आंखें बंद किए रहे अफसर : वर्षों से बिना लाइसेंस चलते रहे ईंट भट्टे, अब सीएम फ्लाइंग ने सील किए

आंखें बंद किए रहे अफसर : वर्षों से बिना लाइसेंस चलते रहे ईंट भट्टे, अब सीएम फ्लाइंग ने सील किए
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सीएम फ्लाइंग ने एक्शन लेते हुए न सिर्फ दोनों ईंट भट्टों को सील कर दिया, बल्कि इनके संचालकों के खिलाफ बावल पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज करा दी।

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी

रसियावास गांव में एक ईंट भट्टा लाइसेंस रद्द होने के 9 साल बाद और दूसरा चार साल बाद तक फर्राटेदार तरीके से चलता रहा। इतने लंबे समय तक दोनों भट्टों का अवैध संचालन यह संकेत देने के लिए काफी है कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का संरक्षण मिले बिना यह भट्टे नहीं चल सकते थे। सीएम फ्लाइंग ने एक्शन लेते हुए न सिर्फ दोनों ईंट भट्टों को सील कर दिया, बल्कि इनके संचालकों के खिलाफ बावल पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज करा दी।

सीएम फलाइंग के एसआई सतेंद्र ने माइनिंग डिपार्टमेंट की इंस्पेक्टर कुमारी आरजू, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एईई हरीश कुमार और फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर गजेंद्र को साथ लेकर रसियावास निवासी सुरेंद्र के ईंट भट्टे मै. चौधरी मातादीन ब्रिक्स उद्योग पर रेड की। कागजों की जांच में यह बात सामने आई कि अनियमितताओं के चलते भट्टे का लाइसेंस 24 सिंतंबर 2013 को ही रद्द कर दिया गया था। इसके बावजूद भट्टा मालिक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ सेटिंग करने के बाद भट्टा का संचालन करता रहा। जिस समय टीम ने भट्टे पर रेड की, उस समय करीब 10 लाख ईंटें पकने के लिए लगाई हुई थीं। 6 लाख कच्ची र्इंटें भट्टे के बाहर थीं।

टीम ने इसी गांव के रहने वाले सुरेंद्र के ईंट भट्टे भृतहरि ब्रिक्स कंपनी पर जांच शुरू की, तो पता चला कि इस भट्टे का लाइसेंस 15 मई 2018 को निरस्त कर दिया गया था। लाइसेंस रद्द होने के बाद भी भट्टे का संचालन बंद नहीं हुआ। ज्वलंत अवस्था में पाए गए भट्टे में करीब 3 लाख ईंटें पकान के लिए लगाई हुई थीं। सीएम फ्लाइंग ने दोनों भट्टों को सील करने के बाद बावल पुलिस स्टेशन में उनके मालिकों के खिलाफ 'दि हरियाणा कंट्रोल आफ ब्रिक्स आर्डर-1972' के तहत केस दर्ज करा दिया।

विभाग की संठगांठ के बिना संभव नहीं

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों ईंट भट्टा मालिकों ने लाइसेंस रद्द होने के बाद ही विभाग के एक भ्रष्ट कर्मचारी के साथ सेटिंग कर ली थी। भट्टे का कुशल संचालन करने के बाद कर्मचारी के पास मोटी रकम भेजी जाती थी। इस कारण लंबे समय से भट्टों का संचालन होता रहा। इस कार्य में विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता से भी इंकार नहीं किया जा सकता।

क्या कहते हैं अधिकारी

डीएफएससी सतीश रावत का कहना है कि उन्हें कुछ समय पहले ही इन भट्टों के अवैध रूप से संचालित होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संबंधित इंस्पेक्टर को पत्र लिखा गया था। विभाग की ओर से एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। उन्होंने इस बात से अनभिज्ञता जाहिर की कि दोनों भट्टे लंबे समय से चल रहे थे।

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