बाढड़ा नगर पालिका रहेगी या ग्राम पंचायत : तय नहीं कर पा रहे लाेग, दोनों सर्वे रिपोर्ट में भिन्नता

बाढड़ा नगर पालिका रहेगी या ग्राम पंचायत : तय नहीं कर पा रहे लाेग, दोनों सर्वे रिपोर्ट में भिन्नता
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सीएम ने सर्वे रिपोर्ट से कहीं थी निर्णय करने की बात, लेकिन पहली सर्वे 89 प्रतिशत पंचायत के पक्ष में तो दूसरी सर्वे 56 प्रतिशत नगर पालिका के पक्ष में

संदीप श्योराण : बाढड़ा

मौजूदा समय में लगभग सब जगह पंचायत चुनाव चर्चा का विषय है। लेकिन बाढड़ा क्षेत्र में नगर पालिका का मसला मुख्य चर्चा का केंद्र बना हुआ है। नगर पालिका को लेकर स्थानीय लोग ही दो धड़ों में बंटे हुए हैं जिसके बाद मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। एक पक्ष नगर पालिका के खिलाफ बीते पांच दिन से धरना देकर इसका विरोध जता रहा है तो दूसरा पक्ष नगर पालिका के पक्ष में उतरकर इसे राजनैतिक मुद्दा बता रहा है। वहीं यदि सर्वे रिपोर्ट की बात की जाए तो वो भी एकमत नहीं है। एक सर्वे रिपोर्ट जहां पूरी तरह से नगर पालिका के खिलाफ है तो दूसरी सर्वे रिपोर्ट में लोग पंचायत को नकार रहे हैं। जिसके चलते नपा का मामला बाढड़ा में लगातार गर्माता जा रहा है और दोनों पक्ष मामले में किसी भी प्रकार से पीछे हटने को तैयार नहीं है। सर्वे के बाद जिला उपायुक्त द्वारा जो सर्वे रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी गई है उसमें जो हवाला दिया गया है वो नपा का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ है।

करीब एक साल पहले गांव हंसावास खुर्द व बाढड़ा ग्राम पंचायत को मिलाकर नगर पालिका का गठन किया गया था। लेकिन एक साल का समय बीतने के बाद भी लोग असमंजस में हैं कि बाढड़ा नगर पालिका रहेगी या दोबारा से ग्राम पंचायत का दर्जा मिलेगा। इसका सबसे बड़ा कारण है कि नगर पालिका मामले को लेकर बाढड़ा के लोग दो पक्षों में बंट गए है। एक पक्ष जहां नगर पालिका का दर्जा रद्द करवाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं और धरने के माध्यम से आंदोलन की राह पर है। वहीं दूसरा पक्ष भी नगर पालिका को कायम रखने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। इसके लिए दोनों पक्ष अपनी.अपनी मांगों को लेकर तर्क सहित अधिकारियों को ज्ञापन भी दे चुके हैं।

इन सब के बाद मामला प्रदेश के सीएम मनोहरलाल तक पहुंच चुका है। सीएम ने बीते आठ जुलाई को दादरी आगमन पर रैली के मंच से इस मसले का हल चार से पांच दिन में सर्वे से निकालने की बात कहते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए थे। लेकिन दो माह का समय बीतने के बाद भी अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है कि बाढड़ा आखिर नपा रहेगी या दोबारा से ग्राम पंचायत बनेगी। लेकिन इस मामले को लेकर घमासान जारी है और राजनैतिक लोगों की भी इसमें एंट्री हो चुकी है। इनेलो के जिला प्रभारी तो नपा के खिलाफ चल रहे धरने पर पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पहुंचने तक का ऐलान कर चुके हैं।

सर्वे रिपोर्ट में हैं भिन्नता

सीएम मनोहर लाल ने नपा के मसले का हल निकालने के लिए इसको लेकर अधिकारियों को सर्वे करवाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद गठित टीमों ने रिपोर्ट तैयार की थी। शुरुआती जो सर्वे की गई उसकी रिपोर्ट के अनुसार 89 प्रतिशत से अधिक लोग नगर पालिका के खिलाफ थे। लेकिन नपा का समर्थन करने वाले लोगों ने सर्वे में गड़बड़ी करने के आरोप व कस्बे के दुकानदारों को इसमें शामिल करने की मंाग को लेकर ज्ञापन सौंपा था। उसके बाद दोबारा से सर्वे की गई लेकिन रिपोट सार्वजनिक नहीं की गई थी। लेकिन अब जो सर्वे रिपोर्ट सामने आई है उसमें 56 प्रतिशत से अधिक लोग नपा के पक्ष में हैं। जिसके चलते मामला पेचीदा होता जा रहा है।

नपा के अंतर्गत 11 वार्डों के 5546 वोटर हैं शामिल

बाढड़ा नगर पालिका के अंतर्गत कुल 11 वार्ड शामिल हैं। जिनमें कुल 5 हजार 546 वोटर शामिल है। 11 में से वार्ड नंबर 6 व सात हंसावास खुर्द के है जिनमें 1470 वोटर हैं। जबकि बाकि बचे 9 वार्ड बाढड़ा के हैं जिनमें 4 हजार 76 वोटर शामिल हैं।

दोनों सर्वे रिपोर्ट का ये है विवरण

पहली सर्वे रिपोर्ट में 1018 लोगों को शामिल किया गया था। जिसमें से 908 लोग ग्राम पंचायत के पक्ष में 78 लोग नपा के पक्ष व 32 लोग दोनों के पक्ष में थे। वहीं अब जो सर्वे रिपोर्ट मिली है उसमें कुल 7009 लोगों को शामिल किया गया। जिसमें ग्रामीण एरिया से 4950 लोगों में से 2536 लोग नपा के पक्ष मेंए 2287 पंचायत के पक्ष में व 127 लोगों ने नोटा के पक्ष में अपनी राय दी। वहीं बाढड़ा बाजार से सर्वे में 2059 लोगों को शामिल किया गया। जिसमें 1432 नपा के पक्ष मेंए 498 ग्राम पंचायत के पक्ष में व 129 ने नोटा के पक्ष में रहे। इस प्रकार पहली सर्वे में जहां 89 प्रतिशत से अधिक लोग ग्राम पंचायत के पक्ष में नजर आए तो दूसरी सर्वे में 56 प्रतिशत से अधिक लोगों ने नपा के पक्ष में अपनी राय दी है।

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