Election Boycott : जींद के 3 गांवों में पंचायत चुनाव का बहिष्कार, अंतिम दिन तक किसी ने नहीं भरा नामांकन, जानिए कारण

हरिभूमि न्यूज : जींद
हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं के पहले चरण के चुनाव को लेकर बुधवार शाम को नामांकन प्रक्रिया संपन्न हो गई है। जींद के चाबरी, भिड़ताना और रोजखेड़ा गांव के लोगों ने पंचायत चुनावों का बहिष्कार का ऐलान कर रखा था, इसलिए इन गांवों से अंतिम दिन तक एक भी नामांकन दाखिल नहीं किया गया। ग्रीन फील्ड हाईवे नंबर 352-ए और नेशनल हाईवे 152डी के पास इंटरचेंज पर चल रहा ग्रामीणों का धरना बुधवार को भी जारी रहा।
ऐसे में अब दो नवंबर को होने वाले सरपंच और पंच के पदों पर चुनाव की संभावना नजर नहीं आ रही। ग्रामीण गुरुवार दोपहर को लुदाना के पास टोल पर पहुंचेंगे और दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक टोल फ्री करवाएंगे। चाबरी इंटरचेंज के पास चल रहे धरने की बुधवार को देदो देवी ने अध्यक्षता की जबकि मूर्ति, राजो, कमला, सावित्री, शीला अनशन पर बैठी। धरना कमेटी संचालक सूबे सिंह, विनोद चाबरी, ओमप्रकाश, कृष्ण, राममेहर, प्रियंका खरकमराजी, कविता गोयत आदि ने बताया कि चाबरी गांव के पास से जींद.सोनीपत ग्रीन फील्ड हाईवे पर चढ़ने और उतरने के लिए रास्ता नहीं दिया गया है जबकि बाकी दूसरे गांवों में जहां से भी हाईवे गुजर रहा है। वहां रास्ता दिया गया है।
रास्ते की मांग को लेकर वे पिछले डेढ़ महीने से यहां धरना दे रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों ने आश्वासन के सिवाय और कुछ नहीं किया। मांग पूरी नहीं होने से खफा होकर ही ग्रामीणों पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों का बहिष्कार किया हुआ था। ग्रामीणों ने एकता का परिचय देते हुए किसी ने भी नामांकन नहीं भरा है। जब तक हाईवे पर चढऩे के लिए रास्ता नहीं मिल जाताए उनका धरना लगातार जारी रहेगा।
रोजखेड़ा के ग्रामीणों ने भी नहीं भरा नामांकन
वहीं उचाना के गांव रोजखेड़ा में करीब 414 वोट हैं और ग्रामीणों के अनुसार अनुसूचित जाति के 9 ही वोट हैं। चुनाव आयोग द्वारा गांव में अनुसूचित जाति के 84 वोट होने का हवाला देते हुए इस बार अनुसूचित जाति महिला के लिए रिजर्व किया गया है। ग्रामीण नवनीत रोजखेड़ा, सोनू, अक्षय आदि का कहना है कि साल 2011 में जब जनगणना की गई थी तो गांव के साथ लगते ईंट भट्टे पर काम करने वाले मजदूरों की भी रोजखेड़ा गांव में ही गिनती कर ली गई थी। इस कारण गांव में अनुसूचित जाति के इतने वोट दिखाए गए हैं जबकि हकीकत में इतने मत गांव में अनुसूचित जाति के नहीं हैं। इस मामले में वह एसडीएम और डीसी से भी मिले थे लेकिन समाधान नहीं हो पाया। इसलिए ग्रामीणों ने मिलकर चुनावों का बहिष्कार किया था। गांव में एक सरपंच व पांच पंच चुने जाते हैं।
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