Bahadurgarh : रेलवे स्टेशन के पास पुराने रैन बसेरे में मिला तीन माह का भ्रूण, फैली सनसनी

- एरिया को लेकर उलझी दो थानों की पुलिस, सूचना के बाद भी घंटों तक लावारिस पड़ा रहा भ्रूण
- कई घंटे तक भ्रूण की होती रही बेकद्री
Bahadurgarh : शहर में ममता को शर्मसार करता एक मामला सामने आया। यहां रेलवे अंडर पास के निकट स्थित पुराने शेल्टर हाउस में करीब तीन माह का भ्रूण (लड़का) मिला है। पुलिस को सूचना मिलने के बाद भी कई घंटे तक भ्रूण की बेकद्री होती रही। दो थानों की पुलिस (Police) एक-दूसरे पर कार्रवाई की जिम्मेदारी टालती रही। दो थानों के चक्कर में शाम पांच बजे तक भ्रूण उठाया नहीं जा सका।
रेलवे अंडर पास के निकट वर्षों पहले अस्थाई रैन बसेरे की व्यवस्था की गई। फिलहाल यह रैन बसेरा चालू हालत में नहीं हैं। इसमें गंदगी की भरमार है। वीरवार की दोपहर को इस रैन बसेरे के आसपास दुर्गंध फैली हुई थी। किसी ने नजदीक जाकर देखा तो भीतर मानव भ्रूण था। आसपड़ोस में रहने वाले लोगों ने डायल 112 पर कॉल की। सूचना पाकर ईआरवी टीम मौके पर पहुंची। इसके बाद लाइनपार थाना पुलिस को सूचित किया गया। लाइनपार पुलिस जांच करने तो आई लेकिन हवाला दिया कि यह हमारा कार्य क्षेत्र नहीं है। इसके बाद जीआरपी को जानकारी दी गई। इस तरह से एरिया को लेकर दोनों थानों की पुलिस में उलझन रही। दोनों एक-दूसरे पर कार्रवाई की जिम्मेदारी टालते रहे।
लाइनपार थाना पुलिस ने तर्क दिया कि यह एरिया जीआरपी का है। लिहाजा कार्रवाई उन्हें ही करनी है। वहीं जीआरपी ने कहा कि रैन बसेरा स्थानीय प्रशासन द्वारा रखवाया जाता है। इसलिए जिला पुलिस की कार्रवाई बनती है। दोनों थानों की पुलिस के इस रवैये के चलते भ्रूण कई घंटे तक वहीं पड़ा रहा। बहादुरगढ़ में इससे पहले भी कई भ्रूण व नवजात शव पाए गए हैं। हर बार केस दर्ज होते हैं, जांच शुरू होती है और फिर कार्रवाई फाइलों में सिमट कर रह जाती है। पहचान छिपाने के लिए कोख में मारे गए बच्चों के गुनहगार पुलिस के हाथ नहीं आते। पिछले कुछ सालों में सामने आए तमाम मामले अनसुलझे हैं। वीरवार को रैन बसेरे में मिले भ्रूण के मामले में तो कार्रवाई तक शुरू नहीं हुई। ऐसे में देखने वाली बात है कि कौन से थाने की पुलिस इसमें कार्रवाई करती है और कब तक आरोपित तक पहुंच पाती है।
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