पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले- सरकार टकराव की नीति न अपनाए

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार को किसानों से टकराव की नीति नहीं अपनानी चाहिए। सरकार अहम के लिए नहीं होती। सरकार की सिर्फ ज़िम्मेदारी होती है कि वह जनता की जायज़ मांगों को माने। हुड्डा बृहस्पतिवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में उनके नेतृत्व में बनी कमेटी के बारे में बीजेपी भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। 3 नए कानूनों को हमारी कमेटी की सिफारिश बताकर बीजेपी जनता को गुमराह कर रही है। हमारी कमेटी ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की थी। जिससे किसानों का अहित हो।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि उनके नेतृत्व में बनी मुख्यमंत्रियों की कमेटी ने मंडियों के विस्तार की सिफारिश की थी, न कि उन्हें ख़त्म करने की। उसमें कहा गया था कि मंडियों पर किसी भी तरह का एकाधिकार नहीं होना चाहिए और मंडियों का विस्तार हर किसान तक होना चाहिए।
हमारी सरकार के दौरान मंडियों का इतना विस्तार किया गया कि हरियाणा में हर 8-10 किलोमीटर के दायरे में बड़ी मंडी है। हुड्डा ने कहा कि हमारी कमेटी ने स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत किसानों को उनकी फसल का रेट देने की सिफारिश की थी।
लेकिन नए कानूनों में सी2 फार्मूला तो छोड़िए, कहीं एमएसपी का जिक्र तक नहीं है। हुड्डा ने बताया कि यूपीए सरकार के दौरान फसलों के एमएसपी में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। लगभग हर फसल के रेट 3 गुना तक बढ़े हैं।
उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार में हर साल फसलों के रेट में 12 से 15 प्रतिशत की औसत बढ़ोतरी होती थी। कई फसलों के रेट तो सालाना 20 फीसदी से ज्यादा बढ़े थे। कांग्रेस सरकार ने ही पूरे देश में फसली लोन की ब्याज दर को 12% से घटाकर 4% किया गया था। जबकि हरियाणा में फसली लोन पर ब्याज खत्म ही कर दिया गया।
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