त्योहारी सीजन में साइबर ठगों से रहे सावधान, लिंक पर क्लिक करना पड़ सकता है भारी

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
आमजन के बाद जिला उपायुक्त के नाम फर्जी ईमेल (Fake Email) का सहारा लेकर साइबर ठगी का प्रयास करना। अपने आप में शातिर लोगों का काम है। जिला उपायुक्त के इस मामले के बाद साइबर ठगी (Cyber fraud) से जुड़े मामलों को खंगाला गया तो सामने आया है कि जिला में 8 माह में साइबर ठगी के 46 केस दर्ज हुए है। इनमें अकेले 36 केस बैंक खाता (Bank account) से पैसा ट्रांसफर होने से जुड़े मामले है। एक साल में करीब 23 लाख की जिला में साइबर ठगी हो चुकी है। इससे अधिक मामले वह है जो या तो छोटी राशि या फिर बदनामी के डर से पुलिस (Police) में शिकायत लेकर नहीं पहुंचे है।
साइबर अपराधी अपने मंसूबो में आराम से कामयाब हो रहे है। इन 46 में से जो 36 केस बैंक खाता सेे जुड़े है। इन दो माह में इस तरह के 8 केस सामने आए है। ऐसे कई केसों में सामने आया है कि शातिर साइबर ठग दूसरे राज्यों में बैठकर अपना नेटवर्क चला रहे है। यह अलग -अलग तरीके अपनाकर लोगों को ठग रहे है। लोग भी लोभ-लालच में आकर इनके चुंगल में निरंतर फंस भी रहे है।
एक बार फिर पुलिस अधीक्षक चंद्रमोहन ने भी अपनी तरफ से आमजन को साइबर ठगों से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें एसपी ने कहा है कि एक साल में साइबर ठग जिला में करीब 23 लाख रुपए की ठगी कर चुके है। आमजन को बार-बार साइबर ठगों से बचने को कहा जा चुका है। सबसे बड़ी इस बात पर ध्यान देना है कि मोबाइल में अनजान लिंक को न खोले। ओएलक्एस व नापतोल इत्यादि पर मोबाइल, गाड़ी, स्कूल ना खरीदें ओर ना ही अनजान लिंक को क्लिक करें। बीमा, लाटरी बिजनेस सुविधाएं, क्रेडिट, कार्ड ब्लाक वाली जैसी कॉल का उत्तर ना दें। साइबर अपराधी कई तरीके से साइबर अपराध अपना रहे है। कौन बनेगा करोड़पति के माध्यम से भी ठगी की वारदात होने लगी थी।
व्हाट्सएप पर इस तरह की कॉल व मैसेज आ रहे हैं जो पहले व्हाट्सएप पर एक फोटो ओर मैसेज आता है साथ में ऑडियो रिकॉडिंर्ग भी भेज देते हैं। इस तरह के मामले कुछ दिनों से अन्य जिलों में सुनने को मिल रहे थे। इसके अलावा अब साइबर ठग घर या प्लाट में मोबाइल टावर लगाने पर मोटी रकम देने का प्रलोभन दे रहे है। आइडिया या अन्य किसी कम्पनी का मैनेजर बताकर आपके मकान की लोकेशन ली जाती है और 5 वर्ष के लिए मोबाइल टावर लगाने की एवज में नौकरी 40 हजार हर माह व 70 लाख रुपये एडवांस देने की बात करते है। इस तरह के किसी भी बहकावे में ना आए और ना ही ऐसे लोगों को अपने बैंक खाता से जुड़ी डिटेल दें। एसपी ने कहा है कि दीपावली त्योहार पर अपराधियों से सचेत रहने की जरूरत है। इन दिनों इसी अंदाज में साइबर अपराध आपके मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल मैसेज करके ठगने का प्रयास करेंगे।
जन्मतिथि, गाड़ी नंबर व मोबाइल नंबर से ना हो पासवर्ड
जिला प्रवक्ता नरेश कुमार ने बताया कि साइबर सेल के कार्य की लगातार मॉनीटिरिंग एसपी कर रहे है। यहां जांच करने पर ज्यादातर मामले साइबर ठगी के अलग-अलग तरीके सामने आए है। यह शातिर लोग समय-समय पर अपना प्लान बदलते रहते है। इससे पहले यह साइबर ठग आईडी हैक करके दोस्तों से रुपये की डिमांड कर रहे है। ऐसे में अपने फेसबुक आईडी पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहे। अपना पासवर्ड जन्मदिन तारीख, गाड़ी के नंबर, मोबाइल नंबर आदि के न बनाए।
साइबर क्राइम पर लगाम के लिए साइबर सेल में दो गुना स्टाफ किया तैनात
पुलिस अधीक्षक चन्द्रमोहन ने बताया कि साइबर ठगी को पकड़ने की रणनीति पर भी काम करना शुरू कर दिया है। पहले साइबर सेल में स्टाफ का अभाव था। जो अब बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। अब इस कार्य के लिए नए पढ़े-लिखे उन पुलिस कर्मचारियों को लगाया गया है जिन्होंने कम्प्यूटर कोर्स किया हुआ है। इन सभी को साइबर ठगों को काबू करने के लिए ही लगाया गया है। साइबर ठग जिस सिम को प्रयोग करते है वह फेक आईडी पर ली हुई होती है। एक सिम को एक बार ही इस्तेमाल करके फेक देते है। इसीलिए ये अपराधी साइबर की पहुंच से दूर हो जाते है। फिर भी अब स्पेशल साइबर सेल में एक टीम बनाई गई हैं। दिन-रात यह टीम इन साईबर ठगों को पकड़ने का भरसक प्रयास कर रही है। आमजन भी ऐसे शातिर साइबर ठगों के किसी भी प्रलोभन में ना आए।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS