Bhiwani : हलकी बारिश से लुढ़का पारा, व्यवस्था न होने से मंडियों में भीगा बाजरा

Bhiwani : हलकी बारिश से लुढ़का पारा, व्यवस्था न होने से मंडियों में भीगा बाजरा
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अचानक मौसम के मिजाज में आया बदलाव सभी को राहत देने वाला रहा। हालांकि तेज बारिश नहीं हुई, लेकिन बारिश ने लोगों को गर्मी व उसम से राहत दिला दी। वहीं बाजरे की खरीद के पहले दिन व्यवस्थाए न होने की वजह से अनाजमंडी में हलकी बारिश से ही बाजरे की ढ़ेरियां भीग गई।

Bhiwani : अचानक मौसम के मिजाज में आया बदलाव सभी को राहत देने वाला रहा। हालांकि तेज बारिश नहीं हुई, लेकिन बारिश ने लोगों को गर्मी व उसम से राहत दिला दी। हल्की बारिश से पारा तीन डिग्री सेल्सियस नीचे लूढ़क आया। पारा नीचे आने की वजह से लोगों को गर्मी से राहत मिल गई। वहीं बाजरे की खरीद के पहले दिन व्यवस्थाए न होने की वजह से अनाजमंडी में हलकी बारिश से ही बाजरे की ढेरियां भीग गई। कई ढेरियों के नीचे पानी घुस गया। हालांकि थोड़ी सी धूप लगाने के बाद बाजरे की नमी खत्म हो जाएगी, लेकिन फिलहाल तो निर्धारित मापदंड से बाजरे में नमी ज्यादा हो गई।

दोपहर एक बजे के आसपास अचानक आसमान में काले बादल एकत्रित हो गए और कुछ देर बाद तेज हवा का झौंका आया। हवा के साथ ही हलकी बूंदाबांदी शुरू हो गई। देखते-देखते बूंदाबांदी ने गति पकड़ ली। कहीं पर पांच एमएम तो कहीं पर छह एमएम बारिश दर्ज की गई। हलकी बारिश से भी खरीफ फसलों में फायदा होगा। क्योंकि इस वक्त खरीफ फसलों में सिंचाई की जररूत थी। हलकी बारिश ने पूरी कर दी।

बूंदाबांदी से तीन डिग्री गिरा पारा

शनिवार दोपहर बाद आई हलकी बारिश से पारा तीन डिग्री नीचे लूढ़क गया। पिछले कई दिनों से पारा 36 डिग्री सेल्सियस पर था। आज हलकी बारिश से पारा लूढ़क कर 33 डिग्री सेल्सियस पर आ पहुंचा। कई दिनों से लोग गर्मी व उमस से बेहाल थे, लेकिन आज हलकी बारिश से मौसम में ठंडक घुल गई। मौसम मंे परिवर्तन होने की वजह से खरीफ फसलों में फायदा होगा। क्योंकि ज्यादा गर्मी की वजह से फसलें मुंर्झाने लगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि सितम्बर माह में तेज बारिश नहीं आने की वजह से खरीफ की फसलों को सिंचाई की जरूरत है।

व्यवस्थाओं ने खोली खरीद प्रक्रिया की पोल

इस सीजन में बाजरे की सरकारी खरीद आज से शुरू हुई। खरीद के पहले अनाजमंडी में कोई व्यवस्था नजर नहीं आई। शैडों के नीचे बाजरे की ढेरी न बनाने की वजह से आज आई हलकी बारिश ने उनको भीगो दिया। ढलान वाले इलाकों में बाजरे की ढेरी होने के चलते बारिश का पानी से भीग गई। क्योंकि बाजरे की ढेरियों को तिरपाल से ढका नहीं । फिलहाल हलकी बारिश से बाजरे की ढेरियों में नमी ज्यादा बन गई। बाद में उन ढेरियों की नमी निर्धारित करने के लिए धूप में सुखाया गया और शाम तक उनकी नमी भी जाती रही।

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