बड़ी कार्रवाई : पद से हटाए हरियाणा फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन व रजिस्ट्रार, इस मामले में गिरी गाज

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के सेहत और गृहमंत्री अनिल विज ने हरियाणा फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन और अन्य दो पर शिकंजा कस दिया है। चेयरमैन समेत तीन लोगों की शक्तियां तुरंत प्रभाव से छीन ली गई हैं। फार्मेसी काउंसिल का काम प्रभावित ना हो इसके लिए विभाग से ही एक कर्मचारी को प्रभार सौंपा है। चेयरमैन धनेश अदलखा को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने की सूचना है।
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की ओर से जारी आदेश में पीसी अधिनियम, 1988 के 7/7ए के तहत पुलिस स्टेशन हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो में दर्ज एफआइआर का हवाला देकर कार्रवाई की गई है। आदेश में धनेश अदलखा, सोहन लाल कंसल और राजकुमार वर्मा को हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और रजिस्ट्रार के रूप में दी गई शक्ति/कर्तव्यों का प्रयोग करने से वंचित करते हुए निलंबित कर दिया गया। साथ ही एचएसपीसी के रजिस्ट्रार राजकुमार वर्मा की रजिस्ट्रार के रूप में नियुक्ति को भी तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया। एचसीएस अधिकारी अपर सचिव, स्वास्थ्य योगेश मेहता को अब हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के दैनिक कामकाज की निगरानी करने का निर्देश दिया है। उपनिदेशक (फार्मेसी) दीपक मलिक को रजिस्ट्रार का कार्यभार सौंपा गया है। हरियाणा अगले आदेश तक वह अपने वर्तमान कर्तव्यों के अतिरिक्त परिषद के रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करेंगे। चार दिन पहले विजिलेंस टीम ने हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में लाखों रुपये की रिश्वत लेकर फार्मेसी लाइसेंस दिलवाने के मामले में काउंसिल के उपप्रधान सोहनलाल कंसल को हिसार में उनके सेक्टर-13 आवास से गिरफ्तार किया था।
चेहते कर्मचारियों पर भी होगी कार्रवाई
धनेश अदलखा और सोहन लाल कांसल ने काउंसिल में अपने जानकारों एवं रिश्तेदारों को नौकरी पर रखा हुआ था। यह कर्मचारी आफिस की सभी जानकारियां इन दोनों के साथ व्हाट्सऐप पर सांझा करते हैं। इनके कार्यालय में रहने से काउंसिल की गोपनियता खत्म होगी और भ्रष्टाचार पहले की तरह ही जारी रहेगा। पूर्व प्रधान केसी गोयल ने एचसीएस अधिकारी अपर सचिव, स्वास्थ्य योगेश मेहता से मांग की है कि इन पुराने कर्मचारियों को निकालने के संबंध में हाइकोर्ट के आदेश है। 25 जुलाई 2019 को हाइकोर्ट के आदेश थे कि रजिस्ट्रार सहित पूरे स्टाफ की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। उसके बाद कभी भी सरकार ने इन कर्मचारियों को रखने के संबंध में अप्रूवल नहीं दी। उसके बाद यह अवैध तौर पर कार्यालय में कार्य करते रहे और भ्रष्टाचार में इनके साथ संलिप्त रहे।
हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के पुर्नगठन 3 मार्च 2014 के बाद फार्मेसी एक्ट की धारा 23 स्टेट फार्मेसी नियम 1951 के नियम 7 के तहत कौंसिल के प्रधान एवं उपप्रधान का चुनाव करवाने के लिए स्पेशल जनरल बाडी मीटिंग बुलाई गई। 2 जून 2014 को चुनाव करवाकर केसी गोयल को प्रधान व पंकज कुमार जैन को उपप्रधान चुना गया था और 10 जुलाई 14 को नोटीफीकेशन जारी कर दी गई। केसी गोयल को 21 दिसंबर 17 को प्रधान पद से निलंबित कर दिया गया, इसके विरुद्ध माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ में सीडब्ल्यूपी 4965/18 दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 1 मार्च 2018 को नोटिस रिगार्डिंग स्टे जारी किया गया। 4 मार्च 18 को दिन रविवार छुट्टी के दिन बगैर किसी भी प्रावधान के ही सोहन लाल कंसल को कार्यकारी प्रधान नियुक्त कर दिया था। फार्मेसी एक्ट केन्द्रीय कानून है जो संसद ने बनाया है, राज्य सरकार इसमें कोई भी तबदीली नहीं कर सकती, लेकिन धारा 46 के तहत नियम बनाने का अधिकार है।
1972 से अब तक हरियाणा सरकार ने कभी भी कोई नियम नहीं बनाया, जो धारा 46 (3)के तहत विधानसभा से पास करवाया गया, जो जरूरी है। 1 मार्च 2019 को कौंसिल की मीटिंग बुलाई गई। उस मीटिंग की कार्यवाही में कौंसिल प्रधान व उपप्रधान के चुनाव के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया, लेकिन 1 माार्च 2019 की मीटिंग कि जो भी कार्यवाही सरकार को भेजी गई उसमें केवल सात ही सदस्य हाजिर दिखाए गये। इसलिए नवंबर 2019 कि मीटिंग की जो कार्यवाही सरकार को भेजी गई वह मीटिंग अवैध थी, जिससे सरकार को गुमराह करते हुए लिखा गया कि कौंसिल के कुल 12 सदस्य में से 7 की सहमती से धनेश अदलखा को प्रधान व सोहन लाल कंसल को उपप्रधान चुना गया। धनेश अदलखा ने 17 नवंबर 2020 को कौंसिल के निर्वाचित सदस्य से त्यागपत्र दे दिया था, इसलिए धारा 23 एवं 25 के तहत प्रधान नहीं है। सरकार ने यह भी लिख कर दिया है कि 17/11/2020 के बाद आज तक कभी धनेश अदलखा को प्रधान नियुक्त नहीं किया गया, इसलिए धनेश अदलखा प्रधान व सोहन लाल कंसल उपप्रधान नहीं है।
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