Agneepath Scheme : अग्निपथ योजना पर विपक्ष ने उठाए सवाल, भूपेंद्र हुड्डा और अभय चौटाला ने कही ये बात

चंडीगढ़। सेना भर्ती के लिए बनाई गई नई अग्निपथ योजना को लेकर हरियाणा में विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस योजना को न तो देश हित में न ही नौजवानों के हित में बताया और सरकार से अनुरोध किया कि इस पॉलिसी पर पुनः विचार करे साथ ही इसे तर्कसंगत बनाते हुए 4 साल बाद बाद सेना से निकले जवानों को स्थायी जॉब देने की नीति लेकर आए। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना को लेकर देश भर के नौजवानों में मायूसी है। इस योजना को तैयार करते समय इसके दूरगामी परिणामों पर पूरी तरह से विचार नहीं किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय में इस पॉलिसी का असर बेहद बुरा होगा जो देश की सुरक्षा के हित में भी नहीं है। ऐसा लगता है कि सरकार वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी का पैसा बचाने और सैन्य बल की क्षमता को घटाकर आधा करने की नीयत से देश की सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के नाम पर पिछले 3 वर्षों से सेना में भर्ती बंद होने के चलते बड़ी संख्या में युवा ओवरएज हो चुके हैं। इस नई पॉलिसी के लागू होने के बाद जो नौजवान पिछले कई वर्षों से सेना भर्ती की आस लगाये बैठे थे न सिर्फ उनको, बल्कि उन नौजवानों जिन्होंने सेना भर्ती के लिये लिखित परीक्षा, फिजिकल टेस्ट दे दिये थे और परिणाम का इंतजार कर रहे थे, की भी उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने मांग करी कि सरकार पिछले 3 वर्षों में ओवरएज हो चुके युवाओं को आयु सीमा में छूट देने पर भी विचार करे।
भारतीय सेना की मजबूत और सुदृढ़ कार्यप्रणाली को खत्म करने वाली योजना : अभय चौटाला
इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा भारतीय सेना के तीनों अंगों में युवाओं की भर्ती के लिए अग्रिपथ योजना लाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह सदियों से चली आ रही सेना की मजबूत और सुदृढ़ कार्यप्रणाली को खत्म करने वाली योजना है। इस योजना के तहत युवाओं को ठेके पर नियुक्त किया जाएगा और फिर चार साल बाद उन्हें हटा दिया जाएगा जो देश के युवाओं के भविष्य के साथ सरासर खिलवाड़ है। भारतीय सेना में जाट रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, सिख लाइट इन्फैंट्री, गोरखा राइफल्स, राजपूत रेजिमेंट जैसी सिंगल क्लास रेजिमेंट में सैनिकों की भर्ती होती है जो देश के सभी मार्शल कौम का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन अब 'आल इंडिया आल क्लास मैथड' के तहत भर्ती होने से उनका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
रक्षा विशेषज्ञों ने यह भी अवगत कराया है कि फौजी नाम, नमक और निशान के साथ उनकी यूनिट के युद्ध के नारे पर केंद्रित होकर जीते हैं। कठिन परिश्रम और बलिदान के बाद भारतीय सेना की वर्ग इकाइयां अपने वर्तमान मानकों पर पहुंच पाई हैं। गोरखा रेजिमेंट जिसमें नेपाल के गोरखा, जो एक लड़ाकू कौम है, भारतीय सेना में भर्ती होते हैं जिससे उनकी आजीविका चलती है। गोरखा रेजिमेंट का अंग्रेजों के समय में विश्व-युद्ध से लेकर आज तक गौरवशाली इतिहास रहा है। गोरखा रेजिमेंट के कारण चीन आज तक भारत से सीधा युद्ध करने से डरता रहा है। भारत सरकार के इस आत्मघाती कदम के कारण अब नेपाली गोरखा चीन की तरफ देखने लगेंगे जो कि भारत के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है क्योंकि अग्रिपथ योजना के तहत न तो उन्हें पेंशन मिलेगी और न ही अन्य सुविधाएं जो आज मिल रही हैं वो मिलेंगी। इसलिए केंद्र की भाजपा सरकार को अपने इस सैनिक विरोधी फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और अग्रिपथ जैसी घातक योजना लागू करने के बजाय सेना की नियमित भर्ती करनी चाहिए।
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