असस्टिेंट मैनेजर ने कंपनी को लगाया लाखों का चूना

असस्टिेंट मैनेजर ने कंपनी को लगाया लाखों का चूना
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सेक्टर- 17/18 थाना क्षेत्र में असस्टिेंट मैनेजर द्वारा कंपनी को लाखों का चूना लगाए जाने का मामला सामने आया है। कंपनी की ओर से मिली शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर छानबीन शुरु कर दी।

गुरुग्राम। सेक्टर- 17/18 थाना क्षेत्र में असस्टिेंट मैनेजर द्वारा कंपनी को लाखों का चूना लगाए जाने का मामला सामने आया है। कंपनी की ओर से मिली शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर छानबीन शुरु कर दी। फीडबैक इंफ्रा प्रा. लिमिटेड की ओर से पुलिस को दी शिकायत में कहा गया कि कंपनी का कार्यालय सेक्टर-18, इफ्को रोड, गुडग़ांव में है। कंपनी इंफ्रा कंसल्टिंग के कारोबार में है और 30 वर्षों से कार्यरत है। कंपनी सरकारी और अर्धसरकारी क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी एनएवएआई व अन्य राज्य सरकार के प्राधिकरणों द्वारा मंगाई गई निविदाओं सहित अन्य सरकारी निविदाओं में बोली लगाते हैं और उनमें भाग लेते हैं।

कंपनी में वर्ष 2015 से योगेश कालरा असस्टिेंट मैनेजर हैं जो हाईवे डिविजन देखते हैं। हाईवे डिविजन का काम देखने के चलते कालरा को टैंडर खरीद, बोली लगाने व निविदा के रेट देने के बारे में तुलना करते हैं। इन बिडस को खरीदने के लिए कंपनी को रिफंडेबल ईएमडी जमा करनी होती। जिसकेे लिए कालरा को यह ईएमडी उनके निजी कोष से जमा करने का अधिकार दिया हुआ था। बाद में कालरा ईएमडी के बिल व अन्य दस्तावेज देकर कंपनी से बिल पास करवा लेते और अपने अकाउंट में रुपये ले लेते। अब कंपनी को पता चला कि कालरा ईएमडी के लिए फर्जी बिल व वाउचर लगाकर कंपनी को चूना लगाते आ रहे हैं।

कई बार तो कंपनी को ईएमडी का अमाउंट वापिस भी नहीं मिला, जबकि ये रिफंडेबल होता है। वहीं ईएमडी का अमाउंट कम होता लेकिन जब कालरा कंपनी से बिल लगाकर ईएमडी के रुपये लेते तो बिल ज्यादा अमाउंट का होता। यहीं नहीं कई बार तो कालरा ऐसे बोली दस्तावेज खरीदने के नाम पर संस्था से प्रतिपूर्ति लेते थे लेकिन कई बार वे उन दस्तावेजों को नहीं खरीदते थे और मूल दस्तावेजों के बदले जाली दस्तावेज लगा देते थे। इसके अलावा, वह खातों से ईएमडी जमा के लिए प्रतिपूर्ति प्राप्त करता था, लेकिन एनएचएआई अन्य सरकार को बोलियों के लिए किसी भी ईएमडी राशि का भुगतान नहीं करता था। कई मामलों में, यदि ईएमडी राशि एनएचएआई/अन्य सरकार द्वारा वापस कर दी गई तो वह इस तरह की राशि को लेखा टीम को वापस नहीं करता था। कालरा ने ईएमडी के लिए करीब 1.70 करोड़ रुपये कंपनी से लिए हैं, जिसमें उसने आधे से ज्यादा रुपये गलत तरीके से लिए हैं। कंपनी की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर छानबीन शुरु कर दी।

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