बहादुरगढ़ : जांच रिपोर्ट में घोटाले की तस्दीक होने के 9 महीने बाद भी कार्रवाई का इंतजार, सीएम विंडो पर गुहार

रवींद्र राठी. बहादुरगढ़। आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश कुमार ने एक बार फिर सीएम विंडो का सहारा लेते हुए सरकार से भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की गुहार लगाई है। उनके अनुसार भ्रष्टाचार के विरुद्ध बरती जा रही नरमी के कारण ही हरियाणा सरकार की छवि धूमिल हो रही है। सरकार की जीरो टोलरेंस की नीति में उच्च अधिकारियों को कोई दिलचस्पी नहीं है। वे मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। जिस कारण आमजन का सीएम विंडो से भरोसा उठ रहा है। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ होने के बावजूद ना तो पीडि़तों को इंसाफ मिला और ना ही दोषी अधिकारियों दंड मिला।
दरअसल, गांव छारा निकासी राकेश कुमार ने आरटीआई के तहत जानकारी जुटाकर सीएम विंडो पर शिकायत की थी कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के बहादुरगढ़ मंडल में 113 अस्थाई कर्मचारियों का पीएफ-ईएसआई का पैसा संबंधित एजेंसियों ने उनके खातों में जमा नहीं करवाई है। इस पर अधीक्षक अभियंता द्वारा जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया। जांच में कमेटी ने बहादुरगढ़ मंडल के 5 अधिकारियों को श्रम विभाग के नियमों का पालन नहीं करने का दोषी पाया गया था।
9 महीने बाद भी कार्रवाई नहीं
जांच रिपोर्ट के आधार पर एसई ने 10 मार्च को विभाग के मुख्य अभियंता कोे उचित कार्यवाही के लिए पत्र लिखा था। लेकिन 9 महीने बाद भी इस मामले में अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ नीति को इस आचरण से ठेस पहुंच रही है। राकेश कुमार ने एक बार फिर सीएम विंडो पर गुहार लगाते हुए पांचों भ्रष्ट अधिकारियों के साथ-2 मुख्य अभियंता के खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही करने की मांग की है। दोषियों के विरुद्ध आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करवाया जाना चाहिए।
धूमिल हो रही सरकार की छवि
दरअसल, यह शिकायत दो साल से लंबित चल रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इस शिकायत के संबंध में विभाग से 26 बार स्पष्टीकरण मांगा जा चुका है। उपमंडल कार्यालय ने 28 फरवरी 2023, 20 अप्रैल, 10 मई, 6 जून, 16 जून, 29 जून, 2 अगस्त व 19 अक्टूबर 2023 को उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर इस शिकायत पर कार्रवाई के लिए अनुरोध किया है। जांच कमेटी की रिपोर्ट के साथ सिफारिश मुख्य अभियंता को भेजने के 9 महीने से बाद भी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से छवि धूमिल हो रही है।
पूरा रिकॉर्ड तक उपलब्ध नहीं
आरटीआई में प्राप्त दस्तावेजों और शिकायत के बाद हुई जांच से भी साफ हो गया है कि मंडल में तैनात 113 अस्थाई कर्मचारियों का ईपीएफ-ईएसआई का पैसा उनके खातों में नहीं डाला गया था। इन कर्मचारियों का संपूर्ण रिकार्ड भी विभाग कार्यालय में उपलब्ध नहीं होना भी अधिकारियों की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा करता है। हैरत यह है कि पूरे घोटाले का खुलासा होने के इतने समय बाद भी विभाग के अधिकारियों ने इस रकम की रिकवरी करने के लिए कोई प्रकिया शुरू नहीं की। उन्होंने यह रकम दोषियों से रिकवर करके वंचित कर्मचारियों के खाते में डलवाने की मांग की।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हुई
बहादुरगढ़ मंडल में अस्थाई कर्मचारियों को वेतन देने के लिए प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपए से ज्यादा के जॉब वर्क मंजूर होते थे। लेकिन श्रम विभाग द्वारा तय वेतनमान के अनुसार जॉब वर्क मंजूर करने के बावजूद विभाग द्वारा ईपीएफ-ईएसआई की शर्तों को जॉब वर्क में शामिल नहीं किया गया। इसके लिए कार्यकारी अभियंता की जिम्मेदारी निश्चित की गई। हालांकि जॉब वर्क के अलावा जलघरों के संचालन के लिए ऑप्रेट एंड मेंटेनेंस कॉन्ट्रेक्ट भी अधीक्षक अभियंता द्वारा मंजूर किए गए थे। इस ओएंडएम में भी ईपीएफ-ईएसआई के नियमों की अवहेलना की गई।
एसीबी को भी भेजी थी शिकायत
शिकायतकर्ता के अनुसार बहादुरगढ़ में तैनात अस्थाई कर्मचारी लंबे समय से शोषण का शिकार होते रहे हैं। लेकिन वे शिकायत का साहस नहीं कर पाए। क्योंकि शिकायत करने पर उन्हें नौकरी से हटाने की धमकी दी जाती रही है। साफ है कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कार्यवाही करने के मूड में नहीं है। यह शिकायत 2 मार्च 2023 को भ्रष्टचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक को भी भेजी गई थी। उन्होंने 4 मई 2023 को अतिरिक्त मुख्य सचिव को यह शिकायत उचित कार्यवाही के लिए भेजी थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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