पंचगव्य व आयुर्वेदिक औषधियों पर शोध करेगा श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय

पंचगव्य व आयुर्वेदिक औषधियों पर शोध करेगा श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय
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आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र, देवलापार, नागपुर से आई टीम के सदस्यों के समक्ष ये विचार प्रकट किए और शोध कार्य हेतु समझौता मसौदे पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

हरिभूमि न्यूज. कुरुक्षेत्र

आयुर्वेद में गाय का दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोमय आदी का अत्यंत महत्व बताया गया है। इन द्रव्यों को आयुर्वेद में गव्य कहा गया है। पांचों को मिलाकर पंचगव्य बनता है विश्वविद्यालय के शोध एवं नवाचार विभाग द्वारा अनेक विषयों पर शोध कार्य जारी है। विश्वविद्यालय का प्रयास रहेगा कि गो-आधारित औषधियों पर आयुर्वेद शास्त्र सम्मत शोध किया जाए।

श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र, देवलापार, नागपुर से आई टीम के सदस्यों के समक्ष ये विचार प्रकट किए और शोध कार्य हेतु समझौता मसौदे पर गहन विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि संस्थान में बहुत सारे ऐसे मरीज आते हैं जो असाध्य बीमारी से ग्रसित होते हैं उन मरीजों को यहां पर शास्त्र सम्मत विधि से आयुर्वेदिक औषधि दी जाती है। और वे जल्द ठीक होकर घर लौटते हैं।

कोरोना महामारी में श्री कृष्णा आयुष विश्वविद्यालय द्वारा महासुदर्शन घनवटी और षडंगपानीय कोरोना मरीजों को दिया गया। जिसके सेवन से कोविड-19 के मरीजों ने सात से दस दिन के भीतर कोरोना को हराया। इसके साथ ही शोध को लेकर आयुष विश्वविद्यालय में शोध एवं नवाचार विभाग स्थापित किया गया है। इस अवसर पर डीन अकेडेमिक आशीष मेहता, डॉ. राजेंद्र सिंह, डॉ रजनीकांत, अतुल गोयल, मनोज कुमार और गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र नागपुर से आए सदस्य मौजूद रहे।

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