भिवानी खनन हादसा : एक शव और मिला, माइनिंग कंपनी ने किया इतना मुआवजा देने का ऐलान, बचाव कार्य जारी

भिवानी खनन हादसा : एक शव और मिला, माइनिंग कंपनी ने किया इतना मुआवजा देने का ऐलान, बचाव कार्य जारी
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शनिवार की सुबह गांव डाडम की एक खान में एक भारी भरकम चट्टान खिसकने से बड़ा हादसा हो गया था। बचाव कार्य अभी भी जारी है। अब तक हादसे में चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।

हरिभूमि न्यूज : भिवानी/तोशाम

शनिवार की सुबह गांव डाडम में चट्टान खिसकने से हुए दर्दनाक हादसे में बचाव कार्य के दौरान शनिवार-रविवार की रात को एनडीआरएफ गाजियाबाद के बचाव दल में जर्मन शेफर्ड रोडरीक ने पंजाब के होशियारपुर जिले के दिनेशदत्त के शव के एक पत्थर के नीचे दबा होने के संकेत दिए। इस पर बचाव कार्य में जुटी एनडीआरएफ की टीम ने रात करीब सवा दो बजे शव काे बाहर निकाला। वहीं दूसरी ओर उपायुक्त आरएस ढिल्लो व पुलिस अधीक्षक अजीत सिंह शेखावत सहित पूरा प्रशासनिक अमला शनिवार रात भर से घटना स्थल पर तैनात रहा। रविवार को भी उपायुक्त ढिल्लो और पुलिस अधीक्षक शेखावत बचाव कार्य को निरंतर जरूरी निर्देश देते रहे। बचाव कार्य निरंतर अभी जारी है।

उल्लेखनीय है कि शनिवार की सुबह गांव डाडम की एक खान में एक भारी भरकम चट्टान खिसकने से बड़ा हादसा हो गया था। हादसे की सूचना मिलते ही कृषि मंत्री जेपी दलाल व उपायुक्त आरएस ढिल्ला, पुलिस अधीक्षक अजीत सिंह शेखावत व एसडीएम तोशाम मनीष फौगाट सहित पूरा प्रशासनिक मौके पर पहुंचा। जिला प्रशासन ने एक तरफ जहां राहत कार्य शुरु करवाया,वहीं दूसरी ओर एनडीआरएफ गाजियाबाद के अधिकारियों से तुरंत संपर्क साधा। गाजियाबाद से डिप्टी कमांडेंट बेगराज मीणा के नेतृत्व में 42 लोगों की टीम शनिवार शाम को ही मौके पर पहुंची और तुरंत प्रभाव से बचाव कार्य में जुट गई।


पत्थरों के नीचे दबे शव को निकालते रेस्क्यू टीम के सदस्य।

रोडरीक ने दिए पत्थर के नीचे शव दबा होने के संकेत

एनडीआरएफ गाजियाबाद के टीम रातभर बचाव कार्य में जुटी रही और यह बचाव कार्य रविवार समाचार लिखे जाने तक चलता रहा। बचाव कार्य के दौरान शनिवार की रात करीब दो बजे एनडीआरएफ की डॉग स्कायड में शामिल रोडरीक डॉग ने पंजाब के होशियारपुर जिले के दिनेशदत्त के शव के एक पत्थर के नीचे दबा होने के संकेत दिए। इस पर बचाव दल ने तुरंत प्रभाव से दिनेश के शव को बाहर निकाला। अब तक हादसे में दिनेशदत्त सहित चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिसमें दिनेशदत्त के अलावा बिजेंद्र बागनवाला, तूफान बिहार व संजय जींद शामिल हैं। बचाव कार्य में रोडरीक के अलावा जर्मन शेफर्ड टेस्टमनी भी शामिल है।

40 बाई 30 फीट की शिला को किया ड्रील

एनडीआरएफ गाजियाबाद टीम के अनुसार करीब 40 बाई 30 फीट की भारी भरकम शिला नीचे गिरी हुई है। उस चट्टान को ड्रील किया जा रहा है। तीन चार जगह से ड्रील होने बाद ही चट्टान को ब्लास्ट किया जाएगा। पांच से दस लोगों को एक साथ बचाव के लिए भेजा जा रहा है। हर दो-दो घंटे में शिफ्ट के साथ बचाव दल के लोगों को चेंज कर दिया जाता है। बचाव कार्य में जाने वाले लोगों का पूरा रिकार्ड रखा जाता है। बचाव कार्य के दौरान करीब छोटे-बड़े छह व्हीकल निकाले जा चुके हैं।


भारी भरकम पत्थर को तोड़ने के लिए लगाई गई ब्लास्टिंग।

चिकित्सकों की टीम रातभर रही मौजूद

बचाव कार्य के दौरान चिकित्सकों की टीम भी रात भर मौजूद रही। स्वास्थ्य विभाग से तीन एंबूलेंस रात को घटनास्थल पर रही। इनमें एक एंबूलेंस वेंटीलेटर युक्त थी। चिकित्सकों में डॉ पुनीत ग्रोवर, डॉ दिनेश कुमार की टीम मौजूद रही। वहीं दूसरी ओर फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां भी मौजूद रही है। बचाव कार्य के दौरान बिजली निगम से कार्यकारी अभियंता संजय रंगा और कुलदीप मोर को एनडीआरएफ की टीम के साथ कॉर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। बचाव कार्य के दौरान एसडीएम तोशाम फौगाट रातभर खड़े रहे और अपने अधीनस्थ अधिकारियों को जरूरी निर्देश देते रहे। इस दौरान तहसीलदार रविंद्र मलिक, नायब तहसीलदार अशोक सांखला, ड्यूटी मेजिस्ट्रेट बीडीपीओ रविंद्र दलाल व जिला सीआईडी प्रभारी सुनील कुमार सहित संबंधित विभागों से अधिकारी मौजूद रहे।

मृतकों के परिजनों को दस-दस तो घायल को दिए जाएंगे दो-दो लाख रुपये

उधर डाडम पहाड़ में हादसे के मामले को लेकर खनन करने वाली कंपनी गोवर्धन माइंस की तरफ से बड़ा बयान जारी हुआ है। इस मामले में कंपनी के माइनिंग मैनेजर संजय सिन्हा और सीईओ वेदपाल तंवर ने कहा कि कंपनी अपने नियमों के तहत खनन कर रही है। माइनिंग मैनेजर ने बताया कि जहां पर हादसा हुआ है उसके दोनों तरफ के पहाड़ वन विभाग के नियंत्रण में है वहां पर कोई भी खनन कार्य नहीं हो रहा है बल्कि कंपनी ने अपने हिस्से की भी कुछ क्षेत्र वन विभाग के लिए छोड़ रखा है पिछले करीबन दो माह से खनन कार्य पूरी तरह से बंद था एक जनवरी को ही खनन कार्य की शुरुआत होनी थी परंतु खनन की शुरुआत होने से पहले ही वन विभाग की तरफ की पहाड़ी से एक हिस्सा दरक कर गिर गया कंपनी पूरे नियमों के तहत खनन कार्य कर रही है, हमने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है वेदपाल तंवर ने बताया कि कंपनी हादसे में मरने वाले मजदूरों को 10-10 लाख रुपए और घायल को 2 लाख सहायता राशि के तौर पर देगी और जो भी राहत कार्य जारी है हम उसमें प्रशासन का पूरा सहयोग कर रहे हैं।


पल-पल की जानकारी लेते अधिकारी व लोग

अपनों को ढूंढते-ढूंढते पथराई आंखे

जिन लोगों को हादसे में मारे गए लोगों शव मिल गए। उनके लिए राहत की बात यह है कि वे अपनों का अंतिम संस्कार कर सकते हैं, लेकिन जिन लोगों का आज तक अता-पता ही नहीं है। उन पर दोहरा दु:खों का पहाड़ टूटा हुआ है। कभी वे पहाड़ की खदानों की तरफ देखते है तो कभी रेस्क्यू टीम से अपनों की खोज खबर की जानकारी ले रहे हैं। यह पूछते-पूछते ही उनकी आंखे पथरा गई हैं। गांव थिलौड निवासी भूपसिंह ने बताया कि उसका मामा गांव थिलौड निवासी धर्मबीर हादसे के वक्त खदान में ही था। वह पत्थरों के नीचे दब गया या और कुछ। वे पिछले 24 घंटे से डाडम पहाड़ की उस खान के पास हैं। जहां पर वजनी पत्थर गिरे हैं। वे अकेले ही नहीं उनका व उनके मामा का पूरा परिवार यहीं पर है। उल्लेखनीय है कि डाडम में अभी तक चार लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। दो लोग गंभीर रुप से जख्मी हैं जिनका उपचार चल रहा है। इनके अलावा अभी एक व्यक्ति लापता है। उसकी खोज खबर में सभी रेस्क्यू टीम लगी है।

डरावना था हादसे का सीन

घटना के समय खदान में ही मौजूद थिलोड निवासी अमित ने बताया कि घटना के समय खदान के अंदर ही था। यह घटना करीबन 9 बजकर 7-8 मिनट की है। वह गाड़ी के पास में खड़ा था। शुरुआत में ऊपर से थोड़ा सा रेत गिरा। उसके बाद एक धूल का गुब्बार सा बना। उसके बाद एकदम तेज धमाके बाद के बाद एकदम से पूरा पहाड़ सरक कर नीचे आ गया। बड़ी-बड़ी शिलाएं आ गिरी। उस समय हालात काफी डरावने थे। गनीमत रही कि वह गाड़ी के पीछे ओट में खड़ा हो गया और उसकी जान बच गई। स्थिति शांत होने के बाद ही बाहर निकल कर आया। अगर वह उस वक्त थोड़ी सी भी लापरवाही करता तो शायद उसका बच पाना भी बड़ा मुश्किल होता। भीष्म महता ने बताया कि उनकी हाईवा गाड़ी मलबे के नीचे दबी हुई है। उन्होंने बताया की उनके चालक को चौटें आई हैं और लाइफ लाइन हिसार में दाखिल है। शुक्र है भगवान का, उनकी गाड़ी का चालक केवल चोटिल हुआ। चोंट तो कुछ दिनों के बाद ठीक हो जाती है, लेकिन अगर कोई पत्थर गिर जाता तो जख्म कभी भी नहीं भर पाता।

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