विश्व पृथ्वी दिवस : बिना किसी मदद के सरकारी जमीन पर सैकड़ों पेड़ लगाकर मिसाल बने प्रकृति प्रेमी सत्यपाल सिंह मलिक

रवींद्र राठी : बहादुरगढ़
आज विश्व पृथ्वी दिवस है, धरती को मां का दर्जा देने के बावजूद उसकी आंखे नम हैं। कारण साफ है कि अपनी कोख से सर्वस्व प्रदान करने वाली धरा के वजूद को इंसान ही खत्म करने पर तुला है। सिसकती धरा को मसीहा की तलाश है। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर केवल ग्रांट डकारने वाले सामाजिक संगठनों के लिए मॉडल टाउन निवासी 'शास्त्री जी' मिसाल बनकर उभरे हैं। सामुदायिक स्तर पर सक्रिय होकर पर्यावरण सुधार के लिए यदि जनभागीदारी से कार्य किए जाएं, तो निस्संदेह परिस्थितियां बदल सकती हैं।
आमतौर पर देखने में आता है कि रिटायरमैंट के बाद गांव में बुजुर्ग खाली समय ताश खेलकर बिताते हैं। लेकिन सत्यपाल सिंह मलिक दूसरे लोगों के लिये आदर्श बनकर उभरे हैं। इन्होंने न केवल लोगों को पेड़ लगाने के लिये प्रेरित किया बल्कि पेड़ों में नियमित पानी देने और उनकी निराई गुड़ाई के साथ देखभाल भी करते हैं। मूल रूप से गांव मोखरा निवासी सत्यपाल सिंह मलिक वर्तमान में बहादुरगढ़ के मॉडल टाउन में रहते हैं।
उन्होंने ब्रिगेडियर होश्यिार सिंह स्टेडियम के वीराने को हरियाली में बदल दिया है। हाई स्कूल की सरकारी जमीन पर शास्त्री जी के नाम से विख्यात सत्यपाल सिंह मलिक ने दर्जनों पेड़ लगाकर-संभालकर मिसाल कायम की है। पेड़ों को लगाने के साथ नियमित पानी देना और उनकी देखभाल का ये नतीजा है कि सारा स्टेडियम हरा भरा नजर आता है। शास्त्री जी यहां सिर्फ हरियाली ही नहीं बढ़ा रहे, बल्कि युवाओं को उच्च संस्कार और नैतिकता का पाठ भी पठाते हैं। उनके सान्निध्य में सिर्फ भौतिक पर्यावरण नहीं, सामाजिक और आध्यात्मिक पर्यावरण का शुद्धिकरण भी हो रहा है।
संस्कृत में एमए और बीएड करने वाले सत्पाल सिंह मलिक दिल्ली के शिक्षा विभाग में बतौर पीजीटी अध्यापक कार्यरत थे। वर्ष 2016 में वे दिल्ली के रानीखेड़ा स्कूल से वाइस प्रिंसिपल के पद पर सेवानिवृत्त हुए। हालांकि इससे पहले उन्होंने रानीखेड़ा के सरकारी स्कूल की वीरान भूमि को भी हरा-भरा कर दिया था। सेवानिवृत्ति के बाद शास्त्री जी ने अपनी जिद से वीरान ब्रिगेडियर होश्यिार सिंह स्टेडियम को भी हरा भरा कर दिया है। उनके लगाए पौधे ना केवल बढ़ रहे हैं, बल्कि लोगों को संदेश भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि पेड़ फल नहीं, छाया तो देगा। पेड़ों को लगाने से पर्यावरण साफ होता है और आने वाली पीढ़ी के लिये यही सबसे बड़ी विरासत है।
उनका मानना है कि प्रकृति कभी धोखा नहीं देती। जहां इंसानी जरूरतों की पूर्ति के लिये लगातार पेड़ों का कटाव हो रहा है, वहीं हमें प्राकृतिक आपदायें भी झेलनी पड़ रही है। प्रकृति के इस असंतुलन को रोकने के लिये जहां विभाग हर साल लाखों पेड़ लगाता है लेकिन उनमें से कुछ हजार ही बच पाते हैं। ऐसे में शास्त्री जी लोगों के लिये ही नही वरन विभाग के लिये भी प्रेरणा हैं।
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