भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले- सरकार की अनदेखी किसानों के लिए जानलेवा साबित हो रही

रोहतक : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आंदोलन के दौरान रोज हो रही किसानों की मौत पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि देश का अन्नदाता कड़कड़ाती ठंड में अपना घर छोड़कर सड़कों पर बैठा है। आंदोलनकारियों की सारी मांगे पूरी तरह जायज हैं। बावजूद इसके सरकार लगातार आंदोलन की अनदेखी कर रही है। सरकार की ये अनदेखी जानलेवा साबित हो रही है। रोज किसी ना किसी किसान की धरना स्थल पर मौत हो रही है। कई किसान आत्मबलिदान कर चुके हैं। इस आंदोलन में अबतक करीब 40 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में सरकार को संवेदनशीलता और गंभीरता से किसानों से बात करनी चाहिए और उनकी मांगों को मानते हुए आंदोलन खत्म करवाना चाहिए।
रोहतक में पत्रकारों से बातचीत कर रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की टिप्पणी का जवाब भी दिया। हुड्डा ने कहा कि हम किसानों के मुद्दे पर विधानसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहते हैं। क्योंकि ये सरकार जनता और अपने विधायकों का विश्वास खो चुकी है। हर वर्ग आज सरकार के खिलाफ सड़कों पर है और कई निर्दलीय विधायक सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं। किसान बनाम सरकार की इस लड़ाई में गठबंधन सहयोगी जेजेपी के कई विधायकों ने भी किसानों के समर्थन की बात कही है। सिर्फ विपक्ष ही नहीं प्रदेश की जनता भी किसानों के मुद्दे पर हरेक विधायक के स्टैंड बारे जानना चाहती है। जनता को पता होना चाहिए कि आज उनके प्रतिनिधि आज किसानों के साथ खड़े हैं या कुर्सी के साथ।
खुद सत्ता सहयोगी सरकार के ख़िलाफ़ मत डालेंगे
हुड्डा ने कहा कि अगर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव आता है तो खुद सत्ता सहयोगी सरकार के ख़िलाफ़ मत डालेंगे। लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री का कहना है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की कोई जरूरत नहीं है क्योकि विपक्ष के पास कोई खास मुद्दा नहीं है। इसके जवाब में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज प्रदेश का अन्नदाता सड़कों पर है। वो दिल्ली बॉर्डर समेत पूरे हरियाणा में सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। क्या किसानों के इतने बड़े आंदोलन को प्रदेश सरकार मुद्दा नहीं मानती? क्या रोज-रोज हो रही किसानों की शहादत को सरकार मुद्दा नहीं मानती? किसी भी सरकार के लिए भला इससे बड़ा मुद्दा और क्या हो सकता है?
हमने राज्यपाल से विशेष सत्र बुलाने की मांग की है, ना कि मुख्यमंत्री से
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने राज्यपाल से विशेष सत्र बुलाने की मांग की है, ना कि मुख्यमंत्री से। क्योंकि राज्यपाल के पास ऐसा की करने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन मुख्यमंत्री की तरफ से इस मांग को खारिज करना बताता है कि उन्हें खुद अपनी सरकार और विधायकों पर भरोसा नहीं है। इसलिए मुख्यमंत्री बिल्कुल नहीं चाहेंगे कि उसके ख़िलाफ अविश्वास प्रस्ताव आए। ऐसे में हमने सीधे राज्यपाल से अपील की थी कि वो प्रदेश के किसानों की स्थिति और राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करें और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं।
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