किसानों की मजबूरी का उठाया जा रहा फायदा : डीएपी के साथ थोपा जा रहा एक हजार रुपये का गेहूं बीज

हरिभूमि न्यूज : महम
क्षेत्र में डीएपी खाद के लिए मारामारी हो रही है। लोग सुबह छह बजे ही महम अनाज मंडी स्थित हैफेड बिक्री केंद्र के आगे लाइन में लग जाते हैं। डीएपी की कमी के चलते किसानों को मजबूरन यहां दिनभर लंबी लाइनों में लगना पड़ता है। किसानों को काफी जद्दोजहद के बाद ही खाद मिलता है। किसानों की इस मजबूरी का फायदा हैफेड कर्मचारी भी उठा रहे हैं। वे डीएपी लेने वाले किसानों पर गेहूं के बीज का एक हजार रुपये का कट्टा थोप रहे हैं।
किसानों का कहना है कि यह गेहूं के बीज का कट्टा उन पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है। खाद लेने पहुंचे फरमाणा गांव के दिलबाग सिंह, सैमाण गांव के रौनक, निंदाना गांव के किसान सुजान सिंह, राममेहर व सतीश, किशनगढ़ के भूप सिंह, भैणी मातों के सुभाष ने बताया कि आधार कार्ड देखने के बाद एक किसान को पांच कट्टे डीएपी दिया जा रहा है। कई घंटे लंबी लाइन में खड़ा होने के बाद डीएपी खाद मिलता है। साथ में गेहूं की 3086 किस्म का एक हजार रुपये का बीज दिया जा रहा है। यह बीज किसान बोना नहीं चाहते। जबकि किसान को चाहिए गेहूं के बीज की 2967 किस्म। इस किस्म का बीज हैफेड बिक्री केंद्र पर उपलब्ध नहीं है।
डीएपी लेने के चक्कर में किसान को मजबूरन हैफेड से अवांछित गेहूं की वैरायटी का बीज लेना पड़ रहा है। इस बात को लेकर किसानों में काफी रोष है। किसानों ने जिला प्रशासन से यहां पर जबरदस्ती बेचे जा रहे गेहूं के बीज के मामले की जांच करने की मांग की है और ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। खाद लेने पहुंचे हिसार जिले के गांव सिंघवा गांव निवासी हरदीप ने बताया कि उनको खाद नहीं दिया जा रहा। जबकि सिंघवा महम के पास का गांव है, गेहूं व अन्य फसलें बेचने के लिए वे महम मंडी में ही आते हैं। लेकिन अब खाद के लिए कहा जा रहा है कि वे हिसार जिले से ही डीएपी खरीदें। उधर हैफेड कर्मचारियों का कहना है कि किसान अपनी मर्जी से गेहूं का बीज ले जा रहे हैं, वे जबदस्ती नहीं कर रहे।
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