कैथल के DC की बड़़ी कार्रवाई : 7 अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने और केस दर्ज करने की भेजी सिफारिश

हरिभूमि न्यूज. कैथल
हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में डीसी प्रदीप दहिया ने कड़ी कार्रवाई करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर मिशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दोषी मिले 7 अधिकारियाें और कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है। गौरतलब है कि मामले में एडीसी सतबीर सिंह कुंडू ने 12 मार्च को तत्कालीन डीसी सुजान सिंह को रिपोर्ट सौंपी थी। उस समय मामले में कार्रवाई नहीं हुई और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 16 अगस्त को सीवन महिला ब्लॉक संगठन की सदस्य मामले को लेकर डीसी से मिली और जांच में दोषी मिले अधिकारियों व पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस पर डीसी ने तुरंत संज्ञान लिया और दोषियों के खिलाफ सीईओ को सिफारिश भेज दी।
एडीसी की जांच में ये पााए गए थे दोषी
भ्रष्टाचार के इस मामले में एडीसी सतबीर सिंह कुंडू की जांच रिपोर्ट में 7 बिंदुओं पर सीधे तौर पर तत्कालीन व वर्तमान डीपीएम रजत भास्कर, सीवन ब्लॉक के बीपीएम रामफल शर्मा, ब्लॉक संगठन पदाधिकारी प्रधान रेणु व खंचाजी सुनीता, ढांड खंड के तत्कालीन डाटा एंट्री ऑपरेटर नीरज, पूंडरी खंड के डाटा एंट्री ऑपरेटर सुनैना व राजौंद खंड के डाटा एंट्री ऑपरेटर राकेश शर्मा दोषी मिले थे।
कार्यकारिणी गठन को लेकर विवाद की शिकायत में जांच की तो मिला भ्रष्टाचार
14 सितंबर 2020 को हुए सीवन महिला ब्लॉक संगठन की कार्यकारिणी का चुनाव हुआ था। इसमें बहुमत के साथ जसवीर कौर को प्रधान, नगमा को कोषाध्यक्ष, प्रवेश देवी को सचिव, रेनु देवी को उप-प्रधान और बलबीर कौर को सह सचिव चुना गया था। लेकिन पुरानी कार्यकारिणी बदले जाने के बाद सीवन में तैनात ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक रामफल शर्मा और जिला कार्यक्रम प्रबंधक रजत भास्कर ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। एक महीने तक उनके बैंक खाते में हस्ताक्षर नहीं बदले गए। बैंक प्रबंधक ने भी उन्हें एक महीने तक चक्कर कटवाए, बेईज्जती की और गलत नीयत से घूरकर देखा और उनके चरित्र पर भी सवाल उठाए। बीपीएम भी महिलाओं पर गलत नियत रखता था और बेईज्जती करता था। बाद में तंग आकर इन्हीं पदाधिकारियों ने मामले की शिकायत सीएम, डिप्टी सीएम और अधिकारियों से की थी। शिकायत के 5 माह बाद इस मामले की जांच शुरू हुई तो अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा संगठन के कार्यों में अवांछित हस्ताक्षेप व स ंगठन की महिलाओं को निर्णय लेने के अधिकारों से वंचित रखने के साथ ही नियमों का उल्लंघन कर कृषि यंत्रों की खरीद में गड़बड़ी पाई गई।
इसी तरह आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के नियमों की अनदेखी कर वाहनों के आंबटन, ई-शक्ति योजना के तहत वित्तीय लेन-देन में स्कीम में कार्यरत कर्मचारियों को अवैध रुप से दिया गया मानदेय, इंटरनेट साथी स्कीम में प्राप्त मानदेय का सही वितरण न कर मुख्यालय को गुमराह करने, फाइल कवर बनाने और सामान खरीदने में गड़बड़ी पाई गई थी। अनुमान है कि इस दौरान करीब 60 लाख रुपए का घोटाला हुआ है।
एफआईआर दर्ज करने व सेवाएं समाप्त करने की सिफारिश
कैथल के उपायुक्त प्रदीप दहिया ने बताया कि अतिरिक्त उपायुक्त की जांच रिपोर्ट में दोषी मिले सात अधिकारियों, कर्मचारियों व संगठन पदाधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार एफआईआर दर्ज करने व सेवाएं समाप्त करने की सिफारिश की गई है। उन्होंने इनके खिलाफ हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की सीईओ को उन्होंने अपनी सिफारिश भेज दी है।
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