खुशखबरी : कलेसर से कालका तक के क्षेत्र को तीर्थाटन व पर्यटन के रूप में किया जाएगा विकसित, Cm Manohar Lal Khattar ने की घोषणा

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि यमुनानगर के कलेसर से पंचकूला के कालका तक के क्षेत्र को तीर्थाटन तथा पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इसी के तहत कपालमोचन मेला क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री देवों, गुरुओं एवं ऋषि मुनियों की पावन धरा पर आयोजित ऐतिहासिक कपालमोचन मेला में शिरकत करने पहुंचे थे। पिछले पचास वर्षों में मनोहर लाल ही ऐसी मुख्यमंत्री हैं जो अनेक मिथकों और अंधविश्वासों को तोड़ कर यहां पहुंचे हैं।
अंधविश्वास के चलते सन 1970 के बाद यहां कोई मुख्यमंत्री नहीं आए थे। कुछ दिन पहले जब इन्हें इस पावन-पवित्र स्थान के बारे में इस प्रकार के मिथकों और अंधविश्वास के बारे में पता चला तो इन्होंने इसे तोड़ने का फैसला लिया । इसी के चलते उन्होंने आज यहां सबसे पहले गुरुद्वारा कपालमोचन में मत्था टेका, इसके बाद प्राचीन सफेद गऊबच्छा मंदिर के घाट, ऋणमोचन सरोवर व सूरजकुंड सरोवर पर पूजा-अर्चना की।
कपिल मुनि जी की धरती कपालमोचन में उन्होंने लोगों को गुरुनानक देव के प्रकाशपर्व और देव दीपावली की बधाई देते हुए इस क्षेत्र की धार्मिक व ऐतिहासिक महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष कोरोना के कारण कपालमोचन मेला का आयोजन नहीं करवाया जा सका लेकिन इस बार कोविड प्रोटोकॉल को अपनाते हुए मेला का भव्य आयोजन किया गया। जिला प्रशासन द्वारा कम समय में बेहतरीन तैयारी करने पर मुख्यमंत्री ने सराहना की। उन्होंने कहा कि बीती शाम करीब 2 लाख श्रद्धालुओं ने कपालमोचन मेला में आस्था की डुबकी लगाई।
अंधविश्वास पर ध्यान नहीं देना चाहिए
कपालमोचन मेला में दर्शन करने के बाद मीडिया द्वारा कपालमोचन मेला में मुख्यमंत्रियों के न आने बारे फैले अंधविश्वास का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं ऐसे अंधविश्वास को नहीं मानता। उन्होंने कहा कि मेला शुरू होने से कुछ दिन पहले ही मुझे इस प्रकार की जानकारी मिली थी कि वर्ष 1970 के बाद कोई भी मुख्यमंत्री इस कपालमोचन मेला में नहीं आया है, पहले पंजाब के मंत्री व मुख्यमंत्री भी इस मेले में आते थे। उन्होंने कहा कि आज मैं दो बैठकें रद्द करके इस कार्यक्रम में शिरकत करने आया हूं, इससे पहले भी एक बार दर्शन करके जा चुका हूं। ऐसा ही अंधविश्वास करनाल के मधुबन को लेकर भी माना जाता है। मैं मुख्यमंत्री रहते हुए मधुबन में भी तीन बार अलग-अलग कार्यक्रमों में पहुंचा हूं जबकि पिछले 30 साल से मेरे अलावा कोई दूसरा मुख्यमंत्री मधुबन नहीं गया।
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