एक्शन मोड में आए भूपेंद्र यादव, राव इंद्रजीत के किले में सेंध लगाने की पूरी तैयारी

एक्शन मोड में आए भूपेंद्र यादव, राव इंद्रजीत के किले में सेंध लगाने की पूरी तैयारी
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ऐसा माना जा रहा है कि अहीरवाल में राव का मजबूत विकल्प बनाने के लिए भूपेंद्र यादव को इस क्षेत्र में एक्टिव होने के निर्देश मिल चुके हैं।

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी

भाजपा अहीरवाल क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के नखरे अब ज्यादा समय तक नहीं झेल पाएगी। इस क्षेत्र में अचानक बढ़ रही केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र यादव की सक्रियता इस बात संकेत दे रही है कि अहीरवाल की राजनीति के मैदान में अब भूपेंद्र यादव खुलकर बैटिंग करने के लिए तैयार हैं। रविवार को रेवाड़ी में सैनी सभा के कार्यक्रम में शामिल होने के दूसरे ही दिन दड़ौली, कनीना और महेंद्रगढ़ में हुए कार्यक्रम इस बात का इशारा करने के लिए काफी हैं कि अब भूपेंद्र अपने दम पर अहीरवाल क्षेत्र में 'राव मुक्त भाजपा' का दमदार ग्राउंड तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

अहीरवाल भाजपा के कई पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं का करीब 8 साल बाद भी राव के साथ सामंजस्य नहीं बैठ पाया है। इस क्षेत्र में अपने मजबूत जनाधार की बदौलत वह पार्टी हाईकमान को कई बार अपनी जिद के सामने झुकाने में कामयाब हो चुके हैं। विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण से लेकर से मंत्रिमंडल के गठन तक में राव ने अपनी खूब चलाई थी। यह सिलसिला इसके बाद पार्टी सिंबल पर लड़े जाने वाले निकाय चुनावों में चेयरमैन की टिकट तक पहुंच गया था। अहीरवाल में अपने जनाधार की बदौलत उन्होंने हमेशा पार्टी हाईकमान को अपनी शर्तों पर चलने के लिए मजबूर किया। इसके बावजूद वह प्रदेश सरकार के साथ तालमेल बनाकर नहीं चल पाए। कई मौकों पर वह प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े चुके हैं। पार्टी में रहकर पार्टी पर हमला बोलना उनकी फितरत में शमिल हो चुका है।

भाजपा के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं से राव की दूरी अभी तक बरकरार है। गत वर्ष भाजपा ने भूपेंद्र यादव को केंद्र में मंत्री बनाकर राव को अप्रत्यक्ष रूप से झटका देने का काम किया था। इसके बाद अहीरवाल क्षेत्र में जब भूपेंद्र की स्वागत यात्रा निकालने का निर्णय हाईकमान की ओर लिया गया, राव खेमा खुद को बुरी तरह परास्त मानने लगा था। इस यात्रा में राव समर्थकों को बुलाया तक नहीं गया था। राव ने ऐन मौके पर भूपेंद्र के साथ अपने रेवाड़ी निवास पर डिनर फिक्स कराकर कार्यकर्ताओं को हौसला देने प्रयास किया था। इसके बाद पार्टी को नए सिरे से अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास कराने के लिए राव ने गत वर्ष 23 सितंबर को पटौदा में शहीदी दिवस रैली का आयोजन किया था।

राव की पटौदा रैली के बाद भूपेंद्र यादव अहीरवाल की राजनीति में निष्क्रिय नजर आाने लगे थे। हाल ही में सीएम मनोहलाल, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ और पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने राव के दिल्ली निवास पर डिनर किया था। इसका मकसद राव को अपनी अलग खिचड़ी पकाने की बजाय, पार्टी की नीतियों के साथ चलने के लिए तैयार करना था। ऐसा माना जा रहा है कि अहीरवाल में राव का मजबूत विकल्प बनाने के लिए भूपेंद्र यादव को इस क्षेत्र में एक्टिव होने के निर्देश मिल चुके हैं। रेवाड़ी कार्यक्रम में शामिल होने के दूसरे ही दिन उनका महेंद्रगढ़ और कनीना जिले में कार्यक्रमों में शामिल होना इस बात सबूत माना जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि भूपेंद्र के इन कार्यक्रमों में राव विरोधी खेमे के भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ शामिल हो रहे हैं। भूपेंद्र की इस क्षेत्र में सक्रियता आने वाले समय में 'राजा' के किले पर खतरा साबित हो सकती है।

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