20 घंटे बाद राजकीय सम्मान के साथ किया जवान का अंतिम संस्कार

सोनीपत। प्रशासन व सुरक्षा बल के जवानों व अधिकारियों के आश्वासन के बाद सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान सुरेश का पैतृक गांव आहुलाना में 20 घंटे बाद राजकीय सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार किया गया। जवान के बेटे रोहित ने मुखाग्नि दी इस दौरान भारी संख्सा में पुलिस बल ग्रामीण मौजूद रहे।
रविवार को उनका पार्थिव शरीर गांव आहुलना में पहुंचा था। परिजनों का मानना है कि सुरेश कुमार ने आत्महत्या नहीं की है, इसकी अधिकारिक जांच होनी चाहिए और उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। इसके बाद देर रात नायब तहसीलदार राजबीर, बीडीपीओ व थाना प्रभारी सुरक्षा बल के जवानों के साथ पार्थिव शरीर लेकर पुलिस थाने पहुंचे थे । वहीं सोमवार को प्रशासन व सुरक्षा बल के जवानों व अधिकारी के आश्वासन के बाद ग्रामीण व परिजन अंतिम संस्कार को सहमत हुए।
बता दें कि सुरेश कुमार 157 बटालियन में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में बतौर हेड कांस्टेबल तैनात थे। 157वीं बटालियन के जवानों को शुक्रवार को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था। बीएसएफ की तरफ से बताया गया है कि सर्च अभियान के बाद दल के जवान जब शनिवार सुबह वापस लौट रहे थे, तब अपने शिविर से लगभग दो सौ मीटर पहले सुरेश कुमार ने खुद को गोली मार ली। गोली की आवाज सुनने के बाद जब उसके बाकी के साथी उस स्थान पर पहुंचे तो उन्हें सुरेश लहुलूहान हालात में मिला। उसकी मौत हो चुकी थी। इस हादसे की सूचना मिलने के बाद से ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। रविवार को बीएसएफ इंस्पेक्टर मनोज कुमार के साथ बीएसएफ जवान सुरेश कुमार के शव को लेकर गांव में पहुंचे। जहां उनकी पत्नी सुदेश, दोनों बेटे रोहित व सचिन, भाई राजेंद्र और दिनेश, रिश्तेदार कपिल सहित अन्य परिजनों व ग्रामीणों ने सुरेश कुमार की आत्महत्या की बात को सिरे से नकारते हुए उनकी हत्या किए जाने की बात कही। परिजनों का कहना था कि सुरेश कुमार को शहीद का दर्जा दिया जाए। इसी मांग को लेकर परिजनों ने सुरेश कुमार के शव को नहीं उठने दिया।
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