Bahadurgarh : शंकराचार्य स्वामी को नहीं मिला राम मंदिर का निमंत्रण

- बोले, धर्म को राजनीति में शामिल करने से हो रही धर्म की हानि, राजनेताओं को हो रहा लाभ
- राम मंदिर की नींव राजनीति पर रखी गई
Bahadurgarh : उत्तराखंड की ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि उन्हें अब तक अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापना समारोह का निमंत्रण नहीं मिला है। उन्होंने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि राम मंदिर आंदोलन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उनके गुरु ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज को भी शिलान्यास कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया था। उनका मानना है कि राम मंदिर की नींव ही राजनीति पर रखी गई तो राजनीति ही होगी।
धर्म संचार यात्रा के तहत बहादुरगढ़ पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि राम मंदिर ट्रस्ट में भी जिनका हक बनता था, उन्हें शामिल नहीं किया गया। राष्ट्रनदी घोषित होने के बावजूद गंगा में सीवरेज का पानी गिर रहा है। गोपाष्टमी पर 20 नवंबर को दिल्ली में गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए बड़ा समागम होगा। उनका मानना है कि धर्म को राजनीति में शामिल करने से धर्म की हानि हो रही है और फायदा राजनीति को हो रहा है। राजनीतिक हिंदूओं में मंदिर के प्रति नहीं, बल्कि राजनीतिक पार्टी के प्रति भावना है। हिंदू राष्ट्र बनने से अगर कोई परिवर्तन ही नहीं होना, तो नाम बदलने से कोई फायदा नहीं है। हिंदू राष्ट्र के विचार के प्रारूप के गुण दोष पर विचार किया जाना जरूरी है। केवल राजनीतिक जुमेलबाजी के लिए हिंदू राष्ट्र को उछालना स्वीकार्य नहीं है। उनके अनुसार अतीत में भारत को इंडिया कहा गया है, इंडिया को भारत नहीं, ऐसे में इसीलिए भारत को भारत कहना ही सही रहेगा।
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