धरनारत किसानों के बीच पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बड़ा ऐलान किया

रोहतक : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) एक बार फिर मकड़ौली टोल प्लाजा पर धरनारत किसानों (Farmers) के बीच पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने दोहराया कि वह तन-मन और वचन से किसानों के साथ हैं क्योंकि किसानों की मांगे पूरी तरह जायज है। हुड्डा ने कहा कि आंदोलन को 4 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। बावजूद इसके आज भी आंदोलन (Andolan) पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासनात्मक तरीके से चल रहा है। आंदोलनकारी ना झुके हैं, ना ही थके हैं। वो लगातार आंदोलन को विस्तार दे रहे हैं। ये इस आंदोलन की सबसे बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी बार-बार किसानों को उकसाने की कोशिश करेंगे लेकिन उन्हें सतर्क रहना है। किसानों को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना है, जिससे किसी को आंदोलन पर उंगली उठाने का मौका मिले।
आज मकड़ौली टोली पर पुनः धरनारत किसानों के बीच।
— Bhupinder S Hooda (@BhupinderSHooda) March 31, 2021
4 महीने में 11 दौर की वार्ता के बाद सरकार तो बीच में ही भाग गई पर आंदोनकारी न झुके, न थके; अब भी डटे हैं। ये आंदोलन की सबसे बड़ी जीत है। किसान-विरोधी मानसिकता वाली BJP-JJP सरकार किसानों को धमकाने की बजाय बातचीत से गतिरोध ख़त्म कराए। pic.twitter.com/WiWVH6UFfG
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अबतक 300 से ज्यादा किसान आंदोलन के दौरान अपनी शहादत दे चुके हैं। बावजूद इसके सरकार का दिल नहीं पसीजा है। कांग्रेस विधायक दल की तरफ से शहीद किसानों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये आर्थिक मदद के तौर पर दिए जा रहे हैं। हुड्डा ने ऐलान किया कि भविष्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर इन किसानों को शहीद का दर्जा, परिवारों को उचित आर्थिक मदद और एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक किसानों की आवाज उठाने से कभी पीछे नहीं हटेगी। विधानसभा सत्र में भी कांग्रेस की तरफ से किसानों को एमएसपी की गारंटी देने वाला विधेयक लाने की कोशिश की गई। लेकिन विधानसभा स्पीकर ने इस विधेयक को खारिज कर दिया। इससे स्पष्ट हो गया कि बीजेपी-जेजेपी सरकार की मानसिकता किसान और एमएसपी विरोधी है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को हठधर्मिता छोड़कर एक बार फिर किसान नेताओं से बातचीत शुरू करनी चाहिए। बातचीत के जरिए ही बड़े से बड़े मुद्दे का समाधान निकाला जा सकता है। जनता के प्रति संवेदनहीनता किसी भी सरकार या देश के हित में नहीं है। देशहित इसी में है कि सरकार किसान हित में फैसला ले।
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