हाईकोर्ट ने दी राहत : अब आयुर्वेदिक डिस्पेंसर पद के लिए BAMS आवेदकों को भी माना जाएगा योग्य

हाईकोर्ट ने दी राहत : अब आयुर्वेदिक डिस्पेंसर पद के लिए BAMS आवेदकों को भी माना जाएगा योग्य
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याची ने हाईेकोर्ट में कहा था कि जब बीएएमएस आवेदकों के पास फार्मेसी का डिप्लोमा और ट्रेनिंग ही नहीं है तो कैसे उन्हें इस पद पर नियुक्त किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बीएएमएस और डिप्लोमा इन फार्मेसी इंडियन मेडिसन के एक ही क्षेत्र के हैं। इसके अलावा बीएएमएस की अवधि डिप्लोमा फार्मेसी से कहीं अधिक है।

आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में डिप्लोमा धारकों द्वारा आयुर्वेदिक डिस्पेंसर पद के लिए बीएएमएस आवेदकों को भी योग्य मानने को चुनौती देने वाली याचिका को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि निर्धारित योग्यता न होने पर भी ऊंची योग्यता वाले आवेदकों को नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता।

याचिका दाखिल करते हुए दिनेश कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट को बताया कि हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ( HSSC ) ने आयुर्वेदिक डिस्पेंसर के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें निर्धारित योग्यता डिस्पेंसरी में डिप्लोमा थी। याची ने नियुक्ति प्रक्रिया में हिस्सा लिया और परीक्षा भी दी। याची को यह जानकर हैरानी हुई कि कई बीएएमएस आवेदकों ने भी परीक्षा दी और उन्हें दस्तावेजों की जांच के लिए बुलाया गया। याची ने इस बारे में एचएसएससी को मांग पत्र भी दिया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। बीएएमएस आवेदकों को इंटरव्यू के लिए भी बुलाया गया। याची ने कहा कि जब बीएएमएस आवेदकों के पास फार्मेसी का डिप्लोमा और ट्रेनिंग ही नहीं है तो कैसे उन्हें इस पद पर नियुक्त किया जा सकता है।

हरियाणा सरकार ने याची की दलीलों का विरोध किया। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बीएएमएस और डिप्लोमा इन फार्मेसी इंडियन मेडिसन के एक ही क्षेत्र के हैं। इसके अलावा बीएएमएस की अवधि डिप्लोमा फार्मेसी से कहीं अधिक है। बीएएमएस डिग्री धारक डिप्लोमा के छात्रों को पढ़ाते भी हैं। ऐसे में ऊंची योग्यता रखते हैं और ऊंची योग्यता होने के कारण डिप्लोमा न होने के बावजूद वह इस पद पर नियुक्ति के लिए हकदार हैं।

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