गूगल पे, फोन पे, पेटीएम, क्यूआर कोड व फर्जी लिंक से होने वाले ऑनलाइन फ्रॉड से रहें सतर्क

हरिभूमि न्यूज , चरखी दादरी
आम लोगों को ऑनलाइन साइबर क्राइम से बचाव व सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए जिला पुलिस द्वारा चलाया जा रहा जागरूकता अभियान लगातार जारी है। पुलिस अधीक्षक नितिका गहलोत के दिशा निर्देश अनुसार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के तहत आमजन को साइबर अपराध,ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से बचाव व सजग करने के साथ.साथ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जालसाज व्यक्ति लोगों से ठगी करने की नियत से अलग.अलग तरह के तरीके अपनाते रहते हैं। जालसाज शातिर व्यक्ति द्वारा ठगी की नियत से किसी आम व्यक्ति को किसी तरह के लालच का झांसा देते हुए रुपए ऐंठने के लिए लिंक क्लिक या क्यूआर कोड स्कैन करवा कर रुपये अपने खाते में लेने की लुभावनी बातें की जाती है। किंतु जैसे ही किसी व्यक्ति के द्वारा इसे स्कैन या क्लिक किया जाता हैए उसके खाते में पैसे आने की बजाय निकल जाते हैं। क्योंकि यह पैसा प्राप्ति का क्यूआर कोड या लिंक होता है।
उन्होंने बताया कि जालसाज व्यक्ति किसी दुकानदार या व्यापारी को कॉल करके पैसों के भुगतान के लिए गूगल या फोन पे के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर की मांग करता है। किसी तरह के ऑनलाइन अपराध से अनजान व्यक्ति अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर सांझा कर देता है। क्यूआर कोड को जालसाज अपराधी द्वारा पैसा रिफंड या कैशबैक इत्यादि लिखकर इस प्रकार पेश किया जाता है, जिससे कि कोई व्यक्ति उसकी बातों पर भरोसा कर सके। जबकि वास्तव में यह लिंक या क्यूआर कोड पैसे निकालने के लिए होता है। सीधा.सादा व्यक्ति बैंक खाते के साथ पंजीकृत फोन नंबर पर आए मैसेज पर ध्यान नहीं देता। निकासी लिंक या क्यूआर कोड को स्कैन करते ही पैसा प्राप्त करने की बजाय उसके खाते से किसी अन्य खाते में ट्रांसफर हो जाता है।
सावधानी रखनी जरूरी
साइबर क्राइम व ऑनलाइन धोखाधड़ी या ठगी से बचने के लिए कुछ सावधानियां रखी जानी अति आवश्यक हैं। साइबर क्राइम अथवा किसी भी प्रकार की ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए यह जरूरी है कि किसी भी अज्ञात नंबर से प्राप्त किसी भी प्रकार के लिंक या क्यूआर कोड पर क्लिक या स्कैन ना किया जाए। फर्जी ऐप फोन के डेटा तक पहुंचने और धोखाधड़ी की गतिविधियों को अंजाम देने में सक्षम होते हैं। लालच में आकर आम लोग इन ऐप्स को डाउनलोड कर लेते हैं। इस तरह के लिंक को ओपन करते ही उपभोक्ता का मोबाइल शातिर ठग हैक कर लेते हैं और ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं। पैसे की प्राप्ति के लिए कभी भी एम पिन या यूपीआई पिन दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती।
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