नए-पुराने शिल्पकारों की कलाकृतियां कर रही प्रभावित : सौ साल से जूट कला को आगे बढ़ा रहा पश्चिम बंगाल के गोविंदा पाल का परिवार

नए-पुराने शिल्पकारों की कलाकृतियां कर रही प्रभावित : सौ साल से जूट कला को आगे बढ़ा रहा पश्चिम बंगाल के गोविंदा पाल का परिवार
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बहादुरगढ़ शहर के सेक्टर-6 स्थित सामुदायिक केंद्र में प्राचीन कारीगर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दस दिवसीय हस्तशिल्प एवं सांस्कृतिक उत्सव में विभिन्न राज्यों के विख्यात शिल्पकारों की प्रस्तुति देखकर लोगों ने उनकी कला को जमकर सराहा।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत के कालक्रम में शिल्पकार एक डिजाइनर, सर्जक, अंवेषक और विक्रेता आदि बहुआयामी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। एक शिल्पकार की यही जीवंतता उसे सांस्कृतिक प्राणी एवं सौंदर्योपासक बना देती है। शहर के सेक्टर-6 स्थित सामुदायिक केंद्र में प्राचीन कारीगर एसोसिएशन द्वारा आयोजित दस दिवसीय हस्तशिल्प एवं सांस्कृतिक उत्सव में विभिन्न राज्यों के विख्यात शिल्पकारों की प्रस्तुति देखकर लोगों ने उनकी कला को जमकर सराहा।

पश्चिम बंगाल के हुबली से आए गोविंदा पाल का परिवार करीब 100 सालों से जूट कला को तराश रहा है। वर्ष 1992 में पश्चिम बंगाल के स्टेट अवार्ड से सम्मानित गोविंदा पाल की बहन रीता सरकार को वर्ष 2001 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों नेशनल अवार्ड मिल चुका है। जबकि रीता के पति दीपक सरकार वर्ष 1995 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के हाथों नेशनल अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं। सेक्टर-6 के कम्युनिटी सेंटर में आयोजित उत्सव में उनके जूट से बने विभिन्न तरह के बैग महिलाओं को खूब पसंद आ रहे हैं। दरअसल, ईश्वर जामिनी पाल ने खेतों में उगने वाले पटसन से घरेलू प्रयोग की चीजेें तैयार की थी। इसके बाद उनके पुत्र गोपालचंद पाल, फिर उनके पौत्र नेपालचंद पाल और अब गोविंदा पाल के अलावा उनकी बहन रीता सरकार और भाई गौतम पाल भी इस कला को नई ऊंचाई देने में जुटे हैं।

बहादुरगढ़। प्रदर्शनी के दौरान ही एक पेंटिंग बनाते लक्ष्य धनखड़।

नाबार्ड के प्रोत्साहन से रूरल एंड अर्बन डेवलपमेंट फाउंडेशन ने बहादुरगढ़ में कलाकारों को उनकी कला निखारने तथा उनके उत्पाद की बेहतर कीमत दिलवाने की दिशा में अनुकरणीय कदम बढ़ाया है। बीते दस सालों से प्राचीन कारीगर एसोसिएशन द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में रुडफ द्वारा अलग से स्टॉल लगाकर इन कलाकारों के उत्पाद को जगह दी गई है। रुडफ के इस प्रयास में कई नेशनल व स्टेड अवार्डी कलाकार भी सांझीदार हैं। गांव छुड़ानी निवासी लक्ष्य धनखड़ तीन साल पहले प्रदर्शनी में आया और पेंटिंग्स देखकर स्वयं तूलिका उठा ली। कोरोनाकाल में लॉकडाउन का लाभ उठाते हुए लक्ष्य ने कैनवास पर अपनी सोच में रंग भरे। समय के साथ उसमें जबरदस्त निखार आया। वर्तमान में राजकीय महाविद्यालय से बीबीए कर रहे लक्ष्य प्रतिदिन 4-5 घण्टे पेंटिंग करते हैं। इस बीच नेशनल अवार्डी हनुमान सैनी का उन्हें मार्गदर्शन मिलता रहा। लक्ष्य की पेंटिंग्स को लोग खूब सराह रहे हैं।

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