सावधान ! आवारा पशु छोड़ने पर लगेगा 11 हजार का जुर्माना

सावधान ! आवारा पशु छोड़ने पर लगेगा 11 हजार का जुर्माना
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ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि साथ लगते गांवों के ग्रामीणों से प्रार्थना की जाए कि कोई भी व्यक्ति अपने आवारा पशुओं को कादमा के सीमा क्षेत्र में नहीं छोड़कर जाएगा।

हरिभूमि न्यूज : बाढड़ा

गांव कादमा गोशाला में गोशाला संचालक पदाधिकारियों व मौजिज ग्रामीणों की आवश्यक बैठक आयोजित कर क्षेत्र के गांवों के ग्रामीणों द्वारा गोशाला सीमा में आवारा पशु (Avara pashu) न छोड़ने की अपील करते हुए उल्लंघन करने पर 11 हजार का जुर्माना व कानूनी कार्रवाई अमल में लाने का फैसला किया।

श्रीराधेकृष्णा गोशाला परिसर में गोशाला कार्यकारी अध्यक्ष सतबीर शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए युवा समाजसेवी अशोक कादमा ने कहा कि गांव कादमा में गोशाला संचालन के कारण क्षेत्र के लोग आवारा पशुओं के झुंड उनके गांव की सीमा में छोड़ देते हैं जो फसलों को बर्बाद करने के अलावा बाजार में आवागमन करने वाले लोगों पर हमला कर उनको नुकसान पहुंचाते हैं। पिछले कुछ समय से उनके गांव के ग्रामीण बहुत परेशानी से जूझ रहे हैं और आमजन बार बार समाधान की अपील कर रहे हैं।

इस मामले को लेकर आज सभी गांवों के ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि साथ लगते गांवों के ग्रामीणों से प्रार्थना की जाए कि कोई भी व्यक्ति अपने आवारा पशुओं को कादमा के सीमा क्षेत्र में नहीं छोड़कर जाएगा। गांव में रात्रि के समय ठीकरी पहरे आरंभ कर अगर कोई भी व्यक्ति रात्रि को ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ 11 हजार का जुर्माना व आवारा पशुओं को छोडने वाले वाहनों को जब्त कर कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। ग्रामीणों ने अपने गांव के पशुओं को भी आवारा तौर पर न छोड़ने का निर्णय लिया। उनके अलावा सचिव कमलसिंह, ईश्वर सिंह ठेकेदार, पूर्व सरपंच रणबीर सिंह, हरीराम पहलवान, इत्यादि मौजूद थे।

क्या है मामला

सर्दी के मौसम में पशुपालक अपने पशुओं को छोड़ देेते है। जो कि किसानों के खेतों में घुसकर फसलों को चट कर जाते है। कई बार तो रबी की फसल को पूरी तरह से तबाह कर देते है। उसके बाद एक गांव के किसान दूसरे गांव के खेतों या पंचायती भूमि पर इन आवारा पशुओं को छोड़ देते है। जिसकी वजह से ग्रामीणों में आपस में तनाव बन जाता है। कई बार आवारा पशुओं को लेकर एक गांव दूसरे गांव के लोगों में तकरार भी हो जाती है। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए ग्रामीणों ने उक्त फैसला लिया है।

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