कोख के कातिलों का गढ़ बनता जा रहा है बहादुरगढ़

मनीष कुमार : बहादुरगढ़
भ्रूण लिंग जांच (Gender check) रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बेशक कितनी ही सख्ती बरती जा रही हो, लेकिन यह काला-धंधा थम नहीं रहा है। दिल्ली के साथ सटा बहादुरगढ़ शहर (Bahadurgarh City) तो कोख के कातिलों का गढ़ बनता जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में यहां भ्रूण लिंग जांच से जुड़े कई मामले सामने आ चुके हैं। इन मामलों के तार सोनीपत, दिल्ली, गुरुग्राम और नोएडा तक जुड़े मिले हैं। कुछेक मामलों को छोड़ दें तो स्वास्थ्य विभाग और पुलिस (Health Department and Police) की कार्रवाई दलालों को ही गिरफ्तार करने तक सिमट जाती है, जबकि गिरोह के मुख्यिा व जांच करने वाले आरोपित डॉक्टर हाथ नहीं आते।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय पर की जाने वाली कार्रवाई के दौरान यहां के मेडिकल स्टोर्स से कई बार जांच किट मिल चुकी हैं। इसके अलावा लिंग जांच के केस भी सामने आते रहे हैं। वर्ष-2014 में जब यहां की एक महिला डॉक्टर मीना लिंग जांच मामले में पकड़ी गई थी तो उसे 2017 में तीन साल की सजा सुनाई गई थी। बीते दो-तीन साल में बहादुरगढ़ इलाके में ऐसे मामलों में इजाफा हुआ है। गत 18 दिसंबर 2018 को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सेक्टर-9 बाईपास मोड़ से भ्रूण लिंग जांच गिरोह के दलाल सचिन को गिरफ्तार किया था। कुछ दिनों बाद इस गिरोह के दो अन्य सदस्य दीपक व बलराज भी पकड़ लिए गए। मामले में सामने आया था कि दिल्ली के विकासपुरी स्थित एक क्लीनिक में भ्रूण लिंग जांच की जाती थी, लेकिन तब न तो डॉक्टर मिला और न ही उसके खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत मिले। इस तरह से तीन गिरफ्तारियों के बाद वह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
अगस्त 2019 में सोनीपत और यहां की संयुक्त टीम ने बैंक कॉलोनी स्थित एक क्लीनिक में छापा मारा। इस क्लीनिक से आरोपित डॉक्टर और दलाल सुमन को रंगे हाथ काबू किया गया। आरोपित महिला दलाल व डॉक्टर पहले भी मामलों में गिरफ्तार हो चुके थे। गत 19 जून 2020 को झज्जर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भ्रूण लिंग जांच के आरोप में टीकरी बार्डर से कुलासी के निवासी चांद को गिरफ्तार किया। चांद अंतरराज्यीय गिरोह का सदस्य है। इस गिरोह के मुखिया डॉ. हरिओम कश्यप द्वारा नोएडा में लिंग जांच की जाती थी। डॉ. हरिओम के अलावा बहादुरगढ़ के आकाश व निर्मला के भी इस मामले में नाम सामने आए हैं, लेकिन इन तीनों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। अभी हाल ही में सात अगस्त को गुरुग्राम व झज्जर स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने दलाल राजेश को रोहतक रोड स्थित एक अल्ट्रासाउंड केंद्र से रंगे हाथ पकड़ा।
राजेश के अलावा सुरेंद्र का नाम भी मामले में सामने आया है। गिरोह के अन्य सदस्यों का फिल्हाल खुलासा तो नहीं हुआ है, लेकिन यहां के कई लोग जुड़े होने की आशंका है। अल्ट्रसाउंड केंद्र की भूमिका भी शक के दायरे में है।
कोई गिरोह 25 हजार तो कोई 35 व 70 हजार रुपये में भ्रूण लिंग जांच का सौदा तय करता
अभी तक पकड़े गए मामलों से सामने आया कि कोई गिरोह 25 हजार तो कोई 35 व 70 हजार रुपये में भ्रूण लिंग जांच का सौदा तय करता है। अगर जांच कराई जा रही है तो कहीं न कहीं ये शंका भी पैदा होती है कि इनके द्वारा कोख में मौजूद गूंगी चीख भी दबाई जाती हो। अधिकारियों की मानें तो कुछ इस तरह के गिरोह भी सक्रिय हैं, जिनमें डॉक्टरों का रोल नहीं होता। इन गिरोहों के सदस्य अपने स्तर पर ही लोगों से बात करते हैं। अल्ट्रासाउंड केंद्र में जाकर नॉर्मल जांच कराते हैं और पेशेंट को अपनी मर्जी से कुछ भी रिजल्ट बता देते हैं। यूपी व बिहार के लोग भी ऐसे गिरोह चला रहे हैं। इनके अलावा बहादुरगढ़ इलाके में पिछले कुछ वर्षों में कूड़े के ढेरों व अन्य जगहों पर भ्रूण भी मिल चुके हैं। इन मामलों के आरोपित भी पकड़े नहीं जाते।
सख्ती का ही प्रमाण है कि केस पकड़े जा रहे हैं
भ्रूण लिंग जांच के प्रति विभाग सख्त है। सख्ती का ही प्रमाण है कि केस पकड़े जा रहे हैं। बहादुरगढ़ इलाके में विशेष तौर पर नजर रखी जा रही है। भ्रूण लिंग जांच कराने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। बेटा-बेटी मंे फर्क न करें और न ही गलत कार्य के भागी बनें।
- डॉ. अचल त्रिपाठी, डिप्टी सीएमओ, पीएनडीटी (झज्जर)
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