पानी की सैंपलिंग से पहले पास होने के इंतजाम, वाटर सप्लाई के साथ ब्लीचिंग मिक्स...

नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी
एनजीटी के आदेश पर साहबी नदी के आसपास लगते गांवों में हो रही पेयजल सप्लाई के तहत पानी के सैंपल लेने का कार्य शनिवार को सुबह से ही शुरू किया गया। पानी के सैंपल फेल नहीं हों, इसके लिए रात को ही पानी के साथ ब्लीचिंग पाउडर और क्लोरीन मिलाने की व्यवस्था की गई। एनजीटी की आंखों में धूल झोंकने के इंतजाम सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही कर दिए गए।
साइबी नदी में छोड़ जा रहे केमिकलयुक्त पानी के कारण भूमिगत जल भी दूषित हो रहा है। राजस्थान के भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र से आने वाला दूषित पानी भी मसानी बैराज तक पहुंच जाता है। जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगाए गए सीटीपी से भी कई बार दूषित पानी साहबी नदी एरिया में छोड़ दिया जाता है। यह पानी जमीन के अंदर प्रवेश कर रहा है। इससे अंडरग्राउंड वाटर पूरी तरह पॉल्यूटिड हो रहा है। कई गांवों में पानी इस कदर दूषित हो चुका है कि हैंडपंप और पंप सेट से निकाला जाने वाला पानी रंगीन नजर आता है। यह पानी पशुओं के पीने लायक भी नहीं है। इसके बावजूद क्षेत्र के कई गांवों में पंचायती नलकूपों से दूषित पानी की सप्लाई होती है, जिससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। लोग घातक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी तक अपने सीटीपी की व्यवस्था तक ठीक नहीं की जा सकी है। ऐसे में लोगों को दूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। रात को टंकियां लगाते समय ग्राम पंचायतों की ओर से भी विरोध नहीं जताया गया, जबकि इन नलकूपों का संचालन ग्राम पंचायतों के पास ही है।
एनजीटी ने मांग हुआ है जवाब
खरखड़ा निवासी जागरूक नागरिक प्रकाश खरखड़ा ने लंबे समय से दूषित पानी की समस्या को लेकर लड़ाई शुरू की हुई है। इस समस्या को लेकर प्रकाश कई बार एनजीटी कोर्ट जा चुके हैं। अब प्रकाश की शिकायत पर सुनवाई करते हुए एनजीटी कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को 24 अप्रैल को पेश होकर अपना जवाब दायर करने के आदेश जारी किए हुए हैं। एनजीटी के इन आदेशों ने पंचायत एवं विकास विभाग से लेकर, जन स्वास्थ्य विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सिंचाई विभाग के अधिकारियों तक की नींद उड़ाई हुई है। अधिकारियों को एनजीटी कोर्ट के समक्ष पेश होकर अपनी रिपोर्ट देनी है।
नलकूपों पर आधारित सप्लाई
कई गांवों की पेयजल व्यवस्था भूमिगत जल पर आधारित है। इन गांवों में पंचायती या जन स्वास्थ्य विभाग के नलकूपों से पानी की आपूर्ति होती है। साहबी नदी एरिया में भूमिगत जल दूषित हो रहा है, जिस वजह से पेयजल के साथ लोगों को घातक रसायन पीने को मिल रहे हैं। भूमिगत जल दूषित होने के कारण जन स्वास्थ्य विभाग नहरी पानी पर आधारित पेयजल परियोजनाओं पर जोर दे रहा है। जिन इलाकों में नहरी पानी पर आधारित परियोजनाएं नहीं हैं, वहां अभी भी पेयजल व्यवस्था भूमिगत जल पर ही टिकी हुई है। कई गांवों में पंचायती ट्यूबवेल के जरिए पीने के पानी की आपूर्ति हो रही है।
सैंपलिंग से पहले बचाव
कई विभागों के अधिकारियों को शनिवार को मसानी, तितरपुर, खलियावास, रसगण, निखरी, भटसाना, ततारपुर खालसा, अलावलपुर और खरखड़ा में पानी सैंपिलंग करनी थी। इससे पहले ही वाटर सप्लाई नलकूपों पर प्लास्टिक की टंकियां रखकर पानी के साथ ब्लीचिंग पाउडर और क्लोरीन को पेयजल लाइनों में छोड़े जाने वाले पानी के साथ मिलाकर सप्लाई करना शुरू कर दिया। इसका मकसद यह रहा पानी दूषित होने के बाद भी दवाएं मिलाने के बाद सैंपलिंग के परिणाम में दूषित पानी की रिपोर्ट आने से बच जाएगी। इसके बाद एनजीटी की आंखों में आसानी से धूल झोंकी जा सकेगी।
पहले भी मिलाते रहे हैं ब्लीचिंग पाउडर
जिन गांवों में पानी की सैंपलिंग की गई है, उनमें पंचायत विभाग के नलकूप लगे हुए हैं। पेयजल लाइनों के साथ ब्लीचिंग पाउडर और क्लोरीन का घोल मिलाना एक नॉर्मल प्रक्रिया है, ताकि लीकेज लाइनों में प्रवेश होने वाले दूषित पानी के असर को खत्म किया जा सके। - वीपी चौहान, एक्सईएन, पब्लिक हेल्थ।
रात के समय रखवाई टंकियां
पानी की सैंपल रिपोर्ट सही दर्शाने के मकसद से रात के समय ही नलकूपों के पास पानी टंकियां रखवा दी गईं। इन टंकियों में दवाओं का घोल बनाकर पेयजल के साथ मिलाया जाना शुरू किया गया, ताकि दूषित पानी भी जांच के दौरान पीने के लायक दर्शाया जा सके। - प्रकाश खरखड़ा, शिकायतकर्ता।
रेवाड़ी। साहबी नदी के पास एक नलकूप पर पानी के सैंपल लेते टीम।
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