॉजिटिविटी पाई गई है। इसके अलावा एनसीआर जिलों में सेरो-पॉजिटिविटी अधिक पाई गई है जैसे फरीदाबाद में 25.8 प्रतिशत, नूंह में 20.3 प्रतिशत, सोनीपत में 13.3 प्रतिशत, गुरुग्राम में 10.8 प्रतिशत रही है। इसी प्रकार यह दर करनाल में 12.2 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 17.6 प्रतिशत व ग्रमीण क्षेत्रों में 8.8 प्रतिशत) जींद में 11 प्रतिशत, कुरुक्षेत्र में 8.7 प्रतिशत, चरखी दादरी में 8.3 प्रतिशत और यमुनानगर में 8.3 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 5.9 प्रतिशत व ग्रमीण क्षेत्रों में 9.9 प्रतिशत) रही।

जिलों में सेरो-पॉजीटिविटी दर

जिन जिलों में सेरो-पॉजीटिविटी दर राज्य की औसतन दर से कम पाई गई है उनमें पानीपत में 7.4 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 7.8 प्रतिशत व ग्रमीण क्षेत्रों में 7.2 प्रतिशत), पलवल में 7.4 प्रतिशत, पंचकुला में 6.5 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 3.7 प्रतिशत व ग्रमीण क्षेत्रों में 8.5 प्रतिशत), झज्जर में 5.9 प्रतिशत, अंबाला में 5.2 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 7.1 प्रतिशत व ग्रमीण क्षेत्रों में 4.4 प्रतिशत), रेवाड़ी में 4.9 प्रतिशत, सिरसा में 3.6 प्रतिशत, हिसार में 3.4 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 2.3 प्रतिशत व ग्रमीण क्षेत्रों में 4.4 प्रतिशत), फतेहाबाद में 3.3 प्रतिशत, भिवानी में 3.2 प्रतिशत, महेंद्रगढ़ में 2.8 प्रतिशत तथा कैथल में 1.7 प्रतिशत रही।

राजीव अरोड़ा ने बताया कि हालांकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के जिलों में गैर-एनसीआर जिलों की तुलना में सेरो-पॉजिटिविटी दर अधिक पाई गई, जिसका मुख्य कारण शहरों में झुग्गियों, बहुमंजिला इमारतों में जनसंख्या का अधिक घनत्व और एनसीआर क्षेत्र में रोजाना बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही होना हो सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के करीब 8 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज विकसित हुई है। यह राज्य सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावी कदमों के फलस्वरूप संभव हुआ है, जिसमें लॉकडाउन आरंभ होते ही प्रभावी टेस्टिंग रणनीतियां, और निगरानी उपयों जैसे कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और ट्रैकिंग शामिल है। यह भी दर्शाता है कि कोविड-19 नागरिकों की जागरूकता एवं व्यवहार से भी नियंत्रित रहा है, जिसमें शारीरिक दूरी बनाए रखना, हाथों की अच्छी तरह से सफाई रखना तथा खांसी आने पर बताए गए तरीकों को अपनाना शामिल है।

इसके अध्ययन हेतु सभी जिलों के लिए सर्वेक्षण दल गठित किए गए

आईडीएसपी निदेशक डॉ उषा गुप्ता ने बताया कि इसके अध्ययन हेतु सभी जिलों के लिए सर्वेक्षण दल गठित किए गए, जिन्होंने शहरी क्षेत्रो में 350 और ग्रामीण क्षत्रों में 500 की आबादी कवर करते हुए प्रत्येक जिले से 850 नमूने एकत्र किए गए। इसके लिए "एक स्तरीकृत मल्टीस्टेज यादृच्छिक (रेंडम) नमूनाकरण तकनीक इस्तेमाल की गई थी। इसके लिए कुल 16 कलस्टर बनाए गए थे जिनमें 12 ग्रामीण क्षेत्र में और 4 शहरी क्षेत्र में थे। चयनित व्यक्तियों की सहमति से रक्त के नमूने एकत्र किए गये। यह सर्वेक्षण सबसे बड़े सेरो प्रचलन अध्ययनों में से एक है। इसे अनुमोदित एलिसा परीक्षण किट का उपयोग कर के किया गया है जिसको डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ तथा पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के प्रोफेसर अरूण अग्रवाल द्वारा डिजिटल डाटा का उपयोग करके निष्कर्षों को अंतिम रूप दिया है। इससे सर्वे के साथ-साथ एसएआरएस-सीओवी-2 के कारण किसी व्यक्ति के पहले हुए संक्रमण की सूचना का भी पता लगता है।

हरियाणा की 8 प्रतिशत जनसंख्या किसी न किसी स्थिति में कोविड-19 से प्रभावित हुई

ध्यान देने योग्य बात यह है कि हरियाणा की 8 प्रतिशत जनसंख्या किसी न किसी स्थिति में कोविड-19 से प्रभावित हुई है और अब भी जनसंख्या का एक बड़े हिस्सा पर कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बना हुआ है। इसलिए, सभी रोकथाम उपायों को निरंतर जारी रखने की आवश्यकता है तथा शारीरिक दूरी, मास्क पहनना, हाथों की स्वच्छता बनाए रखना, खांसी आने पर बताए गए तरीकों की पालना करना और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना इत्यादि की अनुपालना सख्ती से की जाए और इनमें लापरवाही न बरती जाए। महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा डॉ. एस. बी. कांबोज ने कहा कि कोविड-19 के मामले बढ़कर 68218 हो गए हैं और 2 सितंबर, 2020 तक राज्य में 721 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है।

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