चरखी दादरी के गांव कादमा की पहाड़ियों में बनेगी खूबसूरत झील

चरखी दादरी के गांव कादमा की पहाड़ियों में बनेगी खूबसूरत झील
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मनरेगा योजना का सहारा लेकर गांव कादमा की पहाड़ियों में एक नई पहल शुरू की गई है। तीन तरफ से घिरी हुई पहाड़ियों के बीच की जमीन को जलाशय में परिवर्तित किया जा रहा है और वह भी एक खूबसूरत अंदाज में।

हरिभूमि न्यूज : चरखी दादरी

इंसान अगर चाहे तो वीराने में भी चमन पैदा कर सकता है, बशर्ते दम हो बाजुओं में और दिल में एक अदद चाहत होनी चाहिए। कुछ इसी तरह का एक नवसृजन कार्य हो रहा है गांव कादमा की पहाड़ियों में। तीन तरफ से घिरी हुई पहाड़ियों के बीच की जमीन को जलाशय में परिवर्तित किया जा रहा है और वह भी एक खूबसूरत अंदाज में। मनरेगा योजना का सहारा लेकर गांव कादमा की पहाड़ियों में एक नई पहल शुरू की गई है। पानी की आमतौर पर इस इलाके में कमी बनी रहती है। रेतीला क्षेत्र होने की वजह से भूजल स्तर भी करीब पांच सौ फुट तक नीचे जा चुका है। बरसात के दिनों पानी बरसता है तो उसी समय थोड़ी बहुत राहत मिलती है।

कादमा निवासी कमल सिंह ने बताया कि किसी जमाने में राजस्थान के अलवर क्षेत्र की साहबो नदी का पानी यहां आता था। उस वक्त पहाड़ियों के साथ घना जंगली इलाका था। रेत के टिब्बे थे तो उसके साथ लगभग तीन सौ एकड़ भूमि में मरूद्यान भी बना हुआ था। जहां पशुओं के लिए पर्याप्त चारा और पानी की उपलब्धता रहती थी। समय के साथ-साथ यहां आबादी में तो विस्तार हुआ, लेकिन कादमा की हरियाली समाप्त होती चली गई। अब इस क्षेत्र को फिर से हरा-भरा बनाने के लिए दो सौ बाई दो सौ फुट क्षेत्र में पांच फुट गहरे चक डैम का निर्माण किया जा रहा है।

रमणीक स्थल के रूप में किया जाएगा विकसित

खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी सुभाष शर्मा ने बताया कि एबीपीओ राजेश कुमार की निगरानी में मनरेगा स्कीम से यह चक डैम बनाया जा रहा है। इससे आने वाले समय में कादमा को काफी फायदा होगा। इस जलाशय में जमा होने वाला पानी पशु-पक्षियों के तो काम आएगा ही, साथ बनी गोशाला को भी इसका लाभ होगा। राजेश कुमार ने बताया कि केवल पानी का स्टोरेज करना इसका मकसद नहीं, इस क्षेत्र में सुंदर पौधों को रोपित कर इसे एक रमणीक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। फिलहाल इस कार्य पर करीब 10 लाख रूपए खर्च होने की संभावना है। जरूरत हुई तो और भी राशि इस पर खर्च की जाएगी।

कादमा और आसपास के गांवों के महिला-पुरूष यहां रोजाना सुबह अपने कस्सी तसले लेकर आते हैं। आते ही यहां की मिट्टी खोदकर दूर डालना शुरू कर देते हैं। बीडीपीओ सुभाष शर्मा ने बताया कि मनरेगा स्कीम का यही फायदा है, एक तो काम का काम और दूसरा अपने क्षेत्र का विकास भी होगा। मनरेगा में रोजाना सुबह सात बजे से 12 बजे तक पांच घंटे काम करने पर 315 रुपये दिए जाते हैं।

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