भूपेंद्र हुड्डा ने आंकड़ों के जरिए पेश किया सभी सरकारों की एमएसपी का लेखा-जोखा

भूपेंद्र हुड्डा ने आंकड़ों के जरिए पेश किया सभी सरकारों की एमएसपी का लेखा-जोखा
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  • एमएसपी बढ़ाने के मामले में कांग्रेस से कोसों पीछे भाजपा-जजपा और भाजपा-इनेलो की सरकार
  • जनता को परेशान करने वाले पोर्टल चलाने व जनता पर पुलिस की लाठियां चलवाने में व्यस्त
  • बीजेपी-जेजेपी को हो गया करारी हार का अहसास, इसलिए अब अलग होने का ढूंढ रहे बहाना

Haryana : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में पीपी मॉडल यानी पुलिस और पोर्टल की सरकार चल रही है। अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाय बीजेपी-जेजेपी सिर्फ जनता को परेशान करने वाले पोर्टल चलाने और जनता पर पुलिस की लाठियां चलवाने में व्यस्त है। सरकार की जिम्मेदारी किसानों को उसकी फसलों का उचित रेट देना होता है। लेकिन मौजूदा सरकार में एमएसपी मांगने वाले किसानों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। शाहबाद में सूरजमुखी के किसानों पर सरकार द्वारा की गई बर्बरता दुर्भाग्यपूर्ण है, जो सरकार किसानों की आय दोगुना करने का वायदा करती थी, उसने किसानों की लागत को कई गुणा बढ़ा दिया।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) ने बीजेपी-इनेलो से लेकर कांग्रेस और बीजेपी-जेजेपी की सरकारों में हुई एमएसपी में सालाना औसतन बढ़ोतरी का ब्यौरा रखते हुए कहा कि 1999 से लेकर 2004 तक भाजपा-इनेलो गठबंधन की सरकार के दौरान धान के रेट में सिर्फ 14 प्रतिशत वृद्धि यानी सालाना 2.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार के 9 साल में धान की एमएसपी में सिर्फ 54.1 प्रतिशत यानी 6 प्रतिशत सालाना बढ़ोतरी हुई। इन सबके मुकाबले कांग्रेस सरकार के दौरान 2005 से 2014 तक धान की एमएसपी में कुल 143 प्रतिशत यानी सालाना 14.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। गेहूं की एमएसपी को इनेलो-भाजपा गठबंधन सरकार ने कुल 10.3 प्रतिशत यानी सालाना 1.7 प्रतिशत ही बढ़ाया। भाजपा और गठबंधन सरकार ने गेंहू की एमएसपी को सिर्फ 39.3 प्रतिशत यानी सालाना 4.30 प्रतिशत ही बढ़ाया। इनके मुकाबले कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में कुल 126 प्रतिशत यानी सालाना 12.7 प्रतिशत की वृद्धि की।

उन्होंने बताया कि इनेलो-बीजेपी की सरकार में चने में कुल वृद्धि 39.5 प्रतिशत यानी सालाना 6.5 प्रतिशत हुई। बीजेपी और गठबंधन सरकार में कुल वृद्धि 52 प्रतिशत यानी सालाना 5.7 प्रतिशत हुई। जबकि कांग्रेस शासन में कुल वृद्धि 123 प्रतिशत यानी सालाना 12.3 प्रतिशत हुई। अरहर के दाम में इनेलो-भाजपा सरकार ने महज 25.7 प्रतिशत यानी सालाना 4.27 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। भाजपा और गठबंधन सरकार ने अरहर के रेट में कुल 51.3 प्रतिशत यानी सालाना 5.7 प्रतिशत वृद्धि की। कांग्रेस के शासन में अरहर की एमएसपी में कुल वृद्धि 213 प्रतिशत हुई जो सालाना 21.3 प्रतिशत बनती है। वहीं, उड़द के भाव में इनेलो और भाजपा गठबंधन में 27.6 प्रतिशत वृद्धि हुई जो सालाना 4.6 प्रतिशत थी। भाजपा और गठबंधन सरकार में कुल 50.2 प्रतिशत यानी सालाना 6 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई। वहीं, कांग्रेस ने 209 प्रतिशत यानी सालाना 20.9 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की थी।

गन्ने के रेट में भाजपा और इनेलो गठबंधन सरकार में कुल 23.1 प्रतिश् और सालाना 3.8 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई थी। बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार में कुल 16.7 प्रतिशत यानी सालाना 1.8 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। जबिक कांग्रेस के शासन में कुल 164 प्रतिशत यानी सालाना 16.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। उन्होंने कहा कि किसानों को एमएसपी देने के मामले में बीजेपी-जेजेपी और बीजेपी-इनेलो की सरकारें कांग्रेस के मुकाबले कोसों पीछे हैं। कांग्रेस ने किसानों को फसलों का उचित रेट देने के साथ उन्हें सस्ता ईंधन, लोन माफी और सब्सिडी उपलब्ध करवाई। लेकिन बीजेपी ने खाद, बीज, दवाईयों से लेकर ट्रैक्टर पार्ट्स तक भारी भऱकम टैक्स थोप दिया। यही वजह कि आज किसानों को सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना पड़ रहा है।

जनता गठबंधन को सत्ता से बाहर करने की तैयारी में

उन्होंने कहा कि किसानों के साथ प्रत्येक वर्ग मौजूदा सरकार से परेशान हो चुका है। बीजेपी-जेजेपी को इस बात का अहसास हो चुका है कि जनता गठबंधन को सत्ता से बाहर करने का मन बना चुकी है। इसलिए दोनों दल अब अलग-अलग होने के बहाने ढूंढ़ रहे हैं। अब दोनों दलों की कोशिश है कि जनता की नाराजगी का ठीकरा एक-दूसरे के सिर पर फोड़ा जाए और एक बार फिर जनता को बरगलाने की कोशिश की जाए। लेकिन, हरियाणा की जनता इस सियासी ड्रामे को अब समझ चुकी है। जनता को पता है कि उसके साथ बीजेपी और जेजेपी ने मिलकर धोखा किया है।

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