अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रज के ढोल-नगाड़े बने आकर्षण का केंद्र

कुरुक्षेत्र। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में प्राचीन सभ्यता का प्रतीक नगाड़े बजाकर लोगों को संगीत सुनाया जा रहा है। पलवल जिले के गांव बंचारी से आए नगाड़ा पार्टी के कलाकार लोगों को परंपरागत संगीत से अवगत करा रहे हैं और लोगों को उनका नगाड़ा खूब पसंद आ रहा है। इस प्रकार ये कलाकार लुप्त होती कालाओं को जीवंत करने का काम भी कर रहे है। महोत्सव में पलवल के गांव बंचारी से आई बदन सिंह व टेकचंद एंड पार्टी ने नगाड़े पर प्रस्तुति देकर दर्शकों को नाचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने अपनी नगाड़ा प्रस्तुति के दौरान ब्रज के रसिया और जग में पूज्यो बांसुरी वाला समेत ब्रज की होली के गीत प्रस्तुत किए।
इनको देख रहे दर्शक दलबीर मलिक, रामेश्वर दास व नरेश सैनी आदि ने बताया कि प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन की यह अच्छी पहल है। गीता जयंती के ऐसे कार्यक्रमों से गीता का ही प्रचार नहीं बल्कि आमजन मानस भी एक सार्थक जीवन के प्रति जागरूक होता है। नगाड़ा पार्टी के बदन सिंह ने बताया कि वे पिछले 20 वर्षों से गीता महोत्सव में आ रहे है। उनकी नगाड़ा पार्टी सूरजकुुंड मेला, रोज फेस्टीवल, कलाग्राम मनीमाजरा व करनाल मेला आदि जगहों पर भी जाती है। पार्टी में बदन सिंह, टेकचंद, नरोत्तम, सतपा, सुमीर, बीरू, विष्णुु, रतन, कंवरपाल व सागर शामिल है। बदन सिंह ने बताया कि बंचारी गांव में 108 कवि हुए है जिनकी कविताएं देश भर में गाई जाती है। कहा कि सरकार कलाकारों को प्रोत्साहन दे रही है।
बंचारी में हुए सबसे ज्यादा कलाकार
परंपरागत उपकरणों के माध्यम से लोग जो संगीत पैदा कर रहते है, वह अपने आप में एक कला है, यह लोग मेले में हर बार आते है और हर बार इनके नगाड़े पर लोग जमकर नाचते है। इनका नगाडा पिछले काफी लंबे समय से मेले में अपनी पहचान बनाए हुए है। नगाड़ा पार्टी के प्रधान टेकचंद का कहना है कि उनके गांव बंचारी की मिट्टी में इस तरह का जादू है कि उनके गांव से सबसे ज्यादा कलाकार पैदा होते है, यह हमारा परपंरागत प्राचीन माध्यम है और नगाड़े के साथ-साथ झांझर के द्वारा वह अपने हाेली के समय गाए जाने वाले गीतों और भगवान की पूजा करते है। बंचारी में होली का त्यौहार 5 दिन तक मनाया जाता है। रात को चौपाइया गाई जाती है जिसमें रातभर नगाड़ा बजाया जाता है।
कुरुक्षेत्र। पर्यटकों का मनोरंजन करते नगाडा पार्टी के कलाकार।
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