जल्द राहत के लालच में आप करते हैं स्टेरॉयड दवाइयों का इस्तेमाल तो सावधान, हो सकती हैं ये समस्याएं

नांगल चौधरी ( महेंंद्रगढ )
इम्यूनिटी पावर शरीर का सुरक्षा कवच होती है, जिसके प्रभाव से गंभीर बीमारियों से बचे रहेंगे। यदि बीमार भी हुए तो जल्द रिकवर हो जाएंगे, लेकिन रिकवर क्षमता बढ़ाने के लिए स्टेरॉयड दवाइयों का इस्तेमाल बढ़ गया। सबसे खराब हालात गांवों में देखने को मिल रही है, जहां झोलाछाप डॉक्टरों ने अवैध क्लीनिक तक खोल लिए। हाइडोज एंटीबायोटिक व स्ट्रायड दवाइयों से मरीजों का इलाज करते हैं। जिससे पेशेंट को आंशिक राहत तुरंत मिल जाएगी, मगर बॉडी की प्राकृतिक इम्यूनिटी खत्म होने का खतरा बढ़ने लगा है।
गौरतलब है कि बीमारियों को लेकर सरकार व स्वास्थ्य विभाग सर्तक रहता है। निर्धारित आबादी पर सीएचसी, पीएचसी व सब सेंटर सुविधा मुहैया करवा दी। अस्पतालों में क्वालिफाई चिकित्सक व स्टॉफ कर्मी उपलब्ध हैं। जोकि विभिन्न बीमारी का इलाज स्टेप वाइज दवाइयों का इस्तेमाल करके करते हैं। जिससे मरीजों को जल्द राहत नहीं मिलती, जिस कारण उनके दिमाग में सरकारी अस्पतालों में अच्छा इलाज नहीं होने की धारणा बन गई। इसी धारणा का फायदा उठाते हुए झोलाछाप डॉक्टर सक्रिए हो गए। सूत्रों की मानें तो झोलाछाप डॉक्टरों ने गांवों को मुख्य अड्डा बना लिया। जोकि इलाज प्रक्रिया में स्ट्रायड व एंटीबायोटिक दवाइयां यूज करते हैं।
हाइडोज दवाइयों के प्रभाव से शरीर की रिकवर क्षमता बहुत तेजी से बढ़ने लगेगी। चंद घंटों में राहत मिलने से मरीज स्वस्थ्य महसूस करने लगता है, लेकिन हाइडोज दवाइयां लीवर, किडनी के लिए ठीक नहीं, क्योंकि धीरे-धीरे मरीजों का शरीर हाइडोज व स्ट्रायड दवाइयों का आदि हो जाएगा। कुछ साल के बाद उनकी बॉडी स्ट्रायड रियेक्शन को स्वीकार करना बंद कर देगी। इतना ही नहीं किडनी में इंफेक्शन होने से शरीर में यूरिया की मात्रा अधिक हो जाएगी। पीड़ित को डायलासिस या किडनी ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ सकती है। विभाग के मुताबिक बीते आठ-दस साल से किडनी व गुर्दे खराब के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
हाइकोर्ट के आदेशों की अवहेलना
हाईकोर्ट की ओर से करीब 10 साल पहले झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज पर रोक लगाने संबंधी आदेश दिए गए थे। आदेशों की पालना करते हुए विभाग ने एक-दो साल तक छापेमारी अभियान चलाया। बाद में विभागीय टीम सुस्त हो गई, जिस कारण झोलाछाप डॉक्टरों ने गांवों में दुबारा जड़ें जमा ली। जोकि मरीजों को घर पर इलाज मुहैया कराते हैं, एडमिट करने के लिए क्लीनिक खोल लिए। जिसमें ग्लूकोज लगाकर चिकित्सीय तर्ज पर मरीजों को संतुष्ट किया जाता है।
जिंक फूड व दूषित खानपान से दूर रखें
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. अशोक यादव ने बताया कि बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। इसलिए इन्हें फास्ट फूड, दूषित खानपान से दूर रखें। बीमारी होने पर चिकित्सक से ही इलाज करवाएं, क्योंकि झोलाछाप डॉक्टरों इलाज की पूरी जानकरी नहीं होती। विभागीय अस्पताल में जीवन रक्षक संसाधन व अन्य सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
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