कुत्तों की नसबंदी में बड़ा गोलमाल, अब देना होगा 50 लाख रुपये का हिसाब

कुत्तों की नसबंदी में बड़ा गोलमाल, अब देना होगा 50 लाख रुपये का हिसाब
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बड़ी संख्या में कुत्तों की नसबंदी से लेकर टीकाकरण कागजों में ही कर दिया गया। चंद कुत्तों को टीका लगाकर संबंधित अधिकारी अपनी जेबें भरने में कामयाब हो गए। ठेका लेने वाली सोसायटी पर भी जांच की तलवार लटक चुकी है।

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी

नगर परिषद में गत वर्ष नंवबर माह से लेकर इस साल मार्च माह तक कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के नाम पर करीब 50 लाख रुपए की भारी भरकम राशि फूंक दी गई। कुत्तों की नसबंदी के नाम पर लाखों रुपए का गोलमाल हो गया, जिसकी परतें अब खुलनी शुरू हो चुकी हैं। आरंभिक जांच में यह बात सामने आ चुकी है कि नसबंदी और टीकाकरण के नाम पर भुगतान के जो बिल बनाए गए थे, उनमें नियमों को पूरी तरह ताक पर रखा गया था। नप के सीईओ का पदभार संभालने वाले बीबी गोगिया ने नगर परिषद के ईओ और सैनेटरी इंस्पेक्टर को पत्र लिखकर कुत्तों की नसबंदी के नियमों का हवाला देते हुए भुगतान का रिकॉर्ड मांगा है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि संतुष्टिजनक जवाब नहीं मिलने पर एफआईआर के लिए स्टेट विजीलेंस ब्यूरो के डीजी को एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा जाएगा।

नगर परिषद की ओर से शहर में घुमने वाले आवारा कुत्तों की नशबंदी और टीकाकरण का ठेका महेश्वरी की एनीमल वेल्फेयर सोसायटी को दिया था। सोसायटी को एक कुत्ते की नसबंदी और टीकाकरण के लिए 1494 रुपए के हिसाब से ठेका दिया था। ठेका दिए जाने के साथ ही इन पर खर्च होने वाली राशि को लेकर सवालिया निशान उठने लगे थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस कार्य को करने के लिए नियमों की कोई पालना नहीं की गई थी। नियमानुसार यह कार्य जिला स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी की देखरेख में किया जाना था, जिसमें शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी शामिल किए जाने का प्रावधान था। यह भी सुनिश्चित करना था कि इस कार्य को करते समय पशु कू्ररता अधिनियम 1960 की पूरी तरह पालना की जाए।

टीकाकरण और नसबंदी से पहले शहर में आवारा कुत्तों का सर्वे कराना जरूरी था, ताकि उनकी वास्तविक संख्या का पता लगाया जा सके। सूत्र बताते हैं कि बेजुबानों की नसबंदी और टीकाकरण के कार्य में तो भारी अनियमितताए बरती ही गईं, साथ ही उनकी संख्या और बिलों के भुगतान के मामले में भी नियमों को पूरी तरह ताक पर रखा गया। सूत्र बताते हैं कि बड़ी संख्या में कुत्तों की नसबंदी से लेकर टीकाकरण कागजों में ही कर दिया गया। चंद कुत्तों को टीका लगाकर संबंधित अधिकारी अपनी जेबें भरने में कामयाब हो गए। ठेका लेने वाली सोसायटी पर भी जांच की तलवार लटक चुकी है। उसे भी अब हर कार्य का बिंदूवार ब्योरा पेश करना पड़ सकता है। सूत्र बताते हैं कि उच्च स्तरीय जांच में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

18 बिदुओं पर मांग गए जवाब

सूत्रों के अनुसार डीएमसी की ओर से लिखे गए पत्र में 18 बिंदुओं को लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगे गए हैं। पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि नसबंदी के कार्य में जिन सामाजिक लोगों को शामिल किया गया था, उनके नाम, पते और फोन नंबर उपलब्ध कराए जाएं। कुत्तों के प्रति समाज में जागरूकता लाने के लिए अधिकारियों की ओर से कार्यक्रम किए जाने के प्रमाण और कार्यक्रमों की फोटो प्रेषित करने को कहा गया है। टीकाकरण के कार्य में शामिल एक्सपर्ट डॉग कैचर की जानकारी मांगी गई है। कुत्तों को पकड़ने से लेकर अन्य कई जानकारियां भी पत्र में मांगी गई हैं।

भुगतान में हुआ बड़ा गोलमाल

नप सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुत्तों की नसबंदी के नाम पर जो बिल बनाए गए, उन पर एक ही अधिकारी के साइन किए हुए हैं। नियमानुसार इन बिलों पर नप के दूसरे अधिकारियों और मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन के साइन होने जरूरी थे। टीकाकरण और नसबंदी के नाम पर महज चंद कुत्तों को टीके लगाकर खानापूर्ति कर दी गई। इसके बाद नियमित अंतराल के बाद 74 हजार रुपए से लेकर 1.24 लाख रुपए तक के पांच बिल बनाकर इस राशि का भुगतान कर दिया गया। डीएमसी की ओर से पत्र जारी होने के बाद संबंधित अधिकारियों के पसीने छूटने लगे हैं।

ऐसे किया गया बिलों का भुगतान

बिलों के अनुसार 16 नवंबर 2021 तक की अवधि में मेल और फीमेल 609 कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया गया, जिस पर 90.98 हजार रुपए खर्च दिखाया गया। 4 जनवरी 2022 से 30 जनवरी 2022 तक 797 कुत्तों पर 11.91 लाख रुपए खर्च दिखाया गया है। 31 जनवरी से 23 फरवरी तक 90.54 हजार रुपए, 24 फरवरी से 12 मार्च तक 499 कुत्तों की नसबंदी पर 74.55 हजार रुपए खर्च दिखाया गया है। कुल पांच बिलों के जरिए कुत्तों के नाम पर 4930200 रुपए राशि खर्च की हुई दिखाई गई है। अब इस राशि के भुगतान की प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनका जवाब देना संबंधित अधिकारियों के लिए गले की फांस बन सकता है।

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