अन्नपूर्णा उत्सव में बांटी खराब गेहूं, उपभोक्ताओं ने डिपो के बाहर ही लगा दिया ढेर

अन्नपूर्णा उत्सव में बांटी खराब गेहूं, उपभोक्ताओं ने डिपो के बाहर ही लगा दिया ढेर
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डिपो होल्डर द्वारा उपभोक्ताओं को ऐसा गेहूं बांटा जा रहा था जिसे इंसान तो क्या पशु भी नहीं खा सकते। गेहूं पूरी तरह काला हो चुका था तथा इसमें से बदबू मार रही थी।

हरिभूमि न्यूज : कैथल

सरकार द्वारा गरीबों को दी जाने वाली अन्नपूर्णा योजना की पोल बुधवार को मायापुरी कालोनी में पूरी तरह खुल गई। डिपो होल्डर द्वारा उपभोक्ताओं को ऐसा गेहूं बांटा जा रहा था जिसे इंसान तो क्या पशु भी नहीं खा सकते। गेहूं पूरी तरह काला हो चुका था तथा इसमें से बदबू मार रही थी। हालांकि एक बार तो डिपो होल्डर ने उपभोक्ताओं को गेहूं थमा दिया लेकिन जैसे ही उपभोक्ताओं ने गेहूं जांचा तो उसे लेने से साफ इंकार कर दिया। यही नहीं उपभोक्ताओं ने डिपो होल्डर के सामने ही गेहूं का ढेर लगा दिया तथा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में मौके की नजाकत को देखते हुए पार्षद बलजीत रंगा मौके पर पहुंचे तथा उन्होंने पाया कि गेहूं पूरी तरह से खराब है। उन्होंने संबंधित निरीक्षक से बातचीत की तथा गेहूं बांटना बंद करवाया।

जानकारी के अनुसार सरकार की अन्नपूर्णा योजना के तहत बुधवार को गरीब व जरूरतमंदों को राशन डिपो द्वारा राशन वितरित किया जाना था। यह बात सुनकर उपभोक्ता सीमा, शांति, हरसोला बस्ती की पूनम, सतबीर आदि मायापुरी कालोनी रविदास आश्रम के निकट बने डिपो होल्डर के यहां राशन लेने पहुंचे। जैसे ही उन्होंने राशन लिया तथा देखा कि गेहूं का रंग काला पड़ चुका था तथा वह सड़ी हुई नजर आ रही थी। इस पर उपभोक्ताओं ने इसका विरोध जताया। देखते ही देखते वहां पर करीब दो दर्जन उपभोक्ता जुट गए।

उपभोक्ताओं का कहना था कि खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मिलीभगत कर गरीबों के राशन को डकार रहे हैं। अच्छे गेहूं को मार्केट मे बेच देते हैं तथा खराब यहां भिजवा रहे हैं। यही नहीं गेहूं पर पानी डालने के कारण ही यह खराब नजर आ रही थी। सभी उपभोक्ताओं ने गेहूं को डिपो के बाहर डाल दिया। मामले की सूचना मिलते ही पार्षद बलजीत रंगा मौके पर पहुंचे तथा उन्होने खाद्य निरीक्षक से बातचीत की। रंगा ने बताया कि यह खराब गेहूं नहीं बंटवाया जाएगा तथा इसके बाद अच्छा गेहूं आने पर ही बांटा जाएगा। इसे लेकर जब खाद्य आपूर्ति नियंत्रक प्रवीन कुमार से संपर्क किया तो वे उपलब्ध नहीं हो सके।

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