दो लाख की सुपारी देकर बेलदार पर कराया था हमला, SDO व सुपरवाइजर गिरफ्तार

हरिभूमि न्यूज : फतेहाबाद
जनस्वास्थ्य विभाग में बेलदार पर हमला करने के मामले का पर्दाफाश करते हुए थाना शहर फतेहाबाद पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में विभाग का एसडीओ आशीष गर्ग निवासी सुल्हेड़ा जिला जींद हाल अग्रवाल कालोनी फतेहाबाद व सुपरवाइजर मदन लाल निवासी नहर कालोनी फतेहाबाद शामिल है। आशीष कुमार जनस्वास्थ्य विभाग में एसडीओ है जबकि मदनलाल रिटायर्ड कर्मचारी है। डीएसपी दलजीत सिंह ने पत्रकार वार्ता में बताया कि इस बारे शहर फतेहाबाद पुलिस ने 20 अगस्त को जनस्वास्थ्य विभाग में बेलदार के पद पर कार्यरत विनोद कुमार निवासी आजाद नगर फतेहाबाद की शिकायत पर केस दर्ज किया था।
विनोद का आरोप था कि जब वह घर से मोटरसाइकिल पर सवार होकर ड्यूटी पर जा रहा था तो रतिया रोड पर दो मोटरसाइकिलों पर आए युवकों ने उस पर हमला कर घायल कर दिया। डीएसपी ने बताया कि विनोद कुमार ने एसडीओ आशीष कुमार के खिलाफ आरटीआई लगाई हुई थी। इसी से दु:खी होकर आशीष ने विनोद पर हमले को लेकर दो लाख की सुपारी दी थी। इस काम में रिटायर्ड कर्मचारी मदनलाल ने भी एसडीओ का सहयोग किया था। एक लाख रुपये पहले दे दिए गए थे जबकि बकाया एक लाख रुपये बकाया थे। डीएसपी ने बताया कि पुलिस इस मामले में जांच में जुटी है और अन्य आरोपियों को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
घायल बेलदार ने शिकायत में कहा था कि उसने विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों व ठेकेदार राय सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर आरटीआई लगाई हुई है। इसी रंजिश के चलते विभाग के एसडीई आशीष कुमार,जेई रमेश कुमार, जेई अश्वनी कुमार, जेई गरिश कुमार व ठेकेदार राय सिंह शर्मा उर्फ औंकार सिंह ने षडयंत्र श्रचकर साजिश के तहत उस पर हमला करवाया है। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। 1 सितम्बर को जहां उन्होंने शहर की पेयजल सप्लाई ठप्प कर दी थी वहीं 6 को फतेहाबाद शहर के साथ-साथ गांवों की पेयजल सप्लाई ठप्प करने की भी चेतावनी दी हुई है। बेलदार पर हमला मामले में जांच अधिकारी एचसी तरसेम सिंह ने अहम सुराग जुटाते हुए दो आरोपियों को फतेहाबाद शहर से गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है।
भट्टू में कर्ण कोट टीले पर तेज बारिश होने के कारण मिट्टी बह जाने से एक मकान की दीवार निकाली
सरकार ने कर्ण कोट टीले को संग्रहालय बनाने के लिए मंजूरी मिली, जमीन अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया चालू
दलबीर सिंह/भूना।
खंड के गांव भट्टू में कर्ण कोट टीले पर शुक्रवार को तेज बारिश होने के कारण मिट्टी बह जाने से एक मकान की दीवार दिखाई दी है। इस मकान में लगी ईंटे गुप्त वंश के समय की होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि इससे पूर्व भी कई बार कर्ण कोट टीले पर कसाण व गुप्तवंश के तीन हजार साल पहले की पुरानी चीजें मिल चुकी है, जिनमें आटा चक्की, चांदी के सिक्के, तलवार के कुंडे, पिघला हुआ लोहा, दो चक्र, मोहर, मंदिर होने के निशान तो वहीं एक काले रंग की मूर्ति भी मिली है। जहां से ये चीजें मिली हैं, उस जगह कर्ण कोट टीले को हरियाणा सरकार ने संग्रहालय बनाने के लिए मंजूरी दी हुई है। उसी के चलते पुरातत्व विभाग ने अधिग्रहण करने की अधिसूचना प्रक्रिया चल रही है। पुरातत्व विभाग इस जगह को खरीद कर इस पर आगे की शोध शुरू करेगा। पुरातत्व विभाग की टीम यहां पर दौरा कर चुकी है। गांव के ही सेफ्टी इंजीनियर अजय कुमार ने बताया कि जब उन्हें गांव से कुछ दूरी पर खेतों में बिखरे हुए पत्थर और कंकाल के अंश मिले तो फिर उन्होंने खुद ही इस पर शोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्हें कई ऐसी चीजें मिली, जिसमें कुछ चीजें तीन हजार साल पुरानी थी, जो कसाण वंश व गुप्तवंश काल की थी। अजय ने पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया तो डायरेक्टर बुनानी भट्टाचार्य अपनी टीम के साथ पांच माह पहले मौके पर आए थे। इसके बाद उन्होंने भी यह माना कि यह वस्तुएं तीन हजार साल पहले की हैं। इन चीजों को पुरातत्व विभाग की टीम को सौंप दिया। अजय को जिम्मेवारी दी कि वह इस जगह की देखरेख करें और अन्य कुछ मिले तो उन्हें समय-समय पर जानकारियों से अवगत करवाते रहें। सेफ्टी इंजीनियर अजय कुमार ने बताया कि भट्टू में जमीन के नीचे जो पुराने समय के अंश मिले हैं, उस जगह का नाम कर्ण कोट बताया गया है, जो एक गांव था। इतिहास के मुताबिक यह गांव संघर्ष की कहानी ब्यां करता है। इस जमीन के आसपास कई कंकाल के अंश उन्हें मिले हैं। यहां एक वॉटर चैनल काफी घेरे में बना हुआ है। यहीं नहीं, एक कुंआ भी है, जो काफी वर्ष पुराना है। यहां से चांदी के सिक्के, आटा पीसने की चक्की, पिघला हुआ लोहा, मिट्टी की मटकी तथा कई प्राचीन काल के अवशेष मिले थे, वहीं संगमरमर के लाल पत्थर के टुकड़े मिले थे, जो दिल्ली के लाल किले के निर्माण में प्रयोग हुआ है। कसाण समय का एक पत्थर ऐसा है, जो फर्श को चिकना बनाने के लिए प्रयोग होता है। जो अंश पुरातत्व विभाग को सौंपे गए हैं, वह मौर्य काल, कसाण, गुप्तवंश तथा मुगल काल समय के अवशेष है। अजय कुमार ने बताया कि महाजनपद कालीन पंच का मिलना इस बात का संकेत है कि यह महानगर वैदिक काल से यहां अस्तित्व में था, जो सरस्वती नदी के तट पर स्थापित था। 3 सितंबर की रात्रि को हुई तेज बारिश के बाद एक मकान की दीवार दिखाई दी है।
प्राचीन काल के अवशेष मिले : डिप्टी डायरेक्टर
पुरातत्व विभाग की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. बुनानी भट्टाचार्य का कहना है कि गांव भट्टू में हजारों साल पहले के अंश मिले हैं। कर्ण कोट गांव का जमीन के नीचे दबा हुआ होना माना जा रहा है। जमीन को अधिग्रहण करने के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके बाद पुरातत्व की टीम वहां खुदाई करेगी और अन्य कई महवपूर्ण जानकारियां जुटाएगी, ताकि और पुराना सामान मिल सके।
फोटो कैपशन 4एफटीडी8 - भूना। गांव भट्टू के कर्ण कोट टीले पर तेज बारिश के बाद प्राचीन काल के समय की दिखाई देती मकान की दीवार।
फोटो कैपशन 4एफटीडी9 व 10 - भूना। गांव भट्टू के कर्ण कोट टीले पर मिली मिट्टी की मटकी व अन्य अवशेष।
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