बहादुरगढ़ बार एसोसिएशन : सौ से अधिक महिला अधिवक्ता, लेकिन नहीं लड़ रही चुनाव

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़। एक तरफ जहां नारीशक्ति को विधायिका में 33 फीसदी प्रतिनिधित्व देने के लिए मोदी सरकार ने नारी वंदन अधिनियम बनाया। वहीं दूसरी तरफ बहादुरगढ़ बार एसोसिएशन के चुनावों में इस बार कोई भी महिला प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरी। यह अलग बात है कि एसोसिएशन के 720 अधिकृत सदस्यों में सौ से अधिक महिला अधिवक्ता हैं। हालांकि बीती दो कार्यकारिणी में सह-सचिव की जिम्मेदारी महिला वकीलों ने ही संभाली थी।
बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले केंद्र सरकार ने देश में नामांकित महिला वकीलों की संख्या का आंकड़ा जारी किया था। संसद में कानून मंत्रालय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में केवल 15.3 प्रतिशत वकील महिलाएं हैं। वहीं बीते साल सितंबर में तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना ने भी टिप्पणी की थी कि भारत में लगभग 11 प्रतिशत न्यायाधीश ही महिलाएं हैं। उन्होंने न्यायपालिका और कानूनी पेशे में महिलाओं की भागीदारी और प्रतिनिधित्व बढ़़ाने का आह्वान किया था। बहादुरगढ़ बार एसोसिएशन की बात करें तो यहां भी देश की औसत के बराबर करीब 15 प्रतिशत महिला अधिवक्ता हैं। अतीत में महिला अधिवक्ता चैंबर की राजनीति में भी सक्रिय रही हैं। बीते साल 311 वोट लेकर जहां पूजा सह-सचिव निर्वाचित हुई थी। वहीं वर्ष-2021 में 322 वोट लेकर तरुणा वर्मा सह-सचिव बनी थी। लेकिन इस बार सौ से अधिक महिला वकीलों ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के चुनावों से पूरी तरह दूरी बना ली। एक भी महिला अधिवक्ता ने पांच में से भी किसी भी पद के लिए नामांकन दाखिल नहीं किया।
शुक्रवार को होगा मतदान
बता दें कि इस बार शुक्रवार 15 दिसंबर को बहादुरगढ़ में बार प्रधान पद के लिए विक्रम छिल्लर, सत्यवान राठी व जितेंद्र सिंह, उप-प्रधान पद के लिए धर्मबीर सिंह, संदीप कौशिक व राकेश चंद्र, सचिव पद के लिए मनोज राठी व राजदीप छिल्लर, सह-सचिव के लिए आशु शर्मा व सौरभ शर्मा, कोषाध्यक्ष एवं लाइब्रेरियन के लिए पारस प्रताप सिंह, प्रदीप कुमार व रंजीत राठी मैदान में उतरे हैं। पाचों पदाधिकारियों का चुनाव करने के लिए 720 अधिवक्ता शुक्रवार 15 दिसंबर को सुबह 9 बजे से 4 बजे तक मतदान करेंगे। जिसके उपरांत मतगणना के साथ ही परिणाम की घोषणा होगी।
काउंसिल ने मांगी रिपोर्ट
सचिव पद के उम्मीदवार मनोज राठी ने दो बार सचिव रह चुके राजदीप छिल्लर के नामांकन को संविधान का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी थी। जिसे निर्वाचन अधिकारी ने खारिज कर दिया। इसके विरोध में मनोज ने बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा से गुहार लगाई। इसमें बहादुरगढ़ बार एसोसिएशन के संविधान की धारा 9(4) के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इसके अनुसार किसी पद पर लगातार दो बार निवार्चित होने के बाद वह अधिवक्ता अगले दो सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकता। बार काउंसिल की विशेष कमेटी ने 9 दिसंबर को जारी आदेश में 11 दिसंबर को 3 बजे तक निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र लोहचब से रिपोर्ट मांगी है। साथ ही लिखा है कि संविधान की अवहेलना कर किसी को भी चुनाव लड़ने की अनुमति ना दी जाए।
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