Bhiwani : मुर्राह नस्ल की भैंस पालने का हब बना गांव कुंगड़

- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गांव ने बनाई अलग पहचान
- गांव में लाल कुंआ है प्राचीन संस्कृति का प्रतीक
Bhiwani : सरकारी, गैर सरकारी नौकरियों, खेलों, उच्च पदों पर अपनी साख बना चुके गांव कुंगड़ के लोग पशुपालन में भी पीछे नहीं हैं। गांव कुंगड़ की मुर्राह नस्ल की भैंसों के चर्चे दूर दराज तक हैं। बताते हैं कि 1265 में राजस्थान के ढ़ोसी गांव से यहां आकर चंदेरा गोयत ने कुंगड़ गांव को बसाया था। गांव के हट्टे कट्टे जवान होने के चलते इस गांव का नाम कुंगड़ पड़ गया। हरियाणवी भाषा में हट्टे कट्टे जवानों को कुंगर कहा जाता है। कुंगर से ही कुंगड़ शब्द का विकास हुआ है।
चंदेरा गोयत पहले गांव से करीब 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित खेतों में एक जगह पर आकर बसे थे लेकिन वहां पर पानी की व्यवस्था नहीं थी तो बाद में चंदेरा ने पानी की खोज की और उसे गांव कुंगड़ के स्थान पर एक कुंआ व जोहड़ मिला। इसके बाद वे खेतों को छोड़कर यहां पर आकर बस गए। गांव की पूर्व दिशा में आज भी खेतों में खेड़ा नाम की जगह बताई जाती है जिसमें गांव बसने के संकेत देखे जा सकते हैं। गांव में कृषि योग्य भूमि का रकबा करीबन 2404 हेक्टेयर बताया जाता है और गांव की आबादी भी 12 हजार से अधिक बताई जाती है। आबादी बढ़ने के चलते गांव में दो पंचायतों का गठन किया गया, जिसमें बड़ा पाना व छोटा पाना नाम से पंचायत हैं।
ऐतिहासिक है लाल कुंआ
गांव में आधा दर्जन से अधिक कुंए हैं जिनमें लाल कुआं, धौला कुंआ, फेरूवाला कुआं, डेहरी कुंआ व अन्य कुंए स्थापित हैं। यह कुंआ गांव बसने से पहले का ही स्थित है। कुंए को भव्य आकृति प्रदान की गई है जो गांव के सौंदर्य को चार चांद लगा रहा हे। यहां पर हर आगंतुक कुंए को देखने के लिए अवश्य आता है। गांव में करीब एक दर्जन छोटे बड़े जोहड़ हैं जिनमें रामेसर बिखनवाला, फेरूवाला, राजा डोभा, डेहरी, हरियावाला, बुखारीवाला,सुईयावाला, खाई जोहड़ आदि है। रामेसर जोहड़ तीर्थ स्थान माना गया है। बुजुगोंर् के मुताबिक इस जोहड़ में पहले कांच की पैडि़या हुआ करती था जोहड़ में स्थान करने से चर्म रोग ठीक हुआ करते थे।
ये रही हैं प्रसिद्ध हस्तियां
गांव में पंडित माधव प्रसाद मिश्रा पुराने समय के उच्च कोटि के लेखक एवं कवि रहे हैं। इसके अलावा संत निश्चल दासए संत राम जी आदि भी प्रसिद्ध विद्वान रहे हैं। विद्वानों की जीवनी एवं रचनाओं को स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्त्रम में भी शामिल किया गया। इसके अलावा गांव के संतय ख्यालीनाथ भी रहे जिनका डेरा आज भी गांव बलंबा में है वहां के लोग संत ख्यालीनाथ की आज भी पूजा अर्चना करते हैं। वहीं ग्रामीणों के मुताबिक वर्ष 1965 की लड़ाई में गांव के लाजपत गोयत व धर्मबीर गोयत ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। गांव के मंशाराम सिहाग व श्योकरण गोयत स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। गांव के बीच में ग्रामीणों ने चंदेरा चौक भी बनाया हुआ हे। इस चौक में करीब सात हजार व्यक्ति एक साथ बैठ सकते हैं। चौक स्थल को पूरी तरह से पक्का बनाया गया है और कार्यक्त्रम का आयोजन के लिए मंच का भी निर्माण किया हुआ है। यहां पर लोग बैठकर गांव के हित के फैंसले लेते हैं और अनेक कार्यक्रमों का आयोजन भी इसी चौक पर किया जाता है। यह चौक भी गांव क सौंदर्यकरण को बढ़ रहा है।
खेलों में भी आगे रहता है गांव
गांव खेलों में भी आगे है। पुराने वक्त में यहां की कबड्डी की टीम पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध रही है। कबड्डी के खिलाड़ी कमान सिंह गोयत, छाजूराम गोयत, रतिराम जांगड़ा, रोहताश, पप्पू, रामसिंह आदि सर्वश्रेष्ट खिलाड़ी रहे हैं। इसके अलावा लड़कियों ने खो-खो व कबड्डी में गांव का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। यहां पर योगा का भी काफी महत्व है। कई युवा विदोशों में जाकर योग शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं। लड़कियां ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी खेलों में भी कई बार चैंपियनशिप रह चुकी हैं। कबड्डी में भी लड़किया काफी आगे हैं।
गांव की मुर्रा नस्ल की भैंस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध
गांव को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुर्राह नसल की भैंस पालने की पहचान मिली हुई है। गांव के हर घर में मुर्रा नस्ल की भैंस बंधी देखी जा सकती है। यहां के कटडे व भैंस विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। लाखों रूपयों की कीमत की भैंस एवं कटड़े हर खूंटे पर बंधे देखे जा सकते हैं। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में यहां की भैंस हर बार बाजी मारती हैं और पशुपालकों को लाखों रूपयांे का पुरस्कार हासिल हुआ है। पूरे देश से व्यापारी यहां पर भैंसे खरीदने के लिए आते हैं।
यह भी पढ़ें - Fatehabad : स्कूल में नाबालिग छात्र की शिक्षक ने की बेरहमी से पिटाई
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS