सफाईकर्मी परेशान : कोरोना काल में बायो मेडिकल वेस्ट का निपटारा बना चुनौती

सफाईकर्मी परेशान : कोरोना काल में बायो मेडिकल वेस्ट का निपटारा बना चुनौती
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एनजीटी की ओर से भी बार-बार बायोमेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निपटान को लेकर गंभीरता से काम करने की हिदायत दी गई। निस्तारण नहीं होने की सूरत में बीमारी और संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़

हरियाणा में कोरोना संक्रमण की दोनों लहर जहां बड़ी संख्या में लोगों का जीवन लील गई, वहीं महामारी के उस दौर में मेडिकल कचरा उठाना सफाई कर्मियों के लिए बेहद बड़ी चुनौती साबित हुआ। महामारी से चिंतित और सहमें हुए लोग बायो मेडिकल वेस्ट को देखते ही इसकी सूचना प्रशासन को देने से नहीं चूके वहीं बार-बार इस संबंध में एनजीटी ने सरकार को विभिन्न दिशा निर्देश भेजकर इसके ठीक तरह से निस्तारण के सख्त निर्देश जारी किए।

वैसे तो हरियाणा के शहरी निकाय और स्वास्थ्य व गृहमंत्री अनिल विज सफाई कर्मियों के कामकाज और योगदान को लेकर पूरी तरह संतुष्ट थे उसके बावजूद उन्होंने लोगों से मिल रहे फीडबैक के आधार पर कई स्थानों से कचरे के सही निस्तारण को लेकर आला अफसरों को दोनों लहरों के दौरान खुद दिशा निर्देश जारी किया। सही तरह से सफाई और कचरे के निस्तारण के कारण ही हरियाणा में बाकी प्रदेशों के मुकाबले नुकसान बेहद कम रहा। कुल मिलाकर बायोमेडिकल वेस्ट का सही निपटान नहीं होने की सूरत में बीमारी का खतरा बना हुआ था।

यही कारण था कि एनजीटी की ओर से भी बार-बार बायोमेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निपटान को लेकर गंभीरता से काम करने की हिदायत दी गई। निस्तारण नहीं होने की सूरत में बीमारी और संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। अस्पतालों में जो भी मेडिकल वेस्ट होता है, उसको सेग्रिगेट किया जाता है। इसके बाद इनको संबंधित प्लांट में ट्रीटमेंट व निपटान के लिए भेजा जाता है।

उठान करने वालों को भी खतरा

कचरा उठाने वाले संबंधित कर्मचारी सेफ्टी ना बरतें तो उससे भी संक्रमण की संभावनाएं बनी रहती हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर बार-बार दोनों लहरों के दौरान सफाई कर्मियों को भी सतर्क करते रहे। इतना ही नहीं ये सफाई कर्मचारियों को इंफेक्शन से बचाव को लेकर इंजेक्शन भी लगते है।

6 महीने में 1232.77 टन बायो मेडिकल वेस्ट जेनरेट हुआ

कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ चुकी है जिसके चलते सबको राहत मिली। एक्सपर्ट्स लगातार तीसरी लहर की भी संभावना जता रहे हैं जिसको लेकर सरकार व स्वास्थ्य विभाग तैयारी में निरंतर लगे हैं। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में मरीजों की संख्या सामान्य से कहीं ज्यादा थी। इसके चलते स्वास्थ्य संस्थानों में बायोमेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन भी बेहद जरुरी था। इसको लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ( सीपीसीबी) ने समय समय पर गाइडलाइंस भी जारी की। इसी कड़ी में सामने आया है कि हरियाणा के अस्पतालों में कोरोना की पहली लहर के दौरान 6 महीने की अवधि के दौरान हर रोज करीब 6733 किलोग्राम बायोमेडिकल वेस्ट जेनरेट हुआ। सरकार द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट की गई है, जिसमें यह तथ्य दिए गए हैं। एनजीटी को सबमिट की जानकारी में सामने आया है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 से लेकर सितबंर 2020 तक 6 महीने में कुल 1232.77 टन मेडिकल वेस्ट प्रदेश के अस्पतालों में जेनरेट हुआ है। अर्थात हर महीने 200 टन से ज्यादा मेडिकल वेस्ट रहा। अप्रैल माह में 65.94 टन तो मई में 109.91 टन और जून में 247 टन जेनरेट हुआ। जुलाई में 290.32, अगस्त में 241.3 टन और सितंबर में 278.3 टन मेडिकल वेस्ट जेनरेट हुआ। इस अवधि में अगर औसतन रोज पैदा हुआ वेस्ट की बात करें तो ये 40403 किलोग्राम रहा है।

कोविड के दौरान मेडिकल वेस्ट के निपटान पर गाइडलाइन जारी हुई

वहीं ये भी सामने आया है कि कोरोना के दस्तक देने के बाद सीपीसीबी द्वारा मेडिकल वेस्ट के सही निपटान को लेकर बार बार गाइड लाइन भी जारी की गई। बीमारी के आने बाद सबसे पहले 18 मार्च 2020 को इस बारे निर्देश जारी किए गए तो इसके बाद 25 मार्च 2020, 18 अप्रैल 2020, 10 जून 2020 और 21 जुलाई 2020 को इन निर्देश को फिर से रिवाइज किया गया। इस बारे में कई विभागों को आगाह करते हुए आदेश दिए गए कि मेडिकल वेस्ट की हैंडलिंग सही तरीके से हो। स्वास्थ्य, शहरी निकाय, पंचायत व विकास विभाग को ये आदेश दिए गए थे। इसके अलावा सभी जिलों के डीसी को भी इस बारे में स्पष्ट किया गया था कि वो भी अपनी भूमिका सही तरीके से निभाएं। पूरे मामले में नगर निगम की स्थानीय निकायों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों भी इस बारे निर्देश जारी किए हुए हैं। उनके दायरे में आने वाली हेल्थ केयर फैसिलिटी की लिस्ट बनाएं और इसको वो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सीएचसी और सीएमओ को भेजें। इसको लेकर भी संबंधित अधिकारियों की ड्यूटी लगी हुई है।

उधर, प्रदेश में अलग अलग 11 जगह ऐसी हैं जहां बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी हैं। कोरोना के दौरान इन जगह प्रदेश के सभी अस्पतालों से बायोमेडिकल वेस्ट जाता है जहां इसको ट्रीट किया गया है। गाइड लाइन के मुताबिक किसी एक जगह से दूसरी जगह स्थित बायोमेडिकल वेस्ट फेसिलिटी के बीच में एक निर्धारित दूरी होना जरुरी है। गौरतलब है कि प्रदेश की बायोमेडिकल वेस्ट निपटान की कुल क्षमता हर रोज एक घंटे में 1620 किलोग्राम है। ये भी बता दें कि इसके निपटान व ट्रीटमेंट का काम अलग अलग एजेंसी को जिलेवार दिया गया है। निपटान को लेकर ट्रेनिंग भी दी बायो मेडिकल वेस्ट के निपटान से जुड़े वर्कर को लिए बाकायदा विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए गए। उपरोक्त अवधि के दौरान 950 ट्रेनिंग व जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया। इस बारे में प्रदेश सरकार द्वारा हरेक माध्यम, जिसमें पोस्टर, पब्लिक नोटिस व मीडिया शामिल है, के जरिए सबको जागरुक किया गया।

2019 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 14810 किलो वेस्ट हर रोज जेनरेट हुआ

साल 2019 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 5529 हेल्थ केयर फेसिलिटी हैं जिनमें से 2837 बेड वाली तो 2689 बिना बेड वाली हैं। इन सब में कुल बेड की संख्या 54773 और इसमें सभी स्वास्थ्य संस्थान शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक रोजाना औसतन 14810 किलोग्राम बायो मेडिकल वेस्ट जेनरेट हुआ। कुल मिलाकर तीसरी लहर की आशंका और विशेषज्ञों की राय को लेकर एक बार फिर बायो मेडिकल वेस्ट के उठान व निस्तारण की समीक्षा का दौर चल रहा है खुद मंत्री अनिल विज इस बारे में भी आला अफसरों से चर्चा कर चुके हैं।

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