लुवास के वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता : पशुओं में गर्भपात पर शोध के लिए मिला पेटेंट

लुवास के वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता : पशुओं में गर्भपात पर शोध के लिए मिला पेटेंट
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लुवास के कुलपति प्रो. डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने पशुधन के प्रमुख महत्वपूर्ण रोगों के निदान के विकास में पशु जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों की सराहना की और पेटेंट ग्रांट के लिए बधाई दी।

हिसार। लाला लाजपत राय पशु-चिकित्सा एवं पशु-विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के पशु चिकित्सा विज्ञान कॉलेज के पशु जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों को पशुओं में गर्भपात पर शोध के लिए पेटेंट मिला है। इस बारे में केंद्र सरकार के पेटेंट कार्यालय से लुवास को पेटेंट ग्रांट की सूचना मिली चुकी है।

वैज्ञानिकों को पशुओ में गर्भपात के लिए जिम्मेदार तीन प्रमुख रोगजनकों का एक साथ पता लगाना के लिए तकनीक विकसित करने के लिए 20 साल तक के लिए पेटेंट ग्रांट किया गया है। उधर, लुवास के कुलपति प्रो. डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने पशुधन के प्रमुख महत्वपूर्ण रोगों के निदान के विकास में पशु जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों की सराहना की और पेटेंट ग्रांट के लिए बधाई दी। अनुसंधान निदेशक डॉ. नरेश जिंदल, कुलसचिव एवं अधिष्ठाता पशु चिकित्सा विज्ञान कॉलेज डॉ. गुलशन नारंग ने इस उपलब्धि के लिए डॉ. अमन, डॉ. सुशीला मान और डॉ. त्रिलोक नंदा को बधाई दी।

तीन साल बाद मिला पेटेंट

गौरतलब है कि पशु जैव प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. अमन कुमार, डॉ. सुशीला मान व डॉ. त्रिलोक नंदा की टीम ने शोध पर कार्य शुरू किया जिसे उन्होंने वर्ष 2017 में संपन्न किया। शोध के पीछे की अवधारणा मवेशियों और भैंसों में गर्भपात करने वाले रोगजनकों का पता लगाने के लिए एक मल्टीप्लेक्स रीयल-टाइम पीसीआर परीक्षण विकसित करना था। पेटेंट आठ जनवरी 2019 में फाइल किया गया था। इसके बाद पेटेंट कार्यालय के वैज्ञानिको ने शोध को परखा और इंटरनेट पर इस उद्देश्य के साथ डाला कि वर्ल्ड में किसी अन्य यूनिवर्सिटी ने तो ऐसी कोई रिसर्च नहीं कर रखी। करीब तीन साल तक इस प्रक्रिया को चालू रखा गया, जिसके बाद अब पेटेंट अवार्ड दिया गया। अब उस रिसर्च की विधि को कोई इस्तेमाल करता है तो उसे लुवास से वैज्ञानियों से अनुमति लेनी होगी।

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