सेला को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध

सेला को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध
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गैर बासमती, स्टीम, कच्चा व सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध रहेगा। सेला पर भी सरकार ने 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी के साथ निर्यात की मंजूरी दी है।

सुरेन्द्र असीजा/फतेहाबाद। भारतीय बाजार में चावलों की बढ़ती कीमतों और खाद्य सुरक्षा को लेकर केन्द्र सरकार ने सेला (उबले हुए) चावल को ही मंजूरी दी है। अन्य गैर बासमती, स्टीम, कच्चा व सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध रहेगा। सेला पर भी सरकार ने 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी के साथ निर्यात की मंजूरी दी है।

भारत में अधिकांश सस्ता यानि गैर बासमती चावल प्रयोग किया जाता है। इसके दाम बढ़ने लगे तो केन्द्र सरकार ने 20 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर भारत से निर्यात होने वाला गैर बासमती चावल जिसमें कच्चा, स्टीम्ड व सफेद चावल पर प्रतिबंध लगा दिया जबकि सेला चावल पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी। यानि कि सेला के अलावा सभी तरह के गैर बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध है।

भारत में टूटे हुए चावल का इस्तेमाल इथेनॉल और पशुओं और मुर्गियों के चारे के लिए होता है। केन्द्र सरकार पेट्रोल का आयात खर्च घटाने के लिए पेट्रोल में इथेनॉल मिक्स कर रही है। यानि कि अब किसान अन्नदाता के साथ ऊर्जादाता भी बनेगा। केन्द्र सरकार ने भी कू्रड ऑयल में 10 प्रतिशत की जगह 20 प्रतिशत इथेनॉल मिक्स करने का टारगेट तय किया है। सस्ते चावल का इथेनॉल में प्रयोग होने से गैर बासमती चावल के दाम बढ़ने लगे तो केन्द्र सरकार ने इनके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और सेला पर भी 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी। सरकार क्रूड ऑयल में इथेनॉल मिक्स करके विदेशी मुद्रा बचाना चाहती है। उसके साथ ही गैर बासमती चावल के दाम भी नियंत्रित रह सकेंगे।

भारत ने 4 मित्र देशों में दी निर्यात की छूट

हालांकि भारत ने 4 मित्र देशों को गैर बासमती, सफेद चावल के निर्यात की छूट दी गई है। इनमें सिंगापुर 50 हजार एमटी, मॉरीशस 14 हजार एमटी, यूएई 70 हजार एमटी व भूटान 79 हजार एमटी चावल के निर्यात को मंजूरी दी गई है। इनका एक्सपोर्ट सरकार स्वयं करेगी।

बासमती में हरियाणा का प्रमुख योगदान, दुनिया में 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट भारत से

इस समय भारत से 45.60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात होता है, जबकि 177.86 लाख टन गैर बासमती चावल विदेशों में निर्यात किया जाता है। यह दुनिया में निर्यात होने वाले चावलों का कुल 40 प्रतिशत शेयर है। इसमें भी बासमती चावल में हरियाणा का 20 लाख एमटी धान होता है जोकि पूरे भारत का 50 प्रतिशत है।

विदेशी बाजारों में भारतीय चावल की बेहद मांग : जिंदल

फतेहाबाद की एक्सपोर्टर फर्म जिंदल इंडस्ट्रीज व जिंदल बासमति इंडिया लि. के चेयरमैन अजय जिंदल के अनुसार उबले चावल के निर्यात पर 20 परसेंट टैक्स लगाए जाने के बावजूद विदेशी बाजारों में इसकी बेहद मांग है। स्थिति ये है कि इंडोनेशिया जो कि चावल का बहुत बड़ा निर्यातक है, वह भी भारत से चावल मंगाना चाहता है इसलिए एक्सपोर्टर सरकार से कुछ छूट चाहते हैं।

जिंदल इंडस्ट्रीज का चावल 40 देशों में होता है निर्यात

फतेहाबाद से जिंदल इंडस्ट्रीज व जिंदल बासमति इंडिया लि. का चावल यूएई, यूके, सऊदी अरब, कतर, बहरीन, कुवैत, ओमान, केन्या, निग्रा व स्पेन सहित 40 देशों में निर्यात होता है। इनमें मिडल इस्ट के देश प्रमुख रूप से शामिल है।

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