Bhiwani : प्रदेश के 90 हजार शिक्षकों का अटका वेतन, ट्रेजरी में नहीं पहुंचा बिल तो लटका बजट

- लिपिकों की हड़ताल के कारण समय पर नहीं पहुंचा बिल
- शिक्षकों के सामने बिजली, पानी, दूध, किराया और बैंक लोन चुकाना बना चुनौती
Bhiwani : लिपिकाें की हड़ताल का असर आमजन पर ही नहीं, शिक्षकों पर भी पड़ गया। लिपिकाें द्वारा वेतन के बिल ट्रेजरी में पास व बजट न डलवाने की वजह से जुलाई माह का वेतन जारी नहीं हो पाया। पूरे प्रदेश में इस तरह के शिक्षकों (Teachers) की संख्या करीब 90 हजार के आसपास है। वेतन दिवस पर वेतन न मिलने के चलते इस बार शिक्षक दूध, पानी, बच्चों की फीस, लोन की किस्त आदि चुकता नहीं कर पाएंगे। हालांकि जिन स्कूलों के डीडीओ एक्टिव है और उनको ट्रेजरी के कार्य का ज्ञान है, उन्हाेंने अपने स्टाफ का वेतन ड्रा करवा लिया, लेकिन जो विभाग पूरी तरह से लिपिकों के रहमोक्रम पर आश्रित है, उनको अभी तक जुलाई माह का वेतन नहीं मिला।
जानकारी अनुसार विभिन्न विभागों के लिपिक पांच जुलाई से हड़ताल पर है। लिपिकों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से सबसे ज्यादा कार्य तहसील व स्कूलों का प्रभावित हुआ है। तहसीलों में तो जैसे-तैसे सरकार ने व्यवस्था पटरी पर लाने का प्रयास किया है, लेकिन अब लिपिकों की हड़ताल पर जाने की वजह से शिक्षकों का वेतन अटक गया है। फिलहाल प्रदेश के करीब 90 हजार के आसपास शिक्षकों को पे-डे पर वेतन नहीं मिल पाया। यह स्थिति पूरे प्रदेश के शिक्षकों के साथ बनी। जिस स्कूल के डीडीओ पूरी तरह से लिपिकों पर डिपेंड है, उनके सामने वेतन का मसला बना हुआ है। वे इस बारे में किसी के समक्ष ऐतराज भी नहीं जता सकते। इस समस्या का समाधान लिपिकों की हड़ताल खत्म होने के बाद ही हो पाएगा।
कैसे बनते है सेलरी के बिल
बताते है कि स्कूल के प्रत्येक लिपिक को एक यूजर व पासवर्ड मिलता है। वे साइट पर जाकर उससे साइट खोलते है। साइट खोलने पर बिल जरनेट होते है और ट्रेजरी में चले जाते है। वहां पर लिपिक उनको पास करके वापस उसी साइट पर डाल देते है। उसके बाद शिक्षकों के खाते में अपने आप तनख्वाह चली जाती है। अगर पहले बिल तैयार नहीं होंगे तो किस तरह से शिक्षकों के खाते में सेलरी आएगी।
नहीं भर पाएंगे दूध, बिजली, पानी का बिल
पहली बार शिक्षकाें को पे- डे पर वेतन जारी नहीं हुआ है। वेतन न मिलने की वजह से इस बार शिक्षकों के बिजली, पानी, बच्चों की फीस व दूध आदि का बिल पे नहीं कर पाएंगे। इनके अलावा जिन शिक्षकों ने किसी भी बैंक से गाड़ी लोन पर ले रखी और उनकी मासिक किस्त है। तो उनके लिए भी बड़ी मुसीबत बनने वाली है। खाते में किस्त के पैसे न होने के चलते किस तरह से बैंक या फाइनेंस कम्पनी किस्त के पैसे काट सकेगी। इस बार शिक्षकों की जेब पर जुर्माने का भार पड़ने वाला है।
यह भी पढ़ें - Yamunanagar : पैसा कमाने के चक्कर में व्यक्ति बना साइबर ठगी का शिकार, गंवाए 47 लाख
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS