सावधान! प्रदूषण ऐसे नहीं होगा कम, फिर से घुटेगा सबका दम

सावधान! प्रदूषण ऐसे नहीं होगा कम, फिर से घुटेगा सबका दम
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एक बार फिर बहादुरगढ़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स डेढ़ सौ तक पहुंच गया है। गत वर्ष भी औद्योगिक नगरी बहादुरगढ़ के माथे पर प्रदूषण का धब्बा लगा था, लेकिन इससे अभी तक अधिकारियों ने सबक नहीं लिया है। यही कारण है कि ग्रेप लागू होने से पहले ही हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है।

रवींद्र राठी. बहादुरगढ़। एक समय इंसान तमाम काम हाथ से करता था और स्वस्थ रहता था। लेकिन मशीनी युग की तरक्की इंसान के लिए काल बनकर आई है। हम अतीत के अनुभवों से सीख नहीं ले रहे हैं और फिर दम घुटने का वक्त आ गया है। एक बार फिर बहादुरगढ़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स डेढ़ सौ तक पहुंच गया है। गत वर्ष भी औद्योगिक नगरी बहादुरगढ़ के माथे पर प्रदूषण का धब्बा लगा था, लेकिन इससे अभी तक अधिकारियों ने सबक नहीं लिया है। यही कारण है कि ग्रेप लागू होने से पहले ही हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। लेकिन सरकारी महकमे इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय करते नजर नहीं आ रहे। कहीं धूल तो कहीं धुआं सांसों पर ब्रेक लगा रहा है।

जी हां, बढ़ते प्रदूषण के साथ स्मॉग दस्तक दे रहा है। कारखानों से निकलने वाला काला धुआं स्वच्छ आबोहवा में घुलकर वायु को जहरीली बना रहा है। दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो यहां के हालात भयावह है। हालांकि एनसीआर में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के निर्देश पर एक अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू किया जा रहा है। लेकिन शासन-प्रशासन की आधी अधूरी तैयारियां चुनौती बन सकती है। बहादुरगढ़ में एक्यूआई की बात करें तो शनिवार को 68 और रविवार को 75 दर्ज किया गया। लेकिन सोमवार सुबढ़ 10 बजे एक्यूआई 171 तक जा पहुंचा था और मंगलवार सुबह साढ़े 8 बजे 156 रिकॉर्ड किया गया। जबकि पीएम-2.5 की मात्रा 48 और पीएम-10 की मात्रा 63 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई।

दरअसल, एक अक्टूबर से एनसीआर के सभी क्षेत्रों की तरह बहादुरगढ़ में ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) की पाबंदियां लागू हो जाएंगी। सरकारों व संबंधित विभागों की ओर से प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपाय एक बार फिर नाकाफी साबित होते दिख रहे हैं। औद्योगिक इलाकों समेत शहर के अनेक हिस्सों में खुलेआम कचरा जलाया जा रहा है। निर्माण स्थलों व टूटी सड़कों से उड़ती धूल की वजह से लोगों को श्वास लेने में काफी परेशानी होने लगी है। सड़क किनारे ग्रीन बेल्ट में पड़ा बिल्डिंग मेटिरियल प्रदूषण में इजाफा कर रहा है। इसे ढकने या हटाने के इंतजाम नहीं किए गए। कई फैक्ट्रियों से जहरीला धुआं निकलने से आबोहवा में जहर घुल रहा है। ऐसे हालातों में आने वाले दिनों में क्षेत्र को गैस चैंबर बनने से रोकना मुश्किल है।

आंकड़ों में एक्यूआई

जब एयर क्वालिटी इंडेक्स 0 से 50 के बीच होता है, तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है। वहीं 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एक्यूआई को 'बेहद गंभीर' माना जाता है।

विभिन्न पक्षों की राय

बहादुरगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के वरिष्ठ उपप्रधान विकास आनंद सोनी के अनुसार वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश से उद्योग जगत की सांसें भी फूलना तय है। बदहाल विद्युत आपूर्ति के सच से हर कोई वाकिफ है। बहादुरगढ़ में दस हजार छोटे-बड़े उद्योग हैं। बिजली जाने पर 90 फीसदी उद्योग डीजल जनरेटर पर चलते हैं। जनरेटर पर प्रतिबंध से उद्योगों में उत्पादन क्षमता पर असर पडे़गा।

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजय जैन के मुताबिक जनरेटर से निकलने वाले धुएं से दूषित हवा में मौजूद सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़़ने के कारण सांस लेने में तकलीफ, खांसी, दमा और जल्दी थकावट होने की शिकायत हो जाती है। खासकर जो लंबे समय तक इसके आसपास रहते है। लगातार बढ़ते प्रदूषण से लगातार कैंसर जैसे जानलेवा रोग बढ़ रहे हैं।

हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी दिनेश यादव के अनुसार झज्जर जिले में भी एक अक्टूबर से ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो जाएगा। होटल, रेस्तरां व ढाबों में कोयला व लकड़ी जलाने पर प्रतिबंध रहेगा। उद्योगों व शादियों में डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहेगा। हालांकि अस्पताल या अन्य इमरजेंसी हालातों में ही डीजी सैट के प्रयोग की अनुमति होगी।

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