किसानों के केस वापस लेने को लेकर कानूनविदों से मंथन, प्रक्रिया की शुरुआत

Haryana : किसान संगठन और नेताओं द्वारा आंदोलन खत्म होने के साथ ही किसान नेताओं के साथ में हुई बातचीत में तय विषयों को लेकर आला अफसरों ने कामकाज की शुरुआत कर दी है। सबसे बड़ा मामला मुआवजा राशि और कानूनी केसों को वापस लेने का है। कानूनविदों से इस संबंध में मंथन शुरु हो चुका है। सरकार ने आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार इन मुकदमों को वापस लेने के लिए मंथन कर चुकी है।
राज्य के अंदर आंदोलनकारी किसान संगठनों के विरुद्ध लगभग 263 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें सोलह सौ लोगों को नामजद किया है। 48 हजार आंदोलनकारियों को अज्ञात की श्रेणी में रखा है। खास बात यह है कि किसान आंदोलन कारियों पर दर्ज केसों की वापसी की प्रक्रिया में सरकार ने राज्य के सभी जिलों से शुरुआत से लेकर अंत तक दर्ज केसों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। हरियाणा एजी बलदेव राज महाजन को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। सरकार द्वारा केस रद् करने का फैसला लेने के बाद इस संबंध में गृह सचिव ने सभी उपायुक्तों को इस बारे में सिफारिश भेजने के लिए कहा है।
वैसे, जिला प्रशासन और डीसी की ओर से डीए को लिखा जाएगा। कुछ मामले स्थानीय स्तर पर रद् करने की बात है, जबकि कुछ मामलों में अदालत पर निर्भर करेगा। काफी मामलों में पुलिस द्वारा कोर्ट में चालान पेश कर चुकी है, इस तरह के मामलों में सरकार की ओर से संबंधित कोर्ट में एप्लीकेशन दायर कर केस रद करने की मांग की जाएगी। एजी पूरे मामले को लेकर तैयारी में हैं, अदालत में शांति व्यवस्था बनाए रखने व सरकार के समझौते आदि का उल्लेख करते हुए प्रार्थना पत्र दायर किया जाएगा। अदालत की अनुमति के बाद ऐसे मामलों को भी रद किया जा सकेगा, जिनमें चालान पेश हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि 263 मामलों में डेढ़ सौ से करीब का अदालत में चालान पेश किया जा चुका है।
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