भाईचारे की मिसाल है हरियाणा का यह गांव, एक ही जगह बने हैं मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा

दीपक कुमार डुमड़ा : बवानीखेड़ा ( भिवानी )
हरियाणा के भिवानी जिले के बवानी खेड़ा कस्बे से 16 किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव बड़सी आपसी भाईचारे का प्रतीक है। गांव में 36 बिरादरी के लोग न केवल आपसी भाईचारे से रहते हैं, बल्कि इस गांव में पंजाबी चौक में एक ऐसा स्थान है जिसकी चार दिवारी में मंदिर, मस्जिद व गुरूद्वारा एक साथ स्थित हैं। बुजुर्गों के अनुसार वर्ष 1544 में राजस्थान से आए दलाल व भुमला गौत्र के लोगों ने गांव बड़सी को बसाया था।
इस गांव के नाम बड़सी पड़ने के पीछे ग्रामीणों का कहना है कि गांव में चारों तरफ बड़े-बड़े बड़ के पेड़ थे, इस कारण इस गांव का नाम बड़सी पड़ा। गांव का इतिहास साथ लगते हांसी से भी जुड़ा हुआ है। जो गांव से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हांसी में चार मुख्य गेट हैं जिनमें एक बड़सी गेट भी है जो बड़सी की पहचान हांसी कस्बा से करवाता है। गांव बड़सी का एक किस्सा भी लोगों की जुबां पर खूब सुनने को मिलता है, जब 1957 में डाकूओं ने गांव के पन्ना सेठ, खेताराम के यहां डकैती डाली थी जिसमें गांव के युवा रीछपाल पुत्र पन्नाराम जाट, डाकुओं से भिड़ गए तथा गांव के अन्य जाबाजों की मदद से आठ डाकुओं को मार डाला गया।
गांव का खाका
गांव में सार्वजनिक ढ़ांचे की बात करें तो गांव में दो पंचायतें हैं। गांव के युवा प्रदीप ओला, सुनील कुमार, जोगीराम ओला, मंजीत भूरिया, सत्यनारायण जांगड़ा, बिजेन्द्र बिजारणिया, कैप्टन बलवान सिंह, दयानंद गढ़वाल आदि ने बताया कि गांव में बड़सी जाटान व बड़सी गुजरान के नाम से दो पंचायत हैं। इस समय गांव की जनसंख्या 7000 से अधिक है जिनमें 3700 महिलाएं व 3300 पुरूष हैं। वहीं 3200 पुरूष व 3000 महिला मत हैं। गांव में 300 से 400 बच्चों को गोवरधन शर्मा पीटीआई अभ्यास करवाते हैं। जिन्होंने अपनी तैनाती पर खो-खो में उच्च स्तर पर टीम को जितने का कार्य किया था। गांव में दो पावर हाउस है जिससे बिजली सप्लाई की जाती है। वहीं राजकीय विद्यालयों में भी कमी नहीं है।
भारतीय सेना में गांव के युवाओं का अहम योगदान
गांव बड़सी में 150 के लगभग युवा भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा गांव के कैप्टन बलवान सिंह ओला आर्मी से अपनी बेहतर कार्य के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से सम्मानित हो चुके है। गांव में आजाद हिंद फौज को भी अपने जवान लिए हैं। स्व. तुलसी राम, स्व. उदमीराम प्रधान, प्यारा सिंह, आजाद सिंह फौज के जवान रह चुके हैं। तुलसीराम, आजाद सिंह फौज के वो सिपाही थे जो आजाद हिंद फौज के समय इंतिहास रचा। गांव के युवा प्रवीण का नाम हरियाणवी संस्कृति से जुड़ा हुआ है क्योंकि वे हरियाणा सांग की प्रस्तुति अनेक मंचों पर देते हैं। उनके अलावा गांव के राजकुमार वाल्मीकि भी कवि के रूप में जाने जाते हैं। गांव मंे पुलिस, गुप्तचर विभाग, आयकर विभाग, सहित अन्य विभागों में सैंकड़ों लगकर अपनी सेवाएं देकर नाम रोशन कर रहे हैं तो कुछ विदेशों में सेवाएं देकर अपने गांव की मिट्टी का नाम रोशन करने में जुटे हैं। वहीं गांव के खुले दिन के इंसानों की बात की जाए तो जिला परिषद चेयरमैन रमेश ओला का नाम उभरकर सामने आता है जो गांव के हर सार्वजनिक कायोंर् में आगे रहे और दिल खोलकर सहयोग किया।
चुनावों में पार्टी अलग लेकिन भाईचारा बरकरार
गांव बड़सी में चुनावों की बात की जाए तो यहां का भाईचारा काबिलेतारीफ है। किसी भी पार्टी के लोगों का चुनाव के समय झगड़ा नहीं होता। सभी दलों के लोग चुनाव के समय भी वही तालमेल करके चुनाव को सही तरीके से पूर्ण करने का कार्य करते हैं जो दूसरो के लिए मिसाल बनी हुई है।
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